एक साल में चौथी बार फूटी जलापूर्ति की पाइपलाइन
आज व कल जलापूर्ति रहेगी बंद, पूरा शहर रहेगा प्यासा
* 30 साल पुरानी मुख्य पाइपलाइन को नहीं बदलने का नतीजा
* बार-बार होने वाले लीकेज के बावजूद जनप्रतिनिधि गंभीर नहीं
* लीकेज बंद करने पाइपलाइन को ‘थिग्गल’ लगाकर चलाया जा रहा काम
अमरावती /दि.12- अमरावती व बडनेरा शहर को जलापूर्ति करने हेतु सिंभोरा बांध से तपोवन परिसर स्थित जलशुद्धिकरण केंद्र तक पानी पहुंचाने वाली भूमिगत मुख्य जलवाहिनी 30 वर्ष से भी अधिक पुरानी हो चुकी है. जो अब मजीप्रा अधिक शहरवासियों के लिए सिरदर्द साबित होने लगी है. क्योंकि आए दिन इस मुख्य पाइपलाइन में कहीं ना कहीं लीकेज होता रहता है. जिसकी दुरुस्ती करने के चक्कर में अमरावती शहर को होने वाली जलापूर्ति लगभग हर महिने एक-दो दिन के लिए बंद रहती है. जिसकी वजह से मजीप्रा की जलापूर्ति पर निर्भर रहने वाले लोगों को अच्छी खासी तकलीफों का सामना करना पडता है. क्योंकि ऐसे समय लोगों को अतिरिक्त पानी भरकर उसका स्टॉक रखने और उसे साफ-सुथरा रखने की कसरत करनी पडती है. परंतु हैरत की बात यह है कि, हर माह होने वाली इस समस्या व दिक्कत की ओर स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्बारा बिल्कुल भी गंभीरतापूर्वक ध्यान नहीं दिया जा रहा. वहीं अब मुख्य पाइपलाइन में की जाने वाली दुरुस्ती को लेकर आज 12 व कल 13 अक्तूबर ऐसे लगातार दो दिन इस बार फिर शहर की जलापूर्ति बंद रखने की घोषणा मजीप्रा द्बारा की गई है. जिसके चलते आम शहरवासियों का मजीप्रा सहित जनप्रतिनिधियों को लेकर गुस्सा फूटने की कगार पर है.
उल्लेखनीय है कि, अमरावती शहर में पहले ही एक-एक दिन की आड में जलापूर्ति होती है. इसमें भी प्रतिव्यक्ति 135 लीटर के हिसाब से मजीप्रा द्बारा नलों के जरिए पानी छोडा जाता है. इसमें भी यदि दो से तीन दिन जलापूर्ति बंद रखी जाती है, तो कितने दिनों का पानी भरकर रखा जाए, यह भी अपने आप में एक बडी समस्या है. क्योंकि यदि किसी इलाके में एक दिन के लिए जलापूर्ति बंदी रखी जाती है, तो हकीकत में उस क्षेत्र में पूरे 4 दिन के बाद पानी छोडा जाता है. क्योंकि मजीप्रा द्बारा शहर में सम व विषय संख्या वाली तारीखों के आधार पर अलग-अलग इलाकों मेें जलापूर्ति करने की पद्धति का अवलंब किया जाता है और अपनी इस पद्धति में मजीप्रा द्बारा कोई बदलाव नहीं किया जाता. फिर चाहे शहर में पानी को लेकर त्राहीमाम ही क्यों ना मचा हुआ हो. इससे पहले भी भीषण गर्मी वाले मौसम के दौरान अमरावती शहर में दो से तीन बार जलापूर्ति वाली मुख्य पाइपलाइन में लीकेज हो जाने की वजह से करीब एक-एक हफ्ते तक जलापूर्ति का काम ठप रहा. जिसकी वजह से शहर में त्राहिमाम वाली स्थिति बन ही गई थी.
बता दें कि, अप्पर वर्धा बांध के सिंभोरा स्थित पंप हाउस के जरिए 55 किमी लंबी मुख्य गुरुत्ववाहिनी के जरिए शहर के तपोवन स्थित जलशुद्धिकरण केंद्र तक पानी लाया जाता है. जहां से शहर में बिछायी गई करीब 1600 किमी लंबी भूमिगत पाइपलाइन के जरिए इस पानी को 1 लाख 5 हजार कनेक्शनधारकों के घरों तक पहुंचाया जाता है. मजीप्रा द्बारा निंभोरा से तपोवन तक पानी पहुंचाने हेतु करीब 30 वर्ष पहले 55 किमी लंबी भूमिगत पाइपलाइन डाली गई थी. जो अब कालबाह्य हो गई है तथा जगह-जगह से कमजोर हो चुकी इस पाइपलाइन में आए दिन कहीं ना कहीं लीकेज होता रहता है. जिसकी वजह से कभी दो दिन तो कभी 8 दिन अमरावती शहर की जलापूर्ति ंबंद रहती है और आम शहरवासियों को पानी की किल्लत से जुझते रहना पडता है. आए दिन होने वाली इस दिक्कत के चलते आम शहरवासी बुरी तरह से त्रस्त हो गए है.
