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क्या केवल नवाथे मल्टीप्लेक्स के लिए बुलाई थी विशेष सभा

नेता प्रतिपक्ष बबलु शेखावत तथा पूर्व महापौर व पार्षद विलास इंगोले का सवाल

* मनपा की आय बढानेवाले अन्य दो विषयों की अनदेखी पर जताया संताप

अमरावती/दि.11- गत रोज अमरावती महानगरपालिका की आय बढाने हेतु विशेष सर्वसाधारण सभा बुलायी गयी थी, लेकिन तुरंत आय बढानेवाले पर्यायों व प्रस्तावों की अनदेखी करते हुए केवल नवाथे मल्टीप्लेक्स के लिए प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कन्सलटंसी की निविदा प्रक्रिया शुरू करने को मंजूरी देकर इस विशेष सभा को बीच में ही स्थगित कर दिया गया. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, क्या केवल पीएमसी की निविदा प्रक्रिया को मुंजूरी देने के लिए ही यह विशेष सभा बुलायी गई थी. इस आशय का संतप्त सवाल मनपा के नेता प्रतिपक्ष बबलू शेखावत तथा पूर्व महापौर व पार्षद विलास इंगोले द्वारा पूछा गया.
इस संदर्भ में दैनिक अमरावती मंडल के साथ विशेष तौर पर बातचीत करते हुए पार्षद बबलू शेखावत व विलास इंगोले ने कहा कि, इस समय महानगर पालिका की आय को तुरंत बढाने के लिए संपत्ति कर पुनर्निधारण, व्यवसायिक संकुलों के किराया नूतनीकरण तथा मनपा क्षेत्र में ऑप्टीक फाईबर केबल डालनेवाली कंपनी के खुदाई दर निश्चित किये जाने की सख्त जरूरत है, ताकि तुरंत प्रभाव से मनपा की आय को बढाया जा सके. ऐसे में विशेष सभा में इन विषयों को लेकर सबसे पहले पूरी प्राथमिकता के साथ चर्चा की जानी चाहिए थी. किंतु सत्ता पक्ष ने नवाथे मल्टीप्लेक्स के प्रस्ताव को सबसे उपर रखा और ऑनलाईन सभा में सर्वसम्मति नहीं रहने व खुद सत्ता पक्ष के कई पार्षदों द्वारा विरोध जताये जाने के बावजूद इस प्रस्ताव को मनमाने ढंग से मंजुरी दी गई. कम से कम इसके बाद अन्य विषयों पर चर्चा होना अपेक्षित था, किंतु नवाथे मल्टीप्लेक्स की पीएमसी हेतु निविदा प्रक्रिया को मंजूरी प्रदान करते ही राष्ट्रगान शुरू कर दिया गया और सभा को खत्म कर दिया गया. यह तो सीधे-सीधे विपक्ष की आवाज को दबाने तथा मनमाने ढंग से काम करने का उदाहरण है. जिसे कदापि बर्दाश्त नहीं किया जायेगा और मनमाने ढंग से पारित किये गये प्रस्ताव पर प्रशासन को अमल भी नहीं करने दिया जायेगा. शेखावत व इंगोले के मुताबिक वर्ष 2007 में नवाथे परिसर की प्रस्तावित जगह का सरकारी मूल्य 10 करोड रूपये से अधिक था और आज उस जगह का बाजार मूल्य 100 करोड के आसपास है और यहां पर बनाये जानेवाले मल्टीप्लेक्स के साथ इस जगह की कीमत 300 करोड के आसपास पहुंच जायेगी. लेकिन मौजूदा सत्तापक्ष द्वारा इसे केवल साढे 7 करोड का प्रोजेक्ट बताया जा रहा है, यानी प्रोजेक्ट के लिए मनपा की जमीन मिट्टीमोल दाम में दी जा रही है. इससे मनपा को अच्छाखासा नुकसान हो सकता है. वहीं सत्ता पक्ष के पदाधिकारी शायद इससे काफी फायदे में रहेंगे. ऐसे में बेहद जरूरी है कि इस विषय को लेकर आमसभा में सभी सदस्यों की उपस्थिति के बीच चर्चा करायी जाये और सर्वसम्मति के बाद ही इस विषय को मंजुरी दी जाये.

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