अमरावती

हमें चावल नहीं बल्कि रोटी चाहिए

राशन दुकान से 4 किलो चावल की बजाए उतना ही गेहूं दें

अमरावती/दि. 23– पिछले कुछ माह से राशन दुकान से गेहूं कम और चावल अधिक दिया जाता है. पश्चिम विदर्भ में लोगों का खाने में गेहूं की रोटी मुख्य अनाज है. इस तुलना में चावल कम मात्रा में खाया जाता है. लेेकिन डेढ-दो साल से गेहूं की आपूर्ति कम रहने का कारण सामने कर राशनकार्ड धारकों को प्रति व्यक्ति 5 किलो अनाज वितरण के तहत प्रतिमाह 4 किलो चावल और 1 किलो गेहूं ऐसा अनाज वितरित किया जा रहा है. राशन दुकान से प्रति माह 4 किलो चावल और 1 किलो गेहूं देने की बजाए 4 किलो गेहूं और 1 किलो चावल देने की मांग जिले के 9 लाख 20 हजार नागरिकों की तरफ से की जा रही है.

जिले में 3 लाख 12 हजार 325 केसरी, 1 लाख 22 हजार 665 अंत्योदय और 53 हजार 113 सफेद राशनकार्ड धारक है. सभी अंत्योदय राशन कार्ड व 17 हजार 569 केशरी राशनकार्ड धारकों को राशन दुकान से प्रतिमाह अनाज की आपूर्ति की जाती है. एक राशनकार्ड पर औसतन 4 लोगों का विचार किया तो 9 लाख 20 हजार से अधिक नागरिकों को राशन वितरित होता है. प्रति व्यक्ति 1 किलो गेहूं और 4 किलो चावल मिलने से प्रत्येक राशन धारकों को उनके घर के कुल सदस्य संख्या के मुताबिक प्रतिमाह 20 से 40 किलो चावल मिलता है. प्रत्येक माह इतना चावल कोई नहीं खाता. इस कारण चावल की कालाबाजारी शुरु है. नागरिक उन्हें राशन दुकान से मिलने वाला चावल बाजार में पहुंचकर खुलेआम दुकानदारों को बेच रहे हैं. शहर की अनेक बस्ती और जिले के छोटे गांव, कस्बों में तो लोगों से चावल खरीदी करने के लिए खरीदार वाहन लेकर घूमते दिखाई देते हैं. कुछ खरीददार तो 2 किलो चावल के बदले 1 किलो शक्कर का लेन-देन भी करते हैं.

Related Articles

Back to top button