अमरावती

क्या कहते हैं अमरावती के जनप्रतिनिधि

सुप्रीम कोर्ट का सत्ता संघर्ष पर आधा अधूरा फैसला

अमरावती/दि.12- प्रदेश के कथित सत्ता संघर्ष पर देश की सबसे बड़ी अदालत ने फैसला तो सुनाया, आम पब्लिक के यह निर्णय समझ से परे बताया जा रहा है. लोग समझ नहीं पा रहे कि शिंदे सरकार बनी रहे या चली जाए, कुछ इस तरह का निर्णय कोर्ट ने दिया है. बावजूद इसके अमरावती के अधिकांश वर्तमान और पूर्व जनप्रतिनिधि अर्थात विभिन्न दलों के स्वनाम धन्य नेताओं ने अपनी-अपनी पार्टी की आवश्यकता के अनुसार फैसले का मतलब निकाला और मीडिया द्वारा पूछे जाने पर दलगत भावना पर आधारित प्रक्रिया दी. बेशक भाजपा और शिंदे शिवसेना ने फैसले को पार्टी की जीत बताया. वहीं कांग्रेस और मविआ नेताओं ने मुख्यमंत्री से नैतिकता के आधार पर त्यागपत्र की मांग कर डाली.
कोर्ट ने मविआ को सिखाया सबक
भाजपा के साथ चुनाव पूर्व युती करने के बाद भी सत्ता स्थापित करने कांग्रेस और राष्ट्रवादी से हाथ मिलाना और सत्ता हथियाना उद्धव ठाकरे को भारी पड़ा है. शिंदे-फडणवीस सरकार को सर्वोच्च न्यायालय ने संवैधानिक बताया है. यह लोकशाही की जीत है. ऐसी प्रतिक्रिया जिला भाजपाध्यक्ष निवेदिता चौधरी- दिघडे ने व्यक्त की. उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे ने भाजपा को छोड़कर सत्ता स्थापित करने कांग्रेस-राष्ट्रवादी का साथ लिया. तब उद्धव की नैतिकता कहा गई थी. कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि उद्धव ठाकरे ने त्यागपत्र दिया था. इसलिए उन्हें दोबारा सत्तारुढ़ नहीं किया जा सकता.
ऑपरेशन की भूल, फिर भी पेशंट जीवित
विधायक बच्चू कडू ने कहा कि ऑपरेशन भले ही गलत हो गया हो, मरीज की जान बच गई, इसकी खुशी मनानी चाहिए. सरकार विधानसभा अध्यक्ष ने बनाई और अब अयोग्यता का निर्णय भी अध्यक्ष को ही करना है. इसमें कुछ अलग होगा, ऐसा नहीं लगता.
सरकार का बहुमत सिद्ध
शिंदे गुट के अमरावती जिला प्रमुख अरुण पडोले ने कहा कि कोर्ट के निर्णय से एक बात स्पष्ट हो गई कि शिंदे-फडणवीस सरकार के पास आज विधानमंडल में बहुमत है. प्रजातंत्र में बहुमत को महत्व है. कोर्ट का यह निर्णय सरकार के लिए महत्वपूर्ण है. एकनाथ शिंदे को नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाला उद्धव गुट स्वयं भूल गया कि उसने भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, मगर केवल मुख्यमंत्री पद के लोभ में वह पाला बदल गए. सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय सत्य की जीत है. जनता को भी यही अपेक्षित था. शिंदे ही सरकार चलाने में सक्षम है.
त्यागपत्र दें शिंदे
कांग्रेस नेता डॉ. सुनील देशमुख ने कोर्ट के फैसले पर कहा कि प्रतोद के रुप में गोगावले की नियुक्ति गैरकानूनी रही. जिससे उनके द्वारा जारी व्हीप भी अवैध है. राज्यपाल ने विश्वास प्रस्ताव लाने कहा. वह भी गैरकानूनी है. जिससे नई सरकार असंवैधानिक सिद्ध हुई है. अतः एकनाथ शिंदे को बगैर समय गंवाए मुख्यमंत्री पद त्याग ेदेना चाहिए.
