अमरावती

हमें दानव नहीं मानव का निर्माण करना है

संत त्रिदिडी संन्यासी पूज्य लोकनाथ स्वामी महाराज का प्रतिपादन

* इस्कॉन यूथ फोरम, वीएमआईटी ध्रुवा क्लब नागपुर का मेगा यूथ फेस्टिवल
अमरावती/दि.26 – वर्तमान शिक्षा प्रणाली से हम मनुष्य का निर्माण नहीं कर रहे, बल्कि मनुष्य को पैसे कमाने की सिख दे रहे है. समाज में मनुष्य की बजाय दानव का निर्माण हो रहा है. दानवी प्रवृत्ति दमन करती है. हमें दानव नहीं मानव का निर्माण करना है. इसके लिए आध्यात्म जैसे भागवत गिता का अध्ययन करेंगे तो हम दानव से मानव में परिवर्तित हो सकते है. पूर्वकाल में गुरु शिष्य परंपरा अंतर्गत देश की सबसे बडी ग्रंथपूंजी को शिक्षा के माध्यम से छात्रों तक पहुंचाने का प्रयास किया जाता था. इसी कारण युवा पिढी को जीवन में आने वाली हर समस्यां का समाधान खोजने में आसानी होती थी. हमें आज की पिढी को यहीं सोच संस्कार के रुप में पूंजी के तौर पर सौंपनी है, ऐसा प्रतिपादन संत त्रिदिडी संन्यासी पूज्य लोकनाथ स्वामी महाराज ने किया.
स्थानीय संत ज्ञानेश्वर सांस्कृतिक भवन के लॉन में आयोजित इस्कॉन यूथ फोरम, वीएमआईडी ध्र्रुवा क्लब नागपुर के मेगा यूथ फेस्टीवल में दृष्टी विजन ऑफ लाईफ विषय पर उन्होंने युवा पिढी को मार्गदर्शन किया. कार्यक्रम में माडीशियस युवा प्रचारक त्रिदिडी सन्यासी प.पू. सुंदर चैतन्य गोस्वमी महाराज प्रमुख रुप से उपस्थित थे. कार्यक्रम का शुरुआत स्थानीय इस्कॉन मंदिर के प्रमुख तथा उपस्थित मान्यवरों के हाथों दीपप्रज्वलन से की गई. पूर्व पार्षद प्रनित सोनी व होटल गौरी इन के संचालक सचिन हिवसे के हाथों महाराज प्रभु को माल्यार्पण कर स्वागत किया गया. इस अवसर पर उद्यमी चंद्रकांत उर्फ लप्पीसेठ जाजोदिया, मनीष चोपडे, मालू इंडस्ट्रीज के प्रज्वल मालू, अंबादास चौधरी, अजिंक्य असनारे, गिरीष डागा, संगिता राठी, प्रा. सिताराम राठी आदि प्रमुख रुप से उपस्थित थे.
संत त्रिदिडी सन्यासी पूज्य लोकनाथ स्वामी महाराज ने कहा कि, आज की युवा पीढी को आत्मरुपी दृष्टी की आवश्यकता है. श्रीमद् भागवात गिताओं से कृष्ण भावनाओं को जनजन तक पहुंचाने की प्रेरणा मिलती है. मनुष्य हमेशा एक सवाल का जवाब ढूंढने में असमर्थ रहता है. वह यह है कि, मैं कौन हूं. जिस दिन मनुष्य को इस सवाल का जवाब मिलेगा, वह हर चुनौतियों का सामना कर सकता है. इस्कॉन यह ऐसी ही दृष्टी को पहुंचाने का माध्यम है. इस्कॉन का मुख्य उद्देश्य युवाओं को चरित्रवान और सुसंस्कृत बनाना है. समय के साथ हम विजन भुलते जा रहे है. इस दृष्टी को प्राप्त करने के लिए हर व्यक्ति को गुरुरुपी संत महात्माओं की व उनके विचारों की आवश्यकता है. अन्यथा मनुष्य काम, क्रोध, मोह, लोभ जैसी व्याधियों का शिकार होगा. संत महात्माओं के सानिध्य में जो ज्ञान हम अर्जित करते हैं, उससे उनकी उर्जा हमें प्राप्त होकर हमारे सकारात्मक विचार प्रज्वलित होते हैं. इसलिए युवा पीढी ने जीवन में एक बार इस्कॉन की सेवा का लाभ उठाकर भगवत गीता का ज्ञान अर्जित करना चाहिये. ऐसा सुझाव उन्होंने दिया.
कार्यक्रम के दौरान वे गौरंगा का जयघोष कर उपस्थित युवाओं को प्रोत्याहित व प्रेरित कर रहे थे. कार्यक्रम के दूसरे चरण में संकेत बोंद्रे निर्देशित तथा एड. चंद्रकांत तराल द्बारा निर्मित नाटिका सेटल प्रस्तुत की गयी. जिसके माध्यम से ईश्वर भक्ति यह आपको हर समस्या का समाधान खोजने में सहायता करती है, यह संदेश दिया गया. कार्यक्रम के तीसरे पडाव में मॉरिशियस मंत्रा यह सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया. जिसमें इस युवा महोत्सव के लिये विशेष रुप से पधारे मॉरिशियस के कलाकारों ने गीत संगीत कार्यक्रम के साथ नृत्य प्रस्तुत कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया. कार्यक्रम में बडी संख्या में युवा वर्ग सहभागी रहा. कार्यक्रम की समाप्ति प्रसादी वितरण से हुयी.

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