अमरावती

व्याघ्र प्रकल्प में बाघों की प्यास बुझाने में टैंकर से जलापूर्ति

भीषण गर्मी के चलते प्राकृतिक जलस्त्रोत सूख गए

* कृत्रिम पनघटों का वन्यजीवों को आसरा
* बारिश में विलंब होने से स्थिति हुई विकट
अमरावती/दि.21 – मृग नक्षत्र बीत जाने के बावजूद बारिश का कही कोई अता-पता नहीं है. वहीं तेज धूप व भीषण गर्मी का दौर अब भी चल रहा है. ऐसे में धीरे-धीरे नदी, नाले व तालाब जैसे सभी प्राकृतिक जलस्त्रोत सूखने लगे है. इसके चलते जंगलों में रहने वाले पशु-पक्षियों को अपनी प्यास बुझाने के लिए जंगल में इधर से उधर भटकना पड रहा है. इस बात के मद्देनजर व्याघ्र प्रकल्प सहित वन्य क्षेत्रों में बनाए गए कृत्रिम पनघटों में टैंकर के जरिए पानी भरा जा रहा है, ताकि बाघ सहित अन्य वन्यजीवों की प्यास बुझाई जा सके.
उल्लेखनीय है कि, विदर्भ क्षेत्र के मेलघाट, ताडोबा-अंधारी, पेंच, नवेगांव-नागझिरा व बोर अभयारण्य इन पांच व्याघ्र प्रकल्पों सहित पश्चिम महाराष्ट्र के सह्याद्री अभयारण्य में बाघों सहित वन्यजीवों की प्यास बुझाने के लिए जंगल क्षेत्र में जगह-जगह पर कृत्रिम पनघट बनाए गए है. ताकि वन्यजीवों को जंगल में काफी दूर तक पानी के लिए न भटकना पडे. इन कृत्रिम पनघटों में इस समय टैंकरों के जरिए पानी भरा जा रहा है. इस बार मार्च व अप्रैल इन 2 माह के दौरान बीच-बीच में बेमौसम बारिश होने के चलते जंगल में पानी की कमी महसूस नहीं की गई, लेकिन मई माह के दौरान आसमान से तेज धूप के तौर पर मानों आग बरस रही थी. जिसकी वजह से बाघों सहित अन्य वन्यजीवों पर पानी के लिए इधर से उधर भटकने की नौबत आन पडी. जिसे ध्यान में रखते हुए वनविभाग द्बारा व्याघ्र प्रकल्पों में बनाए गए कृत्रिम पनघटों में टैंकरों के जरिए पानी भरा जा रहा है. ताकि बाघों सहित वन्यजीवों को पानी के लिए इधर से उधर न भटकना पडे.
* शिकार के लिए 15 से 20 किमी की यात्रा करते हैं बाघ
जंगलों में बाघों को शिकार के लिए अमूमन 15 से 20 किमी की यात्रा करनी पडती है. इस दौरान शिकार के पीछे दौडने-भागने की वजह से थककर उन्हें प्यास भी लगती है. ऐसे में जंगल में जगह-जगह पर जलस्त्रोतों का रहना जरुरी है. परंतु इन दिनों समूचे विदर्भ क्षेत्र में भीषण गर्मी पड रही है और वनक्षेत्र में स्थित नैसर्गिक जलस्त्रोत पूरी तरह से सूख गए है. जिसके चलते बाघों सहित सभी तरह के वन्यजीवों का प्यास के मारे बुरा हाल होता है.
* मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के कई हिस्सों में कृत्रिम पनघट बनाए गए है. जहां पर टैंकरों के जरिए जलापूर्ति की जाती है. मई माह से भीषण गर्मी पडने के चलते पानी को लेकर काफी गंभीर समस्या बन गई है और बारिश में विलंब होने के चलते वन्य जीवों की तृष्णा तृप्ति अपने आपमें एक बडी समस्या है. जिसके चलते जंगल में जगह-जगह पर कृत्रिम पनघट बनाकर उनमें टैंकरों के जरिए पानी भरा जा रहा है.
– मनोकुमार खैरनार,
उपवन संरक्षक (क्राइम सेल),
मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प

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