ईवीएम के जमाने में भी बैलेट पेपर पर वोटींग
बोगस वोटींग के बाद चुना गया पर्याय
अमरावती/दि.26 – स्थानीय कालाराम मंदिर परिसर स्थित मतदान केंद्र पर आज दोपहर बोगस वोटींग का मामला उस समय उजागर हुआ था, जब दैनिक अमरावती मंडल के प्रबंध संचालक राजेश अग्रवाल के बेटे अमन अग्रवाल अपने मताधिकार का प्रयोग करने मतदान केंद्र पहुंचे, तो पता चला कि, अमन अग्रवाल के नाम पर वोटींग तो पहले ही हो चुकी है. ऐसे में अमन अग्रवाल सहित उनके परिजन हक्के बक्के रह गये, क्योंकि अमन अग्रवाल ने आज अपना वोट डाला ही नहीं था. जिसका सीधा मतलब था कि, अमन अग्रवाल के नाम पर किसी अन्य व्यक्ति द्वारा फर्जी तरीके से मतदान कर दिया गया था. ऐसे में इस बात की शिकायत तुरंत ही मतदान केंद्र अधिकारी से करने के साथ-साथ उनके समक्ष यह मांग उठाई गई कि, किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा अमन अग्रवाल के नाम पर किये गये फर्जी वोट को खारिज किया जाये और अमन अग्रवाल को अपना वोट डालने का मौका दिया जाये, जिसके बाद मतदान केंद्र अधिकारी द्वारा अपने पास मौजूद बैलेट पेपर अमन अग्रवाल को उपलब्ध कराया गया, जिस पर अमरावती संसदीय क्षेत्र के चुनाव में खडे सभी प्रत्याशियों के नाम व चुनावी चिन्ह पहले से दर्ज थे और इस बैलेट पेपर पर मतदान केंद्र अधिकारी ने अपने समक्ष अमन अग्रवाल से मतदान की प्रक्रिया पूरी करवाई.
जानकारी के मुताबिक आज अमरावती शहर में बोगस वोटींग के करीब 3 से 4 मामले सामने आये. जिनकी शिकायत मिलने पर प्रशासन ने हर मामले में यहीं प्रक्रिया दोहराई. ऐसे में सवाल उठता है कि, ईवीएम के जमाने में पारदर्शक चुनाव कराने का दावा पूरी तरह से हवा-हवाई साबित हो रहा है और ईवीएम पर भी बोगस वोटींग करना संभव है. जिसके चलते अंतत: निर्वाचन विभाग को बैलेट पेपर का ही सहारा लेना पडता है. यहीं वजह है कि, ईवीएम पर मतदान जारी होने के बावजूद भी मतदान केंद्र अधिकारी के पास ऐहतियात के तौर पर बैलेट पेपर उपलब्ध रहते है.
विशेष उल्लेखनीय है कि, भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत होने वाले चुनाव में गुप्त मतदान पद्धति अमल में लायी जाती है. लेकिन इसके बावजूद ईवीएम पर बोगस वोटींग के मामले सामने आने के बाद संबंधित मतदान केंद्र अधिकारियों द्वारा बैलेट पेपर पर अपने समक्ष खुला मतदान कराया गया और चूंंकि बैलेट पेपर डालने हेतु मतपेटी उपलब्ध नहीं थी. अत: उस बैलेट पेपर पर बिना किसी लिफाफे में डाले अपने पास ही खुले तौर पर रख लिया गया. जिससे गुप्त मतदान पद्धति का लगभग उल्लंघन ही हुआ है.