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हमने किसी को नहीं दिया कोई छपाई का ठेका

समाज कल्याण सहायक आयुक्त माया केदार ने किया खुलासा

* विभाग के सरकारी टेंडर का झांसा देकर शहर में हुई है जालसाजी
* शिवम गजानन देशमुख लगा चुका है कई लोगों को चूना
* सभी को सावधान व सतर्क रहने की जरुरत
अमरावती /दि.26- विगत दिनों स्थानीय स्वावलंबी नगर परिसर में रहने वाले शिवम गजानन देशमुख नामक युवक द्वारा खुद को समाज कल्याण व विशेष सहाय्य विभाग की ओर से विभिन्न दस्तावेजों की छपाई का ठेका मिलने की बात कहते हुए कई लोगों को इसमें भागीदार बनाकर उन्हें अच्छा रिटर्न मिलने का झांसा देकर करीब 4 करोड रुपयों की जालसाजी किये जाने का मामला सामने आया था. इस मामले को सबसे पहले दैनिक अमरावती मंडल ने ही उजागर किया था और विस्तार के साथ खबर प्रकाशित की थी. जिसके बाद यह खबर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई. जिसका संज्ञान लेते हुए अब समाज कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त माया केदार ने स्पष्टीकरण जारी किया कि, उनके विभाग द्वारा लोगों को सरकारी योजनाओं की जानकारी देने अथवा किसी भी अन्य तरह का दस्तावेज तैयार करने हेतु छपाई का कोई टेंडर नहीं दिया गया है. अत: यदि कोई व्यक्ति इस संदर्भ मेें किसी भी तरह का कोई दावा कर रहा है, तो उस पर बिल्कुल भी भरोसा न किया जाए.
जिला सूचना अधिकारी कार्यालय के जरिए एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए समाज कल्याण विभाग की सहायक आयुक्त माया केदार ने बताया कि, उनके विभाग से छपाई टेंडर मिलने को लेकर जिन दस्तावेजों को दिखाया जा रहा है, वे पूरी तरह से फर्जी है. क्योंकि उनके विभाग द्वारा किसी को भी ऐसा कोई ठेका दिया ही नहीं दिया गया है. अत: ऐसी बातों पर बिल्कुल भी भरोसा न रखा जाये.
बता दें कि, विगत 9 दिसंबर को स्थानीय स्वावलंबी नगर परिसर में रहने वाला शिवम गजानन देशमुख नामक 30 वर्षीय युवक अचानक लापता हो गया था. जिसकी गुमशुदगी को लेकर उसके खिलाफ गजानन देशमुख ने गाडगे नगर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने के साथ ही शहर के एक अखबार में विज्ञापन भी प्रकाशित किया था. जिसमें कहा गया था कि, निजी साहुकारों द्वारा दी जाने वाली तकलीफ से तंग आकर शिवम देशमुख मुंबई जाने की बात कहते हुए घर छोडकर चला गया है. परंतु करीब डेढ माह बाद गुमशुदगी के इस मामले में एक ऐसी जानकारी सामने आयी है, जिसके मुताबिक नमूना की गली नं-4 में किसी समय प्रतोश प्रिंटर्स नामक छापखाना चलाने वाले शिवम देशमुख ने अमरावती शहर के करीब 10 से 12 लोगों को जमकर चूना लगाते हुए लगभग सवा 4 करोड रुपए ‘छाप डाले’ और इस रकम की अदायगी से बचने हेतु वह ‘अंडर ग्राउंड’ हो गया. जिससे उसके परिवार द्वारा गुमशुदगी बताया जा रहा है. इस मामले में शिवम के बहकावे मेें आकर उसके पास करीब 4 करोड 23 लाख रुपए की रकम का निवेश करने वाले नौ निवेशकों ने राजापेठ पुलिस थाने सहित शहर पुलिस आयुक्तालय पहुंचकर अपनी शिकायत दर्ज कराई है. जिसके जरिए गुमशुदगी के मामले से जुडा यह नया पहलू सामने आ रहा है.
* और भी कई लोगों शिवम ने बनाया था शिकार
इस संदर्भ में दैनिक अमरावती मंडल ने 20 जनवरी को विस्तार के साथ खबर प्रकाशित करते हुए पूरे मामले को उजागर किया था. जिसके बाद खुद को शिवम देशमुख द्वारा की गई ठगबाजी का शिकार बताने वाले लोगों की संख्या में अच्छा खासा इजाफा भी होता नजर आया तथा अन्य कई लोग भी खुद को शिवम की ठगबाजी का शिकार बताते हुए शिकायत दर्ज कराने हेतु आगे आये
* किसी ने क्रॉस एक्जामिन की जरुरत भी नहीं समझी
विशेष उल्लेखनीय है कि, शिवम देशमुख ने खुद को एक सरकारी महकमे से छपाई के काम का टेंडर मिलने की बात कही और बिल्कुल असली सरकारी आदेश की तरह दिखाई देने वाले टेंडर पत्र व कार्यारंभ आदेश दिखाये. जिसकी वजह से उसकी जान पहचान में रहने वाले लोगों ने बडी आसानी से उसकी बातों पर भरोसा कर लिया तथा किसी ने भी संबंधित महकमें में जाकर इस बारे में पूछताछ करने की जरुरत भी नहीं समझी, बल्कि शिवम देशमुख द्वारा दिखाये गये दस्तावेजों को ही असली मानकर उसे छपाई के ठेके के व्यवसाय में निवेश करने हेतु अच्छी खासी रकम दे दी. जो करीब 4 करोड रुपयों के आसपास थी.

* किसने कितना किया था निवेश?
इस संदर्भ में दैनिक अमरावती मंडल के हाथ लगी जानकारी के मुताबिक शिवम देशमुख द्वारा दिये गये झांसे में आकर प्रतिक ठाकरे ने 2 करोड 10 लाख रुपए, चंद्रशेखर पिंपले ने 1 करोड 23 लाख रुपए, अजय शिरभाते ने 53 लाख रुपए, संजू हिंगासपुरे ने 25 लाख रुपए, संजय ठाकरे ने 12 लाख रुपए, सूरज साहू ने 10 लाख रुपए, अमोल ढगे ने साढे 3 लाख रुपए तथा सचिन महात्मे ने 77 हजार रुपए का फायदा मिलने की लालच में निवेश किया था.

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