* सत्तारुढ तीनों दलों व्दारा उपेक्षा
अमरावती/दि.22- पश्चिम विदर्भ अथवा राजस्व विभाग की भाषा में कहे तो अमरावती संभाग को 14 माह हो गए मंत्री पद का इंतजार करते हुए. अनेक दावेदार रहने के बावजूद अमरावती, अकोला, वाशिम, बुलढाणा को पद नहीं मिला है. जिससे राजनीतिक हलकों में चर्चा हो रही है कि इस क्षेत्र से केवल शिवसेना शिंदे गट के संजय राठोड को ही लिया गया है, बाकी नेता महीनों से इंतजार कर रहे हैं. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की भाषा में कहे तो अनेक इच्छुकों ने शपथ ग्रहण के लिए सूट सिलवाकर तैयार रखे हैं, मगर पार्टी से संदेशा नहीं आया.
पश्चिम वर्हाड की देखा जाए तो शासन दरबार में उपेक्षा होती रही है. जिसके कारण अनेक कारणों से यहां की समस्याएं भी जस की तस है. यवतमाल छोडकर संभाग में विधानसभा के 23 क्षेत्र है. जिसमें अकोला को भाजपा का गढ माना जाता है. जिले की चार सीटों पर भाजपा के विधायक है. उनमें वरिष्ठ नेता गोवर्धन शर्मा, रणधीर सावरकर, हरीश पिंपले, प्रकाश भारसाकले हैं. सावरकर का नाम मंत्री पद हेतु अग्रक्रम पर था. उन्हें भाजपा ने प्रदेश महासचिव और विधानमंडल पार्टी भी बना दिया. जिससे उनकी संभावना कम हो गई. वाशिम जिले में भाजपा के दो विधायक राजेंद्र पाटनी तथा लखन मलिक हैं. पाटनी का नाम मंत्री पद के लिए कुछ समय पहले चर्चा में था. मगर उन्हें अवसर नहीं मिला.
बुलढाणा जिले से मंत्री पद के कई नाम सामने आए, बडी चर्चा भी छिडी. जिसमें शिवसेना के विधायक संजय रायमुलकर और संजय गायकवाड ने एकनाथ शिंदे के विद्रोह में सूरत, गुवाहाटी सभी जगह साथ दिया. बुलढाणा जिले में शिवसेना शिंदे को मजबूत बनाया. जिससे एक विधायक के मंत्री बनने की प्रबल संभावना बताई गई. एकनाथ शिंदे ने जब शपथ ली, उस समय भी मौका नहीं दिया गया. जिससे मंत्रिमंडल के विस्तार की प्रतीक्षा की गई. यह प्रतीक्षा लगातार लंबी हुई.
अब तक दो विस्तार हुए हैं, फिर भी संजय रायमुलकर अथवा संजय गायकवाड को मंत्री पद देने के बारे में शिंदे गट दुबारा विचार भी नहीं हुआ. बुलढाणा के सांसद प्रतापराव जाधव को केंद्रीय मंत्रिमंडल में लिए जाने की चर्चा है. किंतु उन्हें भी अब तक पद नहीं मिल पाया. इस बीच राकांपा का बडा गुट अजीत पवार के नेतृत्व में सत्ता में सहभागी हो गया. उनके साथ सिंदखेडराजा के विधायक डॉ. राजेंद्र शिंगणे हैं. राकांपा कोटे से डॉ. शिंगणे को मंत्री पद मिलने की चर्चा हो रही थी. मगर ऐसा नहीं हुआ. भाजपा के तीन विधायक बुलढाणा में है. पहले संजय कुटे का नाम चर्चित हुआ था. उन्हें मौका नहीं दिया गया. बुलढाणा में सत्तारुढ तीनों दल के विधायकों में तीव्र मतभेद नजर आते है. डॉ. शिंगणे को पालकमंत्री पद दिए जाने का शिंदे गट के विधायक संजय गायकवाड ने विरोध कर रखा है. उन्होेंने बुलढाणा में कृषि महाविद्यालय को भाउसाहब फुंडकर का नाम दिए जाने का भी विरोध किया है.
अमरावती के बारे में अमरावती मंडल पहले ही प्रकाशित कर चुका है कि शिंदे कैबिनेट में अमरावती को स्थान नहीं मिल पा रहा. जबकि यहां भाजपा के तीन विधायक प्रवीण पोटे, श्रीकांत भारतीय, विधानसभा में प्रताप अडसड और दो निर्दलीय बच्चू कडू तथा रवि राणा सत्ता के नजदीक और मंत्री पद के प्रबल दावेदार रहने पर भी फिलहाल किसी नाम की चर्चा नहीं हो रही है. अमरावती का पालकमंत्री पद देवेंद्र फडणवीस के पास कायम हैं.