हम किसी की ‘बी’ टीम नहीं, अपने हक की लडाई लड रहे
रिपाई महासचिव डॉ. राजेंद्र गवई का कथन
* दैनिक अमरावती मंडल के साथ की विशेष बातचीत
अमरावती/दि.6– आगामी लोकसभा चुनाव के लिए हमने महाविकास आघाडी हेतु अपने दरवाजे खुले रखे है. अमरावती संसदीय क्षेत्र में रिपाई हमेशा से ही कांग्रेस का स्वाभाविक सहयोगी दल रहा और कांग्रेस रिपाई गठबंधन के तहत यह सीट रिपाई के कोटे में छोडी जाती थी. जिसके चलते रिपाई नेता दादासाहब गवई यहां से सांसद निर्वाचित हुए थे. हालांकि इस समय यह सीट आरक्षित नहीं थी और अब तो यह सीट अनुसूचित जाति संवर्ग हेतु आरक्षित है. ऐसे में इस सीट पर रिपाई का दावा और भी अधिक बढ जाता है. यहीं वजह है कि, हम इस सीट पर अपना हक जता रहे है. परंतु हैरत व दुख की बात यह है कि, जहां एक ओर कांग्रेस के वरिष्ठ स्तर पर हमारे लिए स्थिति अनुकूल है. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के स्थानीय नेताओं द्वारा हमारी जडों को खोदने का काम किया जा रहा है. जिसे कदापि बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और समय आने पर कांग्रेस के स्थानीय नेताओं को इसका माकुल जवाब भी दिया जाएगा. इस आशय का प्रतिपादन रिपाई (गवई गुट) के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. राजेंद्र गवई द्वारा किया गया.
आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर रिपाई द्वारा की जा रही तैयारियों के संदर्भ में आज दैनिक अमरावती मंडल के संपादक अनिल अग्रवाल ने रिपाई महासचिव राजेंद्र गवई से विशेष तौर पर बातचीत की. इस साक्षात्कार में उपरोक्त प्रतिपादन करने के साथ ही रिपाई नेता डॉ. राजेंद्र गवई ने कहा कि, धर्मांध ताकतों को सत्ता से दूर रखने के लिए हम हमेशा से ही कांग्रेस व राकांपा के गठबंधन का हिस्सा रहे है. लेकिन यदि इस गठबंधन में हमारे अस्तित्व की अनदेखी की जाती है, तो गठबंधन के नेताओं को यह भी याद रखना चाहिए कि, धर्मांध ताकतों को सत्ता से दूर रखने का ठेका अकेले रिपाई ने ही नहीं उठाया है तथा ऐसे समय हम अपनी अलग राह पकडने के लिए स्वतंत्र भी है. इस समय डॉ. राजेंद्र गवई ने यह भी कहा कि, यदि अपने अस्तित्व को बचाये रखने हेतु जरुरत पडती है, तो वे महायुती के नेताओं के साथ भी हाथ मिलाने को लेकर बातचीत कर सकते है, लेकिन उसके लिए उन्हें स्थानीय स्तर के किसी नेता की जरुरत नहीं पडेगी, बल्कि वे सीधे राज्य के गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस से बात करने की ताकत रखते है.
इस समय पूछे गये एक सवाल का जवाब देते हुए रिपाई नेता डॉ. राजेंद्र गवई ने कहा कि, कुछ लोगों द्वारा रिपाई को राणा दम्पति की ‘बी’ टीम कहा जाता है. जबकि यह पूरी तरह से बेसिर पैर का आरोप है. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में नवनीत राणा के खिलाफ चुनाव लडते हुए उन्होंने 54 हजार से अधिक वोट हासिल किये थे तथा उस चुनाव में नवनीत राणा को हार का सामना करना पडा था. वहीं इससे पहले वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने रिपाई प्रत्याशी के तौर पर 2 लाख 52 हजार के आसपास वोट हासिल किये थे. इससे अमरावती जिले में रिपाई की स्वतंत्र ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है तथा हमें किसी की ‘बी’ टीम के तौर पर काम करने की जरुरत ही नहीं है. इस समय महाविकास आघाडी को लेकर अपनी नाराजगी का खुलकर इजहार करते हुए रिपाई नेता डॉ. राजेंद्र गवई ने कहा कि, वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव दौरान शरद पवार सहित कई बडे नेताओं ने उनके साथ कई बडे वादे किये थे. जिनकी आगे चलकर पूर्ति नहीं हुई. ऐसे में नाराजगी रहना स्वाभाविक है.
दर्यापुर के विधायक बलवंत वानखडे को कांगे्रस द्वारा अभी से ही लोकसभा चुनाव प्रत्याशी के तौर पर प्रचारित किये जाने पर भी अपनी नाराजी जताते हुए डॉ. राजेंद्र गवई ने कहा कि, बलवंत वानखडे किसी समय रिपाई के कार्यकर्ता हुआ करते थे और रिपाई की टिकट पर जिप सदस्य निर्वाचित हुए थे. जिन्हें खुद उन्होंने अपनी राजनीतिक पहुंच का उपयोग करते हुए जिप की दो समितियों का सभापति निर्वाचित करवाया था. वहीं बलवंत वानखडे आगे चलकर रिपाई छोडते हुए कांग्रेस में चले गये, ताकि उन्हें विधानसभा चुनाव का टिकट मिले और वह विधायक बने. जबकि वानखडे चाहते तो रिपाई में बने हुए कांग्रेस रिपाई गठबंधन के तहत रिपाई के टिकट पर भी दर्यापुर से विधायक निर्वाचित हो सकते थे. वहीं अब कभी जिप सदस्य रहने वाले बलवंत वानखडे को सांसद बनाने का सपना दिखाया जा रहा है. लेकिन अभी तो यह भी तय नहीं हुआ कि, महाविकास आघाडी के तहत अमरावती संसदीय सीट किस घटक दल के हिस्से में छूटेंगी. ऐसे में वानखडे को प्रत्याशी प्रचारित करने का कोई औचित्य नहीं है.
इस बातचीत के दौरान खुद को आज भी रिपाई एकता के लिए प्रयासरत बताते हुए डॉ. राजेंद्र गवई ने कहा कि, वे रिपाई एकता के लिए अपनी पार्टी का अध्यक्ष पद एड. प्रकाश आंबेडकर को देने हेतु तैयार है. साथ ही पार्टी के अन्य प्रमुख पद भी रिपाई के अन्य दलों से वास्ता रखने वाले नेताओं को देते हुए खुद पीछे रहने के लिए तैयार है. ताकि रिपब्लिकन आंदोलन और आंबेडकरी विचारधारा को गति मिल सके. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, वे हमेशा से ही अमरावती संसदीय सीट पर रिपाई के ‘उगता सूर्य’ चुनाव चिन्ह पर चुनाव लडने के पक्षधर रहे है तथा उनके पिता दिवंगत रा.सु. उर्फ दादासाहब गवई के जमाने से अमरावती संसदीय सीट पर उगता सूर्य चुनाव चिन्ह पर प्रत्याशी मैदान में उतरता आया है, यह परंपरा आगे भी जारी रहेगी और इस बार यदि उन्हें कही से कोई साथ नहीं मिला, तो भी वे अपने दम पर चुनाव लडेगे, यह बात अभी से तय है. गवई के मुताबिक चुनाव की घोषणा होने और एबी फार्म के भरे जाने तक उन्होंने सभी के लिए अपने दरवाजों को खुला रखा है.