अमरावती

मौसम परिवर्तन से संक्रमण का खतरा

डॉ. अरबट के कथन

अमरावती/दि.25 – इस साल गर्मी अपेक्षाकृत लंबी चली . हालाकि बाद की बारिश थोडी ठंडी हो गई है. लेकिन वातावरण में बदलाव से वायरल और बैक्टीरिया के प्रकोप का खतरा है. एक अध्ययन के अनुसार बरसात के मौसम में वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा अन्य मौसमों की तुलना में दोगुना अधिक होता है. अशोक अरबट ने कहा कि बदलते मौसम, विशेषकर बरसात के मौसम में तापमान में अचानक गिरावट और आर्द्रता में वृध्दि के कारण, बैक्टीरिया और वायरस शरीर को संक्रमित करते है और सर्दी और बुखार, गले में खराश , ठंड लगना और बुखार आदि समस्याएं आ सकती है. इसके अलावा मच्छरों की संख्या में वृध्दि से मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया तथा नागरिको को हैजा, टायफाइड और हेपेटाइटिस जैसी जलजनित बीमारियों का भी खतरा है. इसके अलावा प्रदूषण वातावरण से श्वसन संबंधी विकार, हदय रोग और फेफडों के कैंसर का खतरा होता है. लैंग्स की बीमारियों के लिए बरसात का मौसम बेहद संवेदनशील होता है. इस पर डॉ. अरबट ने कहा कि अस्थमा, सीओपीडी, पुरानी खांसी और फेफडों के कैंसर के मरीजों में वायरस और बैक्टीरिया से शुरूआती जटिलताएं विकसित होने की संभावना अधिक होती है. इसलिए उन्हें अतिरिक्त ध्यान रखना चाहिए. इसके अलावा उम्र से संबंधित मस्तिष्क विकार जैसे अल्जाइमर और पार्किंगस्म के मरीज भी वातावरण मेें बदलाव से प्रभावित हो सकते है. कोविड-19 विकारों का खतरा अभी कम नहीं हुआ है. अन्य विकारों वाले लोगोें को मास्क और सोशल डिस्टेसिंग का पालन करना चाहिए. इसके अलावा डॉ. अरबट ने बूस्टर डोज लेने को प्राथमिकता देने की भी अपील की. इसके अलावा सभी को फ्लू के टीके के साथ साथ वरिष्ठोें को सामन्यूमोकोकल वैक्सीन लेने को प्राथमिकता देनी चाहिए. वनों की कटाई, जीवाश्म इंधन के अति प्रयोग के कारण प्रदूषण बढ रहा है और ग्लोबल वार्मिग बढ रही है. स्पष्ट है कि यह तापमान ग्रीन हाऊ स गैसों के बढने के कारण बढ रहा है. साथ ही पार्टिकुलेट मैटर के प्रदूषण में वृध्दि से सांस संबंधी बीमारियों का खतरा भी बढ जाता है. ऐसे समय में समग्र जलवायु परिवर्तन और समाज पर इसके प्रभाव का अध्ययन करने का समय आ गया है, ऐसा भी डॉ. अरबट ने कहा.

* टीकाकरण की आवश्यकता
हालांकि कोविड-19 का खतरा कम हुआ है. लेकिन सांस संबंधी बीमारियों का खतरा अभी भी बना हुआ है. इसलिए कोविड बुस्टर के साथ फ्लू और न्यूमोकोकल रोगों की वैक्सीन से जोखिम कम होती है. साथ ही सोशल डिस्टेसिंग और मास्क का इस्तेमाल जरूर करे.
डॉ. अशोक अरबट,
वरिष्ठ श्वसन रोग, विशेषज्ञ

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