विदर्भ

वरुड नगराध्यक्ष की याचिका खारीज

अविश्वास प्रस्ताव का मामला

  • समिति गठित करने का अधिकार जिलाधिकारी को

वरुड/दि. १० – नगर परिषद के २४ में से १८ पार्षदों ने नगराध्यक्षा स्वाती आंडे व उपाध्यक्ष मनोज गुल्हाने के खिलाफ २७ अप्रैल को अमरावती में जिलाधिकारी के समक्ष अविश्वास प्रस्ताव दायर किया था. इसके खिलाफ नगराध्यक्ष ने उच्च न्यायालय में शरण ली. मगर उच्च न्यायालय में पहली ही सुनवाई नगराध्यक्षा स्वाती आंडे की याचिका खारीज कर दी. अदालत ने कहा कि जिलाधिकारी को ही जांच समिति गठित करने का अधिकार है.
जिलाधिकारी ने अपने अधिकार के तहत एक जांच समिति गठित कर शिकायत को गंभीरता से लियाा. इस जांच समिति में बतौर अध्यक्ष के रुप में मौर्शी के उपविभागीय अधिकारी व अमरावती के डीपीओ का चयन किया. उन्होंने जांच पूरी की इसमें समिति में आवेदक व गैर आवेदक नगराध्यक्षा स्वाती आंडे व उपाध्यक्ष मनोज गुल्हाने तथा१८ पार्षदों को ५ तारीखें दी. इस दौरान १८ पार्षदों ने पूरे सबूतों के साथ अपना पक्ष रखा. समिति की रिपोर्ट विरोध में आने की संभावना को देखते हुए नगराध्यक्षा ने सीधे नागपुर उच्च न्यायालय में दौड लगाई. नगराध्यक्षा ने जिलाधिकारी, उपविभागीय अधिकारी, जिला प्रशासन अधिकारी, शिकायतकर्ता १८ पार्षद इन सभी को प्रतिवादी किया था. नगराध्यक्षा ने याचिका में जिलाधिकारी को जांच समिति गठित करने का अधिकार नहीं होने की बात कही. मगर उच्च न्यायालय ने पहले ही सुनवाई में नगराध्यक्षा स्वाती आंडे की याचिका गैर आवेदक के वकील के सबूतों की वजह से खारीज कर दी और जिलाधिकारी को ही समिति गठित करने का पूरा अधिकार है, ऐसा न्यायालय ने कहा, ऐसा वरुड पालिका के गुटनेता नरेंद्र बेलसरे, प्रशांत धुर्वे, देवेंद्र बोडके, महेंद्र देशमुख, उमेश यावलकर ने बताया हैं. नगराध्यक्षा स्वाती आंडे की ओर से एड.एस.पी.भांडारकर, इसी तरह सरकारी वकील एड.श्रीमती एम.ए.बरांडे, गैर आवेदक १८ पार्षदों की ओर से एड.ए.एम.सुदामे ने दलीलें पेश की.

Back to top button