अमरावती

जलकिल्लत कृति प्रारुप 27 लाख रुपयों से घटा

इस बार बारिश की स्थिति रही बेहद शानदार

12 करोड 43 लाख रुपयों का प्रावधान
19 टैंकर लगाने पड सकते है
अमरावती/दि.25 – जिला परिषद ने अगले वर्ष के लिए जलकिल्लत कृषि प्रारुप को जिलाधीश के समक्ष प्रस्तूत कर दिया है. गर्मी में होने वाली संभावित जलकिल्लत से निपटने हेतु किए जाने वाले उपायो के लिए इस प्रारुप में 12 करोड 43 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है. इस प्रारुप में संभावित टैंकरों की संख्या 19 दिखाई गई है. गत वर्ष से तुलना करने पर इस प्रारुप में करीब 27 लाख रुपए की कमी आयी है.
गत वर्ष अक्तूबर माह के अंत तक जिले में बारिश होती रही. जिसका फायदा नदी-नालों, कुओ व बांधों का जलस्तर बढने के तौर पर दिखाई दिया. इस समय फरवरी माह खत्म होने में है और फिलहाल जिले के प्रमुख बांधों में करीब 70 फीसद के आसपास जलसंग्रह शेष है. इसके अलावा ग्रामीण इलाकों मेें जलस्त्रोतों की संख्या भी बेहद समाधानकारक है. जिसे देखते हुए जिला परिषद ने गर्मी के मौसम में संभावित जलकिल्लत से निपटने हेतु कृति प्रारुप तैयार किया है. जिसे अंतिम मान्यता के लिए जिला प्रशासन के समक्ष प्रस्तूत किया गया है. जिला परिषद द्बारा तैयार किए गए प्रारुप के मुताबिक जिले की 14 तहसीलों के 618 गांवों में इस बार गर्मी के मौसम दौरान 618 गांवों में जलकिल्लत की स्थिति बन सकती है. इन सभी स्थानों पर जलापूर्ति करने हेतु पानी के 19 टैंकर लगाने पड सकते है. इसके साथ ही 800 उपाययोजना, कुओं का अधिग्रहण, नल योजनाओं की दुरुस्ती अस्थायी पूरक योजना व कुप नलिका जैसे विभिन्न तरह के उपाय सुझाए गए है. साथ ही 12.48 करोड रुपयों का संभावित जलकिल्लत कृति प्रारुप अंतिम मान्यता के लिए जिलाधीश के समक्ष पेश किया गया है. जिस पर जिलाधीश द्बारा सोमवार तक अपनी अंतिम मुहर लगाए जाने की संभावना है.

27 लाख से घटा प्रारुप
गत वर्ष 12 करोड 7 लाख रुपयों का कृषि प्रारुप तैयार किया गया था. जिसमें 493 गांवों तथा 630 उपाय योजनाओं का समावेश था. साथ ही 27 स्थानों पर टैंकरों के जरिए जलापूर्ति करनी पडी थी. वहीं इस बार यद्यपि गांव और उपाय योजनाओं की संख्या बढी है. लेकिन प्रारुप की लागत घटी है. क्योंकि इस बार जलस्त्रोतों में जलसंग्रह की स्थिति शानदार है. साथ ही जलापूर्ति विभाग द्बारा कुओं के अधिग्रहण की कार्रवाई शुरु कर दी गई है.
विभाग ने सन 2022-23 के लिए संभावित जलकिल्लत से निपटने के लिए सीईओ के मार्गदर्शन में कृति प्रारुप तैयार किया है. जिसे अंतिम मान्यता के लिए जिला प्रशासन के पास भेजा गया है. जिसे जिलाधीश की मंजूरी मिलते ही इस पर अमल करना शुरु कर दिया जाएगा.
– संदीप देशमुख,
कार्यकारी अभियंता, जलापूर्ति विभाग, जिप

Related Articles

Back to top button