अमरावतीमहाराष्ट्र

मेलघाट के पुनर्वसन की प्रतीक्षा सूची कायम

पहले चरण में 33 में से 19 गांव का पुनर्वसन

* अधिकारियों की लापरवाही के कारण दूसरे चरण का काम ठंडे बस्ते में
अमरावती/दि.27– देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जाता रहते मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के शेष 8 गांव के पुनर्वसन का मुद्दा फिर चर्चा में आ गया है. वन्य प्राणी-मनुष्य संघर्ष कम कर बाघो के अधिवास का संरक्षण दिलवाने के लिए व्याघ्र प्रकल्प परिक्षेत्र के गांव का पुनर्वसन करने का निर्णय दो दशक पूर्व लिया गया. कुछ गांव का पुनर्वसन पहले चरण में हुआ लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण दूसरे चरण का काम ठंडे बस्ते में है.

मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के 33 गांव के पुनर्वसन का प्रस्ताव था. गत 23 वर्ष में 19 गांव का पुनर्वसन हुआ. पस्तलई, मांगीया, रोरा, पीली, चोपन, मालूर ऐसे 6 गांव के पुनर्वसन की प्रक्रिया शुरु होकर अनेक वर्ष बीत गए. फिर भी वह पूर्ण नहीं हो पाई. 6 गांव से केवल 1085 परिवार का पुनर्वसन हुआ है. सेमाडोह, रेट्याखेडा, माडीझडप, रायपुर, बोराट्याखेडा, माखला, ढाकणा, अढाव ऐसे 8 गांव अभी भी पुनर्वसन की प्रतीक्षा में है. 23 वर्ष में व्याघ्र अधिवास क्षेत्र के 22 गांव के करीबन 4 हजार 248 परिवार का अन्य स्थान पर पुनर्वसन किया गया है. इसमें व्याघ्र प्रकल्प से पुनर्वसित होनेवाले गांव के प्रत्येक परिवार को 10 लाख रुपए दिए जाते है. इस परिवार का बेटा 18 वर्ष से अधिक आयु का रहा तो उसका भी स्वतंत्र परिवार माना जाता है और उसे भी 10 लाख रुपए दिए जाते है. अब तक 22 गांव के नागरिक स्थलांतरित हुए है. लेकिन शेष गांव के लोग संभ्रम की अवस्था में है.

हर वर्ष महंगाई बढ रही है. निर्माण साहित्य के भाव भी तेजी से बढ रहे है. इस गांव को और 15 साल की कालावधि पुनर्वसन के लिए लगी तो 10 लाख रुपए में क्या होगा, ऐसा प्रश्न ग्रामवासियों में है. इस कारण इस रकम में बढोतरी करने की मांग पुनर्वसन की सूची में रहे ग्रामवासियों द्वारा की जा रही है. शेष गांव से करीबन 3 हजार नागरिकों को विस्थापित होना पडेगा. इस गांव की पुनर्वसन प्रक्रिया ठप पडी है. वन विभाग की लापरवाही के कारण अनेक गांव की पुनर्वसन प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो पाई है. पस्तलाई से 155 पात्र परिवार में से 149 परिवार के पुनर्वसन की प्रक्रिया शुरु है. मांगीया के 397 पात्र परिवार में से 332 परिवार का पुनर्वसन किया गया. 65 की प्रक्रिया शुरु है. रोरा के 216 पात्र परिवार में से 90 परिवार स्थलांतरित हुए. 126 परिवार के पुनर्वसन की प्रक्रिया शुरु है. पीली गांव के 267 परिवार में से 266 का पुनर्वसन हुआ. एक का शेष है. चोपन गांव के 200 पात्र परिवार में से 44 परिवार का पुनर्वसन हुआ. 156 परिवार का होना शेष है. मालूर के 313 परिवार का पुनर्वसन किया गया है. 109 परिवार का पुनर्वसन बाकी है.

* शासन ने तत्काल निधि उपलब्ध करनी चाहिए
मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के व्याघ्र अधिवास क्षेत्र के गांव के पुनर्वसन की प्रक्रिया धिमी हो गई है. शासन ने तत्काल निधि उपलब्ध करनी चाहिए. अनेक गांव में पुनर्वसन के लिए प्रस्ताव भी दिया है. वन विभाग ने इसके लिए प्रयास करने चाहिए.
– डॉ. जयंत वडतकर, मानद वन्यजीव रक्षक.

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