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युक्रेन से लौटे विद्यार्थियों के भविष्य का क्या?

संतप्त अभिभावकों का प्रशासन व सरकार से सवाल

अमरावती/दि.9– चार माह पूर्व रूस व युक्रेन के बीच युध्द के हालात पैदा हुए थे. जिसके चलते मेडिकल पाठ्यक्रम की पढाई करने हेतु युक्रेन गये सभी भारतीय छात्र अपने देश व घर वापिस लौट आये है, जो अब तक अपने-अपने घरों पर ही है, क्योंकि युध्द अभी खत्म नहीं हुआ है. ऐसे में इन बच्चों का काफी शैक्षणिक नुकसान हो रहा है और उनके भविष्य पर सवालिया निशान लग गया है. जिसकी ओर प्रशासन एवं सरकार द्वारा ध्यान दिये जाने की सख्त जरूरत है. इस आशय का प्रतिपादन युक्रेन से अमरावती लौटे विद्यार्थियों के अभिभावकों द्वारा जिलाधीश पवनीत कौर से मुलाकात करते हुए किया गया.
इस समय जिलाधीश के जरिये केंद्र एवं राज्य सरकार के नाम सौंपे गये ज्ञापन में कहा गया कि, विगत चार माह से चल रहे युध्द की वजह से युक्रेन पूरी तरह से बर्बाद हो गया है और इस समय युक्रेन से लौटे सभी बच्चों की ऑनलाईन पढाई चल रही है. जिसके लिए युक्रेनी महाविद्यालयों द्वारा इन छात्र-छात्राओं से फीस मांगी जा रही है और फीस अदा नहीं करने पर कॉलेज से नाम काट देने की बात कही जा रही है. ऐसे में सभी छात्र-छात्राएं व उनके अभिभावक संभ्रम में है. क्योंकि युक्रेन में हालात कब तक ठीक हो पायेंगे और वहां के महाविद्यालयोें में पहले की तरह पढाई-लिखाई कब शुरू हो पायेगी, यह अभी तय नहीं है. वहीं युक्रेन से वापिस लौटे मेडिकल पाठ्यक्रम के छात्र-छात्राओं के बारे में इंडियन मेडिकल काउंसिल द्वारा भी कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा है. जिससे इन छात्र-छात्राओं का भविष्य अंधकारमय है.
ज्ञापन सौंपते समय डॉ. विनोद फुसे, प्रणव फुसे, डॉ. ऋषिकेश बारब्दे, डॉ. माधुरी बारब्दे, अभिषेक बारब्दे, शुभम सानुले, तनिष्क सावंत, अर्चना सावंत, निता फुसे, वैभव गजभिये, योगेश रॉय आदि उपस्थित थे.

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