अमरावती

जलस्त्रोंतों का ‘जियो टैगिंग’ के दायरे में किया जाएगा समावेश

नागरिकों को मिलेगा शुद्ध और सुरक्षित जल

अमरावती / दि. ८– जिले के सभी जलस्त्रोंतों को जियो टैगिंग के दायरे में लाया जाएगा. जलस्त्रोत दूषित रहने से बढ़ने वाली बीमारियों का प्रमाण, निर्माण होने वाले किडनी संबंधी विकार रोकने के लिए जलस्त्रोतों को जियो टैगिंग के दायरे में लाया जाएगा. स्वच्छ जल से सुरक्षित जल अभियान के तहत जिले की जलयोजना के स्त्रोतों का जियो टैगिंग करने के बाद ही जलापूर्ति की जाए, यह मांग की जा रही थी. जिसे अब सफलता मिली है. जियो टैगिंग से शुद्ध और सुरक्षित जल नागरिकों के घर तक पहुंचेंगा. जिले में नल से जलापूर्ति योजनाओं के अस्तित्व के सभी जलस्त्रोंतों को जियो टैगिंग के दायरे में लाकर जल गुणवत्ता परीक्षण और एएफटीके द्वारा जांच की जाएगी. इसके लिए हर गांव की पांच महिलाओं को इस संबंध में प्रशिक्षण दिया गया है. इसके लिए जिले में स्वच्छ जल से सुरक्षा यह अभियान चलाया जा रहा है. जिले के जल व स्वच्छता विभाग ने इसके लिए कमर कसी है. शुद्ध और सुरक्षित पेयजल घर-घर नलकनेक्शन देने के लिए सरकार द्वारा जलजीवन मिशन अभियान शुरु किया है. ग्रामपंचायतों की सभी सार्वजनिक संस्थाओं को शुद्ध व स्वच्छ जल उपलब्ध करना, जलजीवन मिशन अंतर्गत जल गुणवत्ता, जलजीवन मिशन अंतर्गत केंद्र सरकार के जलजीवन सर्वेक्षण – २०२३ का भाग रहनेवाले स्वच्छ जल से सुरक्षा अभियान चलाया जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्र में यह अभियान चलाया जा रहा है. जल और स्वास्थ्य का नजदीक का संबंध है. ग्रामीण क्षेत्र के नागरिकों को शुद्ध व सुरक्षित जल उपलब्ध करने के लिए सभी ने सक्रिय सहभागिता दर्ज करने की जरूरत है.

जैविक व रासायनिक जांच
जिले के सभी जलस्त्रोतों की जैविक व रासायनिक जांच की जाएगी और इसकी रिपोर्ट ऑनलाइन वेबसाइट पर प्रस्तुत की जाएगी. इस अभियान अंतर्गत अस्तित्व में रहनेवाली सभी जलापूर्ति योजना, रेट्रो फिटिंग की जलापूर्ति योजना, व नई योजना के स्त्रोतों का जियो टैगिंग पूरा करना, सभी स्त्रोंतों का मानसून के पश्चात रासायनिक और जैविक जांच पूरी की जाएगी.

ग्रापं स्तर पर किट वितरित
पांंच प्रशिक्षित महिलाओं के माध्यम से पेयजल के सैम्पलों की जैविक और रासायनिक जांच की जाएगी. इसके लिए लगनेवाले आवश्यक किट ग्रामपंचायत स्तर पर वितरित किए गए है. जिले के जलस्त्रोतों की साल में एक बार रसायनिक जांच लैब के माध्यम से की जाती है. एफटीके किट द्वारा किस पद्धति से पानी की जांच करें, इस संबंध में प्रत्येक गांव की पांच महिलाओं को प्रशिक्षण देकर केंद्र सरकार की वेबसाइट पर उनके नाम अपलोड होंगे.
* क्या है जियो टैगिंग ?
पृथ्वी पर खिंची गई आडी समांतर रेखाओं को अक्षांश और खड़ी रेखा को रेखांश कहा जाता है. लेकिन खड़ी रेखा एकदूसरे से समांतर नहीं होती. अक्षांश और रेखांश का कोऑर्डिनेट्स (निर्देशांक) तैयार होता है. कोऑर्डिनेट्स का उपयोग कर किसी एक स्थान को निश्चित किया जा सकता है. जिसे जियो टैगिंग कहा जाता है.

Back to top button