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हम नहीं पढे लेकिन बच्चों को पढाने का सपना

महिला दिन पर विशेष

* तडके 4 बजे से शुरू हो जाती है दिनचर्या
* छोटा उपहारगृह चलाकर भरते है परिवार का पेट
अमरावती/ दि. 8- हर माता-पिता का सपना रहता है कि उनके बच्चे पढ लिखकर बडे हो और अपने पैरों पर खडे रहे. भले ही माता-पिता ने घर की परिस्थिति के कारण ज्यादा न पढा हो. लेकिन वह रात दिन मेहनत मजदूरी कर अपने बच्चों को बडा देखना चाहते है. यही सपना राजकमल चौक के पास स्थित वनिता समाज से सटकर स्थित मामर्डे चाट भंडार की संचालिका तृप्ती अजय मामर्डे (45) का है. वह तडके 4 बजे से अपने पति के साथ काम में जुट जाती है. साथ ही अपनी दोनों बेटियों की शिक्षा का भी ध्यान रखती है.
शहर के न्यू शिक्षक कॉलनी गडगडेश्वर निवासी अजय मामर्डे और तृप्ती अजय मामर्डे नामक दंपत्ति को दो बेटियां है. दोनों बेटी शारदा कन्या विद्यालय में पढती है. बडी बेटी रेणुका 10 वीं में और छोटी बेटी श्रावणी 5 वीं कक्षा में है. अजय मामर्डे 7 वीं तथा उनकी पत्नी तृप्ती दूसरी कक्षा तक पढे है. घर की आर्थिक परिस्थिति को देखते हुए यह दंपत्ति पढ नहीं पाए है. लेकिन भले ही वह पढ न पाए हो किंतु उनका सपना है कि अब उनकी दोनों बेटियां पढ लिखकर बडी हो और अपने पैरों पर खडी हो सके. यही सपना संझोए मामर्डे दंपत्ति राजकमल चौक के पास वनिता समाज से सटकर छोटी सी मामर्डे चाट भंडारा के नाम से नाश्ते की दुकान चलाते है. दोनों बेटियां सुबह 7 बजे शाला में जाती है. इस कारण उनके लिए खाना बनाने से लेकर होटल में नाश्ता बनाने की पूरी तैयारी तृप्ती मामर्डे तडके 4 बजे से उठकर पूरी करती है और 6 बजे अपने पति के साथ दुकान में पहुंच जाती है. दुकान में आते ही वह अपने हाथों से ही पूरा नाश्ता तैयार करती है. उसे रजनी चव्हाण नामक एक महिला सहयोगी रहती है. नाश्ता बनाने से लेकर दुकान की साफ सफाई, नाश्ते के बर्तन धोने और ग्राहकों को नाश्ता देने का काम तृप्ती अपने पति के साथ करती है. उनका मकसद केवल एक ही है कि जो शाम तक बिक्री होने के बाद मुनाफा हो उससे अपनी दोनों बेटियों का देखा सपना पूरा हो सके. इसके लिए यह दंपति रात दिन अथक परिश्रम कर काम में जुटे रहते है. तृप्ती मामर्डे का कहना है कि वह एक महिला है और जीवन में जो उन्होंने संघर्ष किया है और करती आ रही है वह संघर्ष बेटियों को न करना पडे और वह पढ लिखकर अपने पैरों पर खडी हो इसके लिए वह और उसके पति रात दिन मेहनत कर रहे है. एक महिला होने के नाते उन्होंने अपनी छोटी सी होटल में सहयोगी के तौर पर भी एक महिला को ही साथ रखा है.

* महिलाएं किसी काम में कम नहीं
विश्व महिला दिवस के अवसर पर तृप्ती अजय मामर्डे ने कहा कि पुरूषों की तुलना में अब कोई भी महिला किसी काम में कम नहीं है. उन्हें अपने पति अजय मामर्डे से काम के प्रति काफी प्रोत्साहन मिलता है और इसी कारण वह सुबह से अपने घर का, दोनों बेटियों का और होटल का काम बखूबी संभाल लेती है.
तृप्ती मामर्डे ,
संचालिका मामर्डे चाट भंडार

 

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