यूं तो मजीप्रा द्बारा नई पाइपलाइन डालने के लिए सरकार के पास 900 करोड रुपए का प्रस्ताव काफी पहले भेजा गया था. जिसे केवल तत्वत: मंजूरी मिली है और इस प्रस्ताव को अंतिम मंजूरी मिलने का मामला लालफिताशाही में अटका पडा है. जिसे लेकर कागजी घोड नचाए जा रहे है. जिसे देखते हुए यह माना जा रहा है कि, नई पाइपलाइन डालने के प्रस्ताव को अंतिम मंजूरी दिलाने में कहीं ना कहीं स्थानीय जनप्रतिनिधियों की ताकत व मेहतन कम पड रही है. वहीं दूसरी ओर खुद मजीप्रा की आर्थिक स्थिति भी बेहद कमजोर चल रही है. क्योंकि मजीप्रा के 312.83 करोड रुपए अमरावती शहरवासियों की ओर बकाया है. जिसमें से सर्वाधिक 153.56 करोड रुपए की रकम अमरावती महानगरपालिका की ओर ही बकाया है. साथ ही जिला सामान्य अस्पताल की तरफ भी करीब 2 करोड रुपए बकाया चल रहे है. ऐसे में किसी समय मजीप्रा ने यह प्रस्ताव रखा था कि, अमरावती शहर में पीने के पानी की आपूर्ति करने की व्यवस्था मनपा द्बारा संभाली जाए. परंतु अपने पास मनुष्यबल ही उपलब्ध नहीं रहने के चलते मनपा ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करने से मना कर दिया था. वहीं दूसरी ओर मजीप्रा के पास भी मनुष्यबल का अभाव है और उन्हें पूरी व्यवस्था को ढंग से संभालने हेतु करीब 250 अधिकारियों व कर्मचारियों की आवश्यकता है. परंतु इस समय मजीप्रा में 45 स्थायी कर्मचारी है और शेष 177 ठेका नियुक्त कर्मचारी काम कर रहे है. जिनके भरोसे शहर में जलापूर्ति का काम किया जा रहा है. ऐसी स्थिति में नियमित तौर पर पानी का बिल अदा करने वाले लोगों को नाहक ही जलकिल्लत की समस्या का सामना करना पडता है.
* स्थायी समाधान खोजा जाना जरुरी
एक ओर तो प्रशासन द्बारा कहा जाता है कि, डेंगू का खतरा रहने के चलते साफ-सुथरा पानी एक जगह पर इकठ्ठा करके न रखा जाए, वहीं दूसरी ओर मजीप्रा द्बारा कहा जाता है कि, जलकिल्लत की समस्या से बचने के लिए हर कोई अपने घर मेें पानी भरकर रखे. ऐसे में यह समझ से परे है कि, पानी को लेकर किस पद्धति का अवलंब किया जाए. जिसके चलते आम शहरवासियों का मानना है कि, मुख्य जलवाहिनी में होने वाले लीकेज को लेकर स्थायी तौर पर समाधान खोजा जाना बेहद आवश्यक है. ताकि आए दिन होने वाली समस्या से छूटकारा मिले. शहरवासियों का गुस्सा इस बात को लेकर भी है कि, मजीप्रा ने किसी समय शहरवासियों को 24 घंटे जलापूर्ति उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया था. ऐसे में भले ही 24 घंटे नहीं, लेकिन कम से कम रोजाना तो जलापूर्ति की जाए और नागरिकों को उनकी जरुरत के हिसाब से पर्याप्त पानी उपलब्ध कराया जाए.
* गत वर्ष पूरे एक सप्ताह ठप थी जलापूर्ति
विगत एक वर्ष के दौरान मुख्य जलवाहिनी में चौथी बार लीकेज हुआ है. जिससे पहले गत वर्ष ऐन गर्मी के मौसम दौरान रहाटगांव परिसर में मुख्य पाइपलाइन फूट गई थी. जिसके चलते शहर की जलापूर्ति करीब एक सप्ताह तक बंद थी और नागरिकों को पानी के लिए दर-दर भटकना पडा था. उस समय लोगों को पीने के लिए कैन से तथा अपनी अन्य जरुरतों के लिए टैंकर से पानी खरीदना पडा था. मुख्य पाइपलाइन में लीकेज के साथ-साथ मजीप्रा द्बारा पंप व वॉल्व की दुरुस्ती तथा महावितरण के निर्देशानुसार विद्युत संबंधित कामों के लिए हर दो-तीन माह में कम से कम एक बार जलापूर्ति को बंद रखा जाता है. जिससे आम नागरिकों को काफी समस्याओं व दिक्कतों का सामना करना पडता है.
