अमरावती

200 मीटर के नियम का उल्लंघन, राज्य में एसटी को लगा 720 करोड का फटका

न्यायालय के आदेशोें की हो रही अनदेखी

अमरावती/दि.19 – निजी यात्री वाहनों को सरकारी बस डिपो से 200 मीटर दूर खडे रहने का आदेश न्यायालय द्वारा दिया गया है, लेकिन समूचे राज्य में इस आदेश का कहीं पर भी पालन होता दिखाई नहीं देता और अवैध यात्री ढुलाई करनेवाले कई निजी वाहन बस स्थानक परिसर के आसपास खडे रहते हुए रापनि के यात्रियों को ले जाते है. जिसकी वजह से समूचे राज्य में रापनि को रोजाना 2 करोड रूपये और सालाना करीब 720 करोड रूपयों का नुकसान सहन करना पड रहा है. राज्य परिवहन निगम की आर्थिक स्थिति पहले ही काफी खराब चल रही है. साथ ही रही-सही कसर निजी व अवैध यात्री ढुलाई करनेवाले लोगों द्वारा पुरी की जा रही है. ऐसे में राज्य परिवहन निगम के अस्तित्व को बचाये रखने हेतु समूचे राज्य में 200 मीटर की दूरीवाले आदेश पर अमल करना बेहद जरूरी हो चला है.
बता दें कि, मुंबई हाईकोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ द्वारा 8 जनवरी 2002 को एक आदेश पारित करते हुए कहा गया था कि, यात्री ढुलाई करनेवाले सभी निजी वाहन बस स्थानक से 200 मीटर दूर खडे रहेंगे. किंतु इस आदेश की समूचे राज्य में अधिकांश स्थानों पर अनदेखी की जा रही है और बस स्थानक से लगकर ही अवैध यात्री परिवहन करनेवालों ने अपनी दुकाने सजा रखी है. जिसकी वजह से राज्य परिवहन महामंडल को समूचे राज्य में रोजाना करीब 2 करोड रूपयों के नुकसान का सामना करना पड रहा है.
उल्लेखनीय है कि, कोविड संक्रमण काल के दौरान सरकारी बसों के पहिये थम गये थे और इसकी वजह से रापनि की आय का स्त्रोत ही बंद हो गया था. जिसके चलते रापनि के पास अपने कर्मचारियों का वेतन अदा करने के लिए भी पैसा नहीं था. ऐसी बिकट स्थिति में राज्य सरकार की ओर बकाया रहनेवाली विविध योजनाओं की रकम लेकर कर्मचारियों का वेतन अदा किया गया. किंतु रापनि को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. जिसकी वजह से रापनि की आर्थिक स्थिति दिनोंदिन बिकट होती जा रही है. अन्य राज्यों की तुलना में राज्य परिवहन निगम को काफी अधिक यात्री कर व टोल टैक्स अदा करना पडता है. ऐसी स्थिति में यदि राज्य में कम से कम 200 मिटरवाले नियम का ही सही ढंग से पालन करवाया जाये, तो रापनि को सालाना 720 करोड रूपये का फायदा हो सकता है.

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