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फटी बनियान पहनकर ‘बलीराजा’ ने अपने ‘सर्जा-राजा’ को पहनाया रेशम

इस बार पोले पर भी रहा महंगाई का साया

* बैलों के श्रृंगार साहित्य के दामों में 20 फीसद की वृध्दि
अमरावती/दि.26- आज किसानों द्वारा पूरे सालभर अपने साथ खेतों में कंधे से कंधा मिलाकर मेहनत करनेवाले और काली मिट्टी में पसीना बहानेवाले अपने भरोसेमंद साथी बैलों का पूजन करते हुए बैल पोले का पर्व मनाया गया. जिसके लिए बैलों का आकर्षक ढंग से साज-श्रृंगार किया गया और उन्हें किसी दुल्हे की तरह सजाया गया. किंतु ऐसा करने में इस वर्ष किसानों को हमेशा की तुलना में कुछ अधिक पैसा खर्च करना पडा. क्योेंकि इस वर्ष बैलोें के साज श्रृंगार साहित्य पर महंगाई का साया मंडराता दिखा और सभी तरह के श्रृंगार साहित्य के दाम इस वर्ष 20 से 25 फीसद अधिक रहे, लेकिन इसके बावजूद खुद फटी बनियान पहनकर घुमनेवाले ‘बलीराजा’ ने अपने ‘सर्जा-राजा’ को मखमली व रेशमी झूल से सजाया.
उल्लेखनीय है कि, बैलों को किसानों के सुख-दुख का सबसे सच्चा और भरोसेमंद साथी कहा जाता है. यही वजह है कि, पोले का त्यौहार मनाने हेतु कोई भी किसान किसी भी तरह की कोर-कसर नहीं छोडता. विगत दो वर्षों से पोले के पर्व पर भी कोविड की महामारी का साया मंडरा रहा था. ऐसे में उन दो वर्षोें के दौरान पोले का पर्व बडे सीमित स्वरूप में मनाया गया. परंतु इस वर्ष कोविड का संकट दूर हो जाने के चलते पोले का पर्व बडी धूमधाम से मनाने के लिए किसान काफी पहले से तैयारी में जुट गये. सबसे खास बात यह भी रही कि, गिले अकाल की स्थिति रहने के चलते पहले से आर्थिक दिक्कतोें में फंसे किसानों द्वारा अपने ‘सर्जा-राजा’ के साथ पोले का पर्व मनाने के लिए पैसा उधार भी लाया गया, ताकि बैलजोडियों के साज-श्रृंगार में किसी तरह की कोई कमी न रह जाये.

* ‘सर्जा-राजा’ के श्रृंगार साहित्य के दाम
साहित्य       गत वर्ष के दाम          इस वर्ष के दाम
झूल              1200                          1500
सूत              120                            150
गेठा             90                               120
रेशम           200                             200
गोंडे             100                            100
घागरमाल   2000                          2200
मोरकी         60                              80
कवडीमाल   350                           400
वेसनजोडी   100                           120

* 25 फीसद बढी महंगाई
– इस वर्ष सभी क्षेत्रोें में महंगाई अपने चरम पर है और सभी वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे है.
– कच्चे माल के दाम बढने की वजह से बैलोें के साज-श्रृंगार साहित्य के दाम भी बढ गये है. ऐसे में बैलोें के श्रृंगार साहित्य के दामों में 20 से 25 फीसद की वृध्दि देखी जा रही है.

* बैल पालना हुआ महंगा
इन दिनों बैलों की कीमतें काफी अधिक बढ गई है और उनके चारे-पानी पर भी काफी खर्च करना पडता है. जिसके परिणामस्वरूप अल्प भूधारक किसानों के लिए बैलजोडी पालना काफी महंगा सौदा साबित होता है. वही इसकी तुलना में खेतोें में जुताई व बुआई के काम करने हेतु ट्रैक्टर का प्रयोग करना अपेक्षाकृत रूप से सस्ता पडता है. जिसकी वजह से अब कई किसानों ने अपने यहां बैलजोडी रखना ही बंद कर दिया है.

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