* इस बार तपोवन परिसर में हुआ है लीकेज
जानकारी के मुताबिक इस बार तपोवन परिसर स्थित जलशुद्धिकरण केंद्र से शहर को जलापूर्ति करने वाली पाइपलाइन में लीकेज हुआ है. जिसके चलते 12 व 13 अक्तूबर को शहर की जलापूर्ति बंद रखी जा रही है. शहर को जलापूर्ति करने वाली यह मुख्य गुरुत्विय जलवाहिनी है. जिसके चलते इसे तत्काल दुरुस्त करने के अलावा मजीप्रा के समक्ष अन्य कोई पर्याय नहीं है.
* मुख्य जलवाहिनी 30 वर्ष से अधिक पुरानी हो चुकी है. जिसके चलते कई स्थानों पर कमजोर हो जाने की वजह से इस पाइपलाइन में बार-बार लीकेज होता है. ऐसे में मजीप्रा की हर बार अच्छा खासा पैसा खर्च करते हुए इस पाइपलाइन को दुरुस्त करना पडता है. ऐसे में पूरी पाइपलाइन को बदलने हेतु हमने राज्य सरकार के पास प्रस्ताव भेजा है. जिसे तत्वत: मंजूरी मिल गई है. साथ ही इस प्रस्ताव को अंतिम मंजूरी मिलने पश्चात अमल में लाए जाने पर यह समस्या जल्द ही दूर हो जाएंगी.
* जलापूर्ति से संबंधित जानकारी
शहर में कनेक्शनधारक – 1,05,000
शहर में रोजाना पानी की मांग – 130 मिलियन लीटर
प्रतिव्यक्ति दिया जाने वाला पानी – 135 लीटर
सिंभोरा से तपोवन तक मुख्य जलवाहिनी की लंबाई – 55 किमी
शहर में जलापूर्ति हेतु डाली गई पाइपलाइन की लंबाई – 1600 किमी
* एक दिन आड वाली पद्धति भी बनी जी का जंजाल
विशेष उल्लेखनीय है कि, किसी समय मजीप्रा द्बारा शहर के सभी इलाकों को रोजाना अलग-अलग समय के टाइमटेबल अनुसार जलापूर्ति की जाती थी. परंतु जैसे ही अमरावती शहर में विशेष कर नांदगांव पेठ एमआईडीसी में औद्योगिक विस्तार होना शुरु हुआ. वैसे ही मजीप्रा ने पानी की कमी की वजह को आगे करते हुए तथा पानी की बर्बादी को रोकने का कारण बताते हुए शहर को दो हिस्सों में विभाजित कर दिया और दोनों हिस्सों में एक-एक दिन की आड लेकर जलापूर्ति करने की पद्धति पर अमल करना शुरु किया. जिसके लिए शहर के दोनों हिस्सों को सम व विषम संख्या वाली तारीखों के आधार पर ‘एकी-बेकी’ में विभाजित किया गया. परंतु समस्या तब उत्पन्न होती है, तब किसी इलाके में पानी आने वाली तारीख पर जलापूर्ति बंद रहती है, ऐसे इलाकों में मजीप्रा द्बारा उस तारीख के अगले दिन पानी नहीं छोडा जाता, बल्कि उससे भी अगले दिन जलापूर्ति की जाती है. ऐसे में संबंधित इलाके को पूरे 4 दिन बाद नलों के जरिए पानी मिलता है. जबकि कहने के लिए मजीप्रा द्बारा केवल एक दिन की जलापूर्ति बंद रखने की बात कहीं जाती है. वहीं इस बार मजीप्रा द्बारा लगातार दो दिन 12 व 13 अक्तूबर को जलापूर्ति बंद रखने की घोषणा की गई है. यानि जिन इलाकों में 10 अक्तूबर को जलापूर्ति हुई थी, वहां अब 14 अक्तूबर को जलापूर्ति होगी. वहीं जिन इलाकों में 11 अक्तूबर को पानी आया था. उन इलाकों में अब सीधे 15 अक्तूबर को पानी छोडा जाएगा. तारीखों के इस खेल को देखकर ही समझा जा सकता है कि, शहरवासी पानी को लेकर किस तरह की दिक्कतों का सामना कर रहे है. वहीं सरकार द्बारा नई पाइपलाइन डालने के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दिए जाने और खुद मजीप्रा की आर्थिक स्थिति खस्ताहाल रहने के चलते मजीप्रा द्बारा पुरानी व जर्जर हो चुकी पाइपलाइन में होने वाले लीकेज को दुरुस्त करने के लिए पैच यानि ‘थिग्गल’ लगाकर काम चलाया जा रहा है.