अमरावतीमहाराष्ट्र

यूं ना हमको दरो-दीवार से देखा जाए, बाअसर हैं हम, हमें मेयार से देखा जाए

शानदार रहा सप्तरंगी संस्था व महक मल्टीपर्पज फाउंडेशन के ईद मिलन व काव्यगोष्ठी का आयोजन

अमरावती /दि.17– स्थानीय महक मल्टीपर्पज फाउंडेशन द्वारा हाल ही में सप्तरंगी हिंदी साहित्य संस्था के संयुक्त तत्वाधान के तहत काव्यगोष्ठी व ईद मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. जिसमें अपनी साहित्य विधा से अमरावती का नाम रोशन करनेवाले कवियों व साहित्यकारों का स्मृतिचिन्ह, शॉल व पुष्पगुच्छ प्रदान कर सत्कार किया गया. महक मल्टीपर्पज फाउंडेशन की अध्यक्षा व सप्तरंगी हिंदी साहित्य संस्था की सदस्या नरगिस अली के वलगांव रोड पर पैराडाईज कॉलोनी स्थित निवासस्थान पर आयोजित इस काव्यगोष्ठी में सभी रचनाकारों ने अपनी एक से बढकर एक रचनाएं सुनाई और आयोजन के अंत में सभी ने शीरखुरमा का आनंद लिया.
इस आयोजन में बतौर प्रमुख अतिथि जिप की पूर्व अध्यक्षा सुरेखा ठाकरे उपस्थित थी. जिनके हाथों अमरावती का नाम रोशन करनेवाले साहित्यकारों के तौर पर सप्तरंगी हिंदी साहित्य संस्था के अध्यक्ष शंकर भूतडा, रामसजीवन दुबे ‘साजन’, बरखा शर्मा ‘क्रांति’, नीलिमा भोजने ‘नीलम’, नरेंद्र देवरणकर ‘निर्दोष’ व प्रीतम जौनपुरी का महक मल्टीपर्पज फाउंडेशन की अध्यक्षा नरगिस अली व कोषाध्यक्ष जावेद अली द्वारा पुष्पगुच्छ, शाल व स्मृतिचिन्ह देकर सत्कार किया गया. जिसके उपरांत शुरु हुई काव्यगोष्ठी में वरिष्ठ कवि रामसजीवन दुबे ‘साजन’ ने ‘यहीं कहीं बिखरी पडी है जिंदगी मेरी, उन्हीं यादों को चुन रहा हूं मैं’ जैसी रचना सुनाकर समां बांध दिया. पश्चात दीपक सूर्यवंशी ‘दीपक’ ने ‘मुझको पागल समझ पत्थर न उठाओ यारों, मैं भी इन्सान हूं सीने से लगाओ यारों’ गजल सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया.
इस समय वरिष्ठ पत्रकार व कवि चंद्रप्रकाश दुबे ‘असीम’ ने हिंदू-मुस्लिम एकता पर जोर देते हुए सुनाया कि, ‘मैं राख होकर आउंगा, तुम खाक होकर आना, जर्रा-जर्रा ही सही मिलेंगे कभी वहां जरा.’ वहीं कवि चंद्रभूषण किल्लेदार ने अपनी रचना से मोहब्बत का संदेश देते हुए सुनाया कि, ‘उनकी मोहब्बत में डूबा हुआ वो व्यक्ति अब दिवानों की तरह घूमता-फिरता है.’ साथ ही संतोष हांडे ने जिंदगी का मर्म सुनाते हुए कहा कि, ‘जिंदगी की उलझने सुलझाना बाकी हैं दोस्तो, उधार की जिंदगी है कुछ हिसाब चुकाना बाकी हैं दोस्तो.’
इस समय कवियित्री बरखा शर्मा ‘क्रांति’ ने एक से बढकर रचनाएं सुनाई और ‘एक पन्ने पर रहकर हम कुछ शब्दों के फासले पर जीते है, वो मुझझे और मैं उनसे बात करने के बहाने ढुंढते हैं’ इस कविता पर सभी की जमकर वाहवाही लूटी. जिसके बाद नरेंद्र देवरणकर ‘निर्दोष’ ने अपनी रचनाओं से सभी को भावविभोर करते हुए सुनाया कि, ‘चेहरे पर चेहरा लगाकर चेहरा बदल देंगे, बस काम निकलने दो वो अपना लहजा बदल देंगे.’ जिसके साथ ही काव्यगोष्ठी की आयोजक एवं महक मल्टीपर्पज फाउंडेशन की अध्यक्षा नरगिस अली ने हिंदी सहित उर्दू अदब की बानगी पेश करते हुए सुनाया कि, ‘यूं ना हमको दरो-दीवार से देखा जाए, बाअसर हैं हम, हमें मेयार से देखा जाए.’ वहीं काव्यगोष्ठी का सफल संचालन करते हुए सभी को हंसानेवाले प्रीतम जौनपुरी ने अपनी हास्यव्यंग वाली रचना सुनाते हुए कहा कि, ‘तुम्हारे पास मां है मगर टेंशन है, हमारे पास बाबूजी है और उनकी टेंशन है.’
काव्यगोष्ठी के अंत में सप्तरंगी हिंदी साहित्य संस्था के अध्यक्ष शंकर भूतडा ने कौमी एकता की बात कहते हुए सुनाया कि, ‘चाहे हिंदू हो या इसाई, चाहे बुद्ध हो या मुस्लिम भाई, मिलकर सब बोले हम, वंदे मातरम्.’ काव्यगोष्ठी के समापन अवसर पर महक मल्टीपर्पज फाउंडेशन के सचिव जावेद अली ने आभार प्रदर्शन किया. इस आयोजन में मनोहर तिखिले, सत्यप्रकाश गुप्ता, अलका देवरणकर, अमिता दुबे, अरशद अली, मो. कश्वीब एवं शमीम परवीन आदि की विशेष उपस्थिति रही. काव्यगोष्ठी के उपरांत सभी ने ईद मिलन के तहत शीरखुरमा व नाश्ते का लुत्फ उठाया.

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