अमरावती

नागपुर के शीतकालीन अधिवेशन में विदर्भ को क्या मिला!

पूर्व सांसद अनंतराव गुढे ने उठाए सवाल

अमरावती/दि.3– हर वर्ष एक दफा नागपुर में शीतकालीन अधिवेशन समझौते के मुताबिक लिया जाता है. इस अधिवेशन में विदर्भ के प्रश्न, विकास, प्रकल्पों को गति देना, सिंचन, नए प्रकल्पों को मंजूरी प्रदान करना, सडक और उद्योग के मामले में पिछडे क्षेत्र का विकास करना आदि सहित अन्य प्रश्नों पर चर्चा कर उसे मंजूरी प्रदान की जाती है. कोरोनाकाल के बाद नागपुर में हुए शीतकालीन अधिवेशन में विदर्भ को क्या मिला? ऐसा सवाल पूर्व सांसद अनंतराव गुढे ने उपस्थित कर अधिवेशन को लेकर वर्तमान शिंदे-फडणवीस सरकार को आडे हाथों लिया है.
पूर्व सांसद अनंत गुढे ने कहा है कि, नागपुर के हर अधिवेशन की तरह इस अधिवेशन में भी विदर्भ के नागरिकों की अपेक्षाओं पर पानी फिरा है. शुक्रवार को 15 दिवसीय अधिवेशन समाप्त हो गया. इस अधिवेशन में पहला सप्ताह केवल कर्नाटक व महाराष्ट्र के सीमा विवाद पर ही चर्चा हुई. दूसरे सप्ताह में नियम 193 के मुताबिक विदर्भ की खेती व सिंचाई के विषय पर विपक्ष ने चर्चा की मांग की. लेकिन मंत्रियों के भ्रष्टाचार के आरोप, सत्तारुढ व विपक्ष के आरोप-प्रत्यारोप के साथ ही अधिवेशन समाप्त हो गया. इस कारण समाजसेवी गिरीश गांधी ने भी इस अधिवेशन के कामकाज को लेकर निराशा जताई. वहीं गुढे ने अधिवेशन नेताओं के पर्यटन नगरी बनने का आरोप किया. विदर्भ के किसानों की समस्याएं, मुसलाधार बारिश के कारण खरीफ फसल व संतरा बगीचों को हुए नुकसान, किसानोें को फसल बीमा के पैसे न मिलने और सोयाबीन तथा कपास के घटे दाम को लेकर इस अधिवेशन में किसी ने आवाज नहीं उठाई और न कोई विस्तृत चर्चा हुई. बारिश के कारण तुअर की फसल भी नष्ट हुई है. राज्य सरकार किसानों के हित में क्या फैसला लेने वाली है इस बाबत भी कोई घोषणा नहीं की गई और ना ही कुछ बोला गया. शहर के अलावा मेलघाट की सडकों के बुरे हाल है. इस समस्या को सुलझाने का भी कोई फैसला नहीं हो पाया है. इसके अलावा अतिक्रमण के विषय लंबित है. ऐसे विदर्भ के अनेक विषय को लेकर पूर्व सांसद गुढे ने राज्य सरकार व विदर्भ के सभी जनप्रतिनिधियों को आडे हाथों लेते हुए कहा कि, जब विदार्भ में अधिवेशन होता है तो सभी विवादों को दूर रख एकजुटता से कार्य कर विदर्भ के विकास के बारे में सोचना चाहिए.

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