दीपाली ने तबादले के लिए दिये पैसों का क्या?
कब से सक्रीय हुआ वनविभाग में तबदालों का ‘रैकेट’, जांच जरुरी
अमरावती/प्रतिनिधि दि.७ – वन विभाग में तबादला व पदस्थापना के लिए पैसे लेने वाला रैकेट पिछले डेढ वर्ष में सक्रीय हुआ था. तत्कालीन उपवन संरक्षक शिवकुमार से त्रस्त होकर दीपाली चव्हाण ने तत्कालीन क्षेत्र संचालक व अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक श्रीनिवास रेड्डी के पास अर्जी की थी. उन्होंने तबादले के लिए हाथ उपर किये थे. जिससे निराश हुई दीपाली को इस ‘रैकेट’ ने घेर लिया. उसके पास से तबादले के लिए पैसे लिये. किंतु तबादला करना तो दूर, लेकिन उसकी मृत्यु के बाद पैसे वापस करने का सौजन्य भी नहीं दिखाया, जिससे दीपाली व्दारा दिये गए पैसों का क्या? यह प्रश्न कायम है.
वन विभाग में आमतौर पर हर तीन वर्ष से अधिकारी व कर्मचारियों के तबादले किये जाते है. दीपाली मेलघाट में 2014 से कार्यरत थी. तबरीबन 7 वर्ष उसने मेलघाट में बिताये. किंतु पिछले कुछ वर्षों से शिवकुमार की ओर से दी जाने वाली मानसिक प्रताडना से वह पूरी तरह से टूट चुकी थी. वरिष्ठों से शिकायत करने पर भी कुछ न होने से आखरी में उसने तबादले के लिए अर्जी की. वरुड, परतवाड तथा अमरावती में तबादला करना चाहिए, ऐसा उसने अपील अर्जी में लिखा था. तबादला अपने अधिकार क्षेत्र में नहीं आता, ऐसा कहकर उसकी अर्जी को रेड्डी ने कचरे की टोकरी दिखाई. दीपाली को आयी हुई निराशा को वन विभाग के इसी ‘रैकेट’ ने घेर लिया. दीपाली को मजबूरन यह मार्ग अपनाना पडा. कम से कम पैसे देकर तबादला होने के बाद वह शिवकुमार की त्रासदी से मुक्त हो पायेगी, ऐसा उसे लगा होगा. लेकिन यहां पर भी उसके संयम की परीक्षा ली गई. तबादला तो नहीं हुआ, लेकिन दीपाली जान गवा बैठी. यह ‘रैकेट’ वन विभाग का ही है. पिछले डेढ, दो वर्षों में प्रादेशिक के लिए 7 से 8 लाख रुपए, सामाजिक वनीकरण के लिए 4 से 5 लाख रुपए, ऐसा तबादले का दर लगाया जा रहा जाता है, ऐसा कहा जाता है. अपने तबादले के लिए भी तकरीबन 200 लोगों की ओर से पैसे लिये जाने की जानकारी है. इसमें से अनेकों के तबादलें तो हुए ही नहीं, लेकिन पैैसे भी नहीं लौटाए गए. तत्कालीन वन मंत्री संजय राठोड ने इस विभाग की कमान हाथों में ली तब तबादले के अधिकार स्वयं के पास आरक्षित रखे थे. उनकी निजी सचिव ने इस बाबत निकाला हुआ 33 पन्नों का पत्र मीडिया में काफी चर्चित हुआ था. उसी दौरान तो यह यंत्रणा तैयार नहीं हुई और इस यंत्रणा का दीपाली शिकार तो नहीं हुई, इस तरह की चर्चा वन विभाग में शुरु है.