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पश्चिम विदर्भ की झोली में अब तक एक भी ‘वंदे भारत’ नहीं

जनप्रतिनिधियों की राजनीतिक इच्छा शक्ति पड रही कम

अमरावती/दि.16 – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आज 3 वंदे भारत रेलगाडियों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया. जिनमें नागपुर सिकंदराबाद वंदे भारत ट्रेन सहित पुणे-हुबली तथा कोल्हापुर-पुणे वंदे भारत ट्रेन का समावेश है. यानि 2 वंदे भारत ट्रेनें पश्चिम महाराष्ट्र के हिस्से में आयी है. वहीं नागपुर से वर्धा व बल्लारशाह होते हुए सिकंदराबाद की ओर जाने वाली एक वंदे भारत ट्रेन पूर्वी विदर्भ को मिली है. साथ ही हमेशा की तरह इस बार भी तमाम तरह की नई परियोजनाओं से दूर रहने वाले पश्चिमी विदर्भ यानि अमरावती संभाग के पांचों जिलों के हिस्से में एक भी वंदे भारत ट्रेन नहीं आयी और वंदे भारत ट्रेन के मामले में पश्चिम विदर्भ की झोली अब भी खाली है.
बता दें कि, नागपुर सहित मुंबई व पुणे में मेट्रो ट्रेन सेवा जैसी महत्वाकांक्षी परियोजना पूरी तरह से बनकर हकीकत में साकार भी हो चुकी है. साथ ही इन तीनों महानगरों से वंदे भारत ट्रेन सेवा भी शुरु हो चुकी है. जिसके तहत नागपुर स्टेशन से नागपुर-बिलासपुर वंदे भारत ट्रेन का परिचालन काफी पहले ही शुरु हो चुका था और अब नागपुर के हिस्से में दूसरी वंदे भारत ट्रेन आयी है. वहीं अमरावती सहित पश्चिम विदर्भ में शामिल रहने वाले अन्य चारों जिले अब तक वंदे भारत ट्रेन मिलने का इंतजार ही कर रहे है.
विशेष उल्लेखनीय है कि, इससे पहले मुंबई-शेगांव व पुणे-शेगांव वंदे भारत ट्रेन चलाये जाने की चर्चा बडे जोर-शोर से शुरु हुई थी. साथ ही साथ नागपुर से मुंबई के बीच भी वंदे भारत ट्रेन चलाये जाने की मांग उठाई गई थी. किंतु इसमें से एक भी वंदे भारत ट्रेन अब तक शुरु नहीं हो पायी है. यदि इन तीनों में से कोई भी ट्रेन शुरु हो जाती है, तो पश्चिम विदर्भ के हिस्से में कम से कम एक वंदे भारत ट्रेन जरुर आयी होती. खास बात यह है कि, इस समय अमरावती के भाजपा नेता डॉ. अनिल बोेंडे राज्यसभा में सांसद है. वहीं अकोला से भाजपा के अनूप धोत्रे लोकसभा के सदस्य है. साथ ही बुलढाणा से शिंदे गुट के सांसद प्रतापराव जाधव केंद्र सरकार में राज्य मंत्री है. ऐसे में इन तीनों नेताओं द्वारा अपनी राजनीतिक इच्छा शक्ति व अपने क्षेत्र के प्रतिबद्धता दिखाई जाती, तो विकास की दौड में पिछडे रहने वाले पश्चिम विदर्भ के हिस्से में कम से कम एक वंदे भारत ट्रेन तोे निश्चित तौर पर प्राप्त होती. लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ है. जिसके लिए पूरी तरह से स्थानीय जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता को जिम्मेदार बताया जा सकता है.

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