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क्या सोचते हैं अमरावती मंडल चैनल के दर्शक

कौन बनेगा पालकमंत्री?

8,900 लोगों ने वोट दिया
अमरावती /दि.10- स्पष्ट बहुमत के बावजूद अथवा कह लीजिए ऐतिहासिक चुनावी सफलता के बाद भी राज्य में सरकार स्थापित करने में विलंब हुआ. मुख्यमंत्री पद का सस्पेंस दूर होने में 10 दिनों का समय लग गया. अब अमरावती के पालकमंत्री पद को लेकर भी बडा सवाल अमरावती के बाशिंदों के मन में उमड-घुमड रहा है. ऐसे में अमरावती मंडल न्यूज चैनल के दर्शकों से 3 प्रमुख दावेदारों के नाम के साथ राय मांगी गई, तो हजारों लोगों ने तुरंत अपनी राय व्यक्त की. बडी बात यही है कि, कुछ ही घंटों में मंडल न्यूज पर आज दोपहर तक 8900 से अधिक लोगों ने अपना मत व्यक्त कर दिया था. जिसके अनुसार विधायक रवि राणा को 53 प्रतिशत लोग पालकमंत्री पद का जबर्दस्त दावेदार मान रहे हैं. वहीं सुलभा खोडके को 24 प्रतिशत और प्रताप अडसड को 16 प्रतिशत लोग मान रहे है कि, पालकमंत्री बनेंगे.
* क्यों बढी दिलचस्पी?
अमरावती विदर्भ का दूसरा सबसे बडा शहर है. संभाग मुख्यालय है. शिक्षा और सांस्कृतिक क्षेत्र में दशकों से अंबानगरी का और जिले का नाम रहा है. ऐसे में अमरावती के पालकमंत्री पद को लेकर उत्सुकता बढने के कई कारण बताये जा सकते हैं. जिसमें से एक बडा कारण यह भी है कि, आज के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अमरावती के पालकमंत्री का पद संभाल चुके हैं. वैसे भी सीएम फडणवीस का ननिहाल होने से अमरावती के प्रति स्नेह रहा है. बहरहाल अमरावती का पालकमंत्री पद जन-जन की चर्चा का विषय बना है, तो उसकी कई वजहें बतायी जा रही है.
* दूसरे जिलों के लीडर रहे पद पर
अमरावती में पिछले पांच वर्षों में तीन पालकमंत्री देखे गये. मविआ सरकार में कांग्रेस की यशोमति ठाकुर कैबिनेट पद संभालते हुए अमरावती की पालकमंत्री बनी थी. उनके बाद शिंदे सरकार के दौर में उपमुख्यमंत्री रहे देवेंद्र फडणवीस ने आधा दर्जन जिलों का पालकत्व किया था. उनकी व्यस्तता के कारण कालांतर में बीजेपी के पश्चिम महाराष्ट्र के बडे नेता एवं शिक्षा मंत्री चंद्रकांत दादा पाटिल को अमरावती का पालकमंत्री पद दिया गया. पाटिल ने गिनती के दौरे किये. ऐसा ही दौर भूतकाल में कांग्रेस शासन में भी देखा गया था, जब भी अमरावती में बाहर के नेताओं राजेंद्र दर्डा, राधाकृष्ण विखे पाटिल ने पालकमंत्री के रुप में सेवाएं दी थी.
* बीजेपी की भारी सफलता
अमरावती में पिछली बार बीजेपी से एकमात्र प्रतापदादा अडसड विजयी हुए थे. पहली बार विधानसभा पहुंचे थे. उनके पिता अरुण अडसड की पार्टी में विदर्भ स्तर पर पोजिशन देखते हुए उनके सरकार में मंत्री पद या उसके समकक्ष पद मिलने की चर्चा चलती रही. अभी विधानसभा चुनाव में भाजपा को अभूतपूर्व सफलता मिली. उसके 5 विधायक सर्वश्री प्रताप अडसड, केवलराम काले, प्रवीण तायडे, चंदू उर्फ उमेश यावलकर और राजेश वानखडे विजयी हुए हैं. अडसड को मंत्री बनाये जाने की जोरदार चर्चा बीजेपी सर्कल में चल रही है. बीजेपी के दोनों सहयोगी दल राकांपा और युवा स्वाभिमान के भी धुरंधर लीडर तीसरा-चौथा चुनाव जीतकर सदन में पहुंचे हैं. ऐसे में बीजेपी को इस बार अमरावती को महत्व देना ही पडेगा. उसे अपने किसी नेता को ही पालकमंत्री की पोस्ट देनी होगी.
* खोडके और राणा का भी दावा
अमरावती की विधायक राकांपा नेत्री सुलभा खोडके के यजमान संजय खोडके, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के करीबी माने जाते हैं. ऐसे में महिला कोटे से खोडके के पालकमंत्री बनने के चांन्स उनके समर्थक देख रहे हैं. वहीं रवि राणा की सीधे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से नजदीकी सभी को पता है. इसी जोर पर कहा जा रहा है कि, राणा के पालकमंत्री बनने के चान्स अधिक है. उनके समर्थक, तो भावी कैबिनेट मंत्री के पोस्टर पूरे शहर में चिपका चुके हैं.
* महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट
जिले के कई महत्वपूर्ण प्रकल्प अगले कुछ वर्षों में साकार करने हैं. जिसमें रिद्धपुर का मराठी भाषा विश्वविद्यालय, अमरावती का शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय, नांदगांव पेठ का पीएम मित्र टेक्स्टाइल पार्क और अन्य कई प्रकल्प शामिल है. यह सभी केंद्र और राज्यस्तर पर मंजूर होकर इनके वर्क ऑर्डर जारी हो गये हैं. इनमें पीएम मित्र परियोजना सबसे अहम मानी जा रही है. जहां देश-विदेश की बडी कंपनियों को अपने कपास आधारित उद्यम लगाने के लिए प्रेरित करना है. जिससे हजारों की संख्या में रोजगार का सृजन हो सके.

* अन्य को भी 7 प्रतिशत वोट
3 पुन: निर्वाचित विधायकों के नाम का पर्याय देने पर भी मंडल न्यूज के दर्शकों ने अन्य का विकल्प भी भावी पालकमंत्री के रुप में चुना है. यह अन्य दरअसल कौन सा नेता होता है, यह भी देखना दिलचस्प रहेगा. फिलहाल, तो 9 हजार दर्शकों ने राय दी है. वोटींग निरंतर चल रही है.

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