अमरावतीमहाराष्ट्र

मेलघाट में जलसंकट, घडाभर पानी हेतु भटक रहे आदिवासी

प्रशासन का दुर्लक्ष

* चोरामल , धरमडोह, बेला, गौरखेडा बाजार, मोथा, खडीमल
चिखलदरा/दि.16– मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे मेलघाट के आदिवासियों को घडाभर पानी के लिए दूर- दूर तक जाना पड रहा है. अस्थायी उपाय के रूप में टैंकर से जलापूर्ति श्ाुरू की गई है. यह आपूर्ति अधूरी रहने से मेलघाट में जल किल्लत बनी हुई है.

चिखलदरा और धारणी तहसीलें मिलाकर 324 गांव मेलघाट में है. बीते अनेक वर्षो से कुपोषण, बालमृत्यु, माता मृत्यु के कारण यह क्षेत्र देशभर में चर्चित हुआ था. मेलघाट के अनेक गांवों में आज भी सडक, बिजली, पानी की समस्या कायम हैं. चोरामल , धरमडोह, बेला, गौरखेडा बाजार, मोथा, खडीमल आदि गांवों में जलसंकट तेज हो रखा है. ग्रीष्मकाल से पहले ही मेलघाट के गांवों में जलसंकट की समस्या न होने देने जिला प्रशासन ने नियोजन का दावा किया था. किंतु उसका अधिक असर दिखाई ही नहीं दिया.

* 28 वर्षो से टैंकर
चिखलदरा तहसील के खडीमल गांव में गत 28 वर्षो से ग्रीष्मकाल में टैंकर से जलापूर्ति की जाती है. हर साल गर्मियों से पहले गांव में जलसंकट न हो, इसके लिए प्रशासन नियोजन करता हैं. ग्रामीणों का कहना है कि यह नियोजन केवल कागज पर रहता हैं. प्रत्यक्ष में खडीमल में टैंकर से जलापूर्ति हो रही है. लगभग 1500 की आबादी वाले गांव में महिलाओं को पेयजल के लिए बडी दिक्कत झेलनी पड रही.

* गांव का तालाब सूखा
खडीमल और पास पडोस के गांवों में तालाब को गहरा करने की योजना थी. गर्मियों में इससे पानी की समस्या कुछ हद तक दूर हो सके. तालाब गहरा करने की निविदा प्रक्रिया शुरू की गई है. अभी मंजूर नहीं हुई है. जिससे बारिश में तालाब कब गहरा किया जायेगा, उसमें कितना पानी रह पायेगा, यह प्रश्न उपस्थित हो रहा है. अभी तो जलापूर्ति की करोडों की योजना अपूर्ण साबित हो रही है.

 

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