पानी की गुणवंत्ता की जांच भी अब इंटरनेट द्बारा
मुुंबई./ दि. 22– केन्द्र सरकार द्बारा जलजीवन मिशन अंतर्गत विविध उपक्रम चलाए जाते है. इसमें ग्रामीण जलापूर्ति यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी उपक्रम है. वह केन्द्र के नियंत्रण में होने पर भी उसे राज्य सरकार द्बारा अमल में लाया जाता है. यह उपक्रम कितने प्रभावपूर्ण तरीके से चलाया जाता है. इसकी जांच करना आवश्यक है. प्रत्येक साइट पर व्यक्तिगत तरीके से भेट देकर वह करना लगभग असंभव है. जिसके कारण अब यह जांच इंटरनेट ऑफ थिंग्स अर्थात आयटीओ के माध्यम से की जायेगी.
* नीरी को 100 गांव की जिम्मेदारी
इस प्रकल्प के प्रमुख व नीरी के शास्त्रज्ञ डॉ. आभार सारगावकर ेने इस संबंध में कहा कि केन्द्र सरकार ने इस आयओटी पर आधारित देखरेख प्रकल्प की जिम्मेदारी भी वैज्ञानिक व औद्योगिक संशोधन परिषद (सीएसआयआर) को सौंपी है. सीएसआयआर अंतर्गत आनेवाले सभी प्रयोगशाला के माध्यम से यह देखरेख की जायेगी. जिसमें नीरी को 100 गांव की जिम्मेदारी दी जायेगी.
* फिलहाल महाराष्ट्र के गांव नहीं
इस प्रकल्प में संशोधनात्मक काम के लिए लगनेवाला खर्च तथा गावस्तर पर अमल करने का खर्च राज्य सरकार करेगी. इस काम के लिए हाल ही में नीरी के पश्चिम बंगाल, हरयाणा, गोवा इस राज्य सरकार की चर्चा शुरू है. अभी तक महाराष्ट्र सरकार की चर्चा नही ं हुई.
* दृष्टिकोण में ..
* जलापूर्ति का समय और मात्रा नापने के लिए विशेष सेन्सर्स का उपयोग किया जायेगा.
* पानी की विशेषता भी सेन्सर्सद्बारा नापी जायेगी
* यह दोनों सेन्सर गांवस्तर पर जलापूर्ति की जगह लगाये जायेंगे
* यह सेन्सर्स इंटरनेट द्बारा सीएसआय के प्रयोगशाला में जोडे जायेंगे. उसके द्बारा यह देखरेख की जायेगी.