अमरावती

कोरोना काल में घटा डॉक्टरों का वजन

मरीजों के इलाज हेतु जमकर चल रही दौडभाग

  • चौबीसों घंटे फोन कॉल पर हाजीर रहना अनिवार्य

  • कई डॉक्टर दो से तीन बार हो चुके है संक्रमित

अमरावती/दि.28 – कोविड संक्रमण की पहली लहर से जहां शहरी क्षेत्र में हडकंप मचा रहा, वहीं दूसरी लहर ने ग्रामीण क्षेत्रोें में कहर ढाया. विगत फरवरी माह से लगातार बढ रहे कोविड संक्रमण की वजह से इस समय अमरावती जिला रेड झोन में शामिल है और जिले के सर्वाधिक कोविड संक्रमित मरीज सुपर स्पेशालीटी अस्पताल में भरती है. जहां पर इससे पहले रोजाना एक हजार के आसपास मरीजों का पहुंचना बेहद आम बात हो गई थी. ऐसे में इन सभी मरीजों की जांच और देखभाल करने हेतु डॉक्टरों को अच्छीखासी दौडभाग करनी पड रही है. जिसकी वजह से जहां एक ओर कई डॉक्टर एक से अधिक बार कोविड संक्रमण की चपेट में आये, वहीं दूसरी ओर लगातार चल रही दौडभाग की वजह से डॉक्टरों को अपने खान-पान व स्वास्थ्य की ओर ध्यान देने की फुरसत नहीं है. ऐसे में उनका वजन लगातार घट रहा है.
बता दें कि, इस समय डॉक्टरों को 24 घंटे ऑन कॉल रहने हेतु कहा गया है. ऐसे में कब किसका फोन आयेगा, इसका भरोसा नहीं रहता और हर फोन कॉल को अटेंड करने के साथ ही समय पडने पर अस्पताल भागना पडता है. इन दिनों पहले की तुलना में मरीजों की संख्या अपेक्षाकृत तौर पर काफी हद तक घटी हुई दिखाई दे रही है. ऐसे में डॉक्टरों पर काम का बोझ कुछ हलका हुआ है. किंतु इससे पहले लंबे समय तक उन्हें जमकर दौडभाग करनी पड रही थी.

स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी

– रोजाना भोजन में अंकुरित अनाज लेना जरूरी, ताकि इससे रोग प्रतिकारक क्षमता बढे.
– पीले रंगवाले आम, नींबू, मोसंबी व संतरे जैसे फलों का दैनिक आहार में समावेश किया जाये.
– अंडे, दूध व दाल सहित सलाद एवं हरी सब्जियों का नियमित सेवन जरूरी, ताकि इस जरिये समूचित मात्रा में प्रोटीन मिले.

  • कोविड संक्रमित मरीजों की संख्या बढने की वजह से डॉक्टरों की दिनचर्या बदल गयी. पूरा दिन बैठक, वेबीनॉर व मरीजों के इलाज में व्यस्त रहने की वजह से काफी दौडभाग करनी पड रही थी. ऐसे में अपने आप ही वजन पर असर पडा. किंतु इसके बावजूद हर किसी ने बेहद तत्परता के साथ काम किया.
    – डॉ. दिलीप रणमले
    जिला स्वास्थ्य अधिकारी
  • यूं तो सभी डॉक्टरों की ड्यूटी आठ घंटे की होती है. किंतु उन्हें चौबीसों घंटे ऑन कॉल उपस्थित रहना होता है. कब किस वक्त कौनसी दिक्कत आ जायेगी, यह तय नहीं होता. फरवरी से अप्रैल माह तक बडी संख्या में कोविड पॉजीटीव मरीज पाये जा रहे थे. जिसकी वजह से विविध उपाययोजनाओं के लिए सभी कोविड अस्पतालों में डॉक्टरों की दौडभाग दिखाई दे रही थी और इसी दौडभाग की वजह से आज इस महामारी को नियंत्रण में लाया जा सका है.
    – डॉ. श्यामसुंदर निकम
    जिला शल्य चिकित्सक, अमरावती.
  • इस समय सभी डॉक्टरों पर काफी अधिक जिम्मेदारियां है और हर स्थान पर कई तरह की समस्याएं भी है. जिन्हें हल करने हेतु तमाम आवश्यक नियोजन करने पडते है और कई बार दिन-रात ऑक्सिजन आपूर्ति की ओर भी ध्यान देना पडता है. कोविड संक्रमण काल के चलते डॉक्टरों के पास खुद की ओर ध्यान देने का समय ही नहीं बचा. जिसका परिणाम डॉक्टरों के स्वास्थ्य पर पड रहा है.

लगातार दौडभाग, 24 घंटे अलर्ट

इस समय कोरोना के साथ-साथ सारी व ईली जैसी संक्रामक बीमारियों के मरीज भी बडी संख्या में पाये जा रहे है. इन सभी मरीजों का इलाज करने और उनकी देखभाल करने हेतु डॉक्टरों को अच्छीखासी दौडभाग करनी पड रही है.
– अपनी आठ घंटे की नियमित ड्युटी के अलावा डॉक्टरों को चौबीसों घंटे अलर्ट पर रहना पड रहा है और वक्त-बे-वक्त आनेवाली कॉल को अटेंड करने के साथ ही जरूरत पडने पर अस्पताल की ओर भागना पडता है. ऐसे में डॉक्टरों की दिनचर्या पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गई है.

सुपर कोविड में 35 डॉक्टर व 431 स्वास्थ्य कर्मी

बता दें कि, जिले के एकमात्र व सबसे बडे सरकारी सुपर कोविड अस्पताल में 450 बेड की व्यवस्था की गई है और इस अस्पताल में विगत एक वर्ष से सर्वाधिक कोविड संक्रमित मरीज भरती कराये गये. जिनके इलाज हेतु यहां पर 35 डॉक्टरों सहित 431 स्वास्थ्य कर्मियों की टीम दिन-रात काम कर रही है.

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