ठाकरे गट को दिलासा नहीं
राकांपा प्रदेश उपाध्यक्ष और प्रवक्ता संजय खोडके ने कहा कि कोर्ट ने शिंदे-फडणवीस सरकार पर टिका टिप्पणी की है. किन्तु अप्रत्यक्ष रुप से उनके निर्णय सही ठहराए गए हैं. शिंदे गट के भगत गोगावले की व्हीप के रुप में नियुक्ति भले ही गलत ठहराई गई है, फिर भी चुनाव आयोग के निर्णयानुसार गोगावले कायम रहेंगे. जिससे उद्धव ठाकरे गट को कोर्ट के फैसले से राहत नहीं मिली है.
सरकार कानून सम्मत
भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य राजेश वानखडे ने कहा कि शिंदे-फडणवीस सरकार को गैरकानूनी बताया जा रहा था. कोर्ट ने इन बातों को सिरे से खारिज कर दिया. कोर्ट का निर्णय सभी को मान्य करना चाहिए. यह निर्णय कोर्ट का है. अतः सरकार भी कानून सम्मत है.
सरकार की नैतिकता पर सवाल
शिवसेना उबाठा जिला प्रमुख सुनील खराटे ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से शिंदे-फडणवीस सरकार बच गई किन्तु सवाल नैतिकता का है. आखिर राज्यपाल की भूमिका और भरत गोगावले की व्हीप के रुप में नियुक्ति पर कोर्ट ने फटकार लगाई है. उस हिसाब से यह सरकार असंवैधानिक है.
शेखावत ने मांगा सीएम का इस्तीफा
कांग्रेस शहर अध्यक्ष बबलू शेखावत ने कहा कि तकनीकी रुप से भले ही कोर्ट का निर्णय सरकार के फेवर में नजर आ रहा है. मगर जिस प्रकार उद्धव ठाकरे ने नैतिक रुप से इस्तीफा दिया, वैसे ही एकनाथ शिंदे को भी पद त्याग करना चाहिए. शेखावत ने कहा कि कोर्ट ने तत्कालीन राज्यपाल सहित अनेक निर्णय गलत बताए है. सरकार गैरकानूनी साबित हुई है.
भाजपा अध्यक्ष खुश
भाजपा महानगर अध्यक्ष किरण पातुरकर ने कोर्ट के निर्णय पर प्रसन्नता जताई है. उन्होंने कहा कि कोर्ट में शिंदे-फडणवीस सरकार का बहुमत साबित हो गया है. विधानमंडल, चुनाव आयोग के बाद अब कोर्ट ने भी सरकार के पक्ष में निर्णय दिया है. अब सरकार और प्रभावी तथा गति से जनहित के काम करेगी. विकासपथ पर राज्य को आगे बढ़ाएगी.
सरकार कानूनन कैसे?
कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक वीरेंद्र जगताप ने एक प्रहसन के जरिए अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि लड़की देखने का कार्यक्रम गैरकानूनी, एक-दूसरे की पसंद गैरकानूनी, सगाई गैरकानूनी, विवाह गैरकानूनी, हनिमून गैरकानूनी, किन्तु बच्चा पैदा हुआ तो वह कानून सम्मत! ऐसी परिस्थिति आज के फैसले से देखने मिल रही है. यह सरकार कानूनन कैसे है? यह प्रश्न उठा है.
कांग्रेस-राकांपा के षड़यंत्र पर पानी
अब सरकार और प्रभावी ढंग से काम कर सकेगी. उद्धव ठाकरे का त्यागपत्र उनकी भारी भूल थी. इस प्रकार भाग जाना कितना महंगा पड़ता है, यह अब उनके ध्यान में आ गया होगा. इसी प्रकार इस फैसले से कांग्रेस और राकांपा की साजिश पर भी पानी फिर गया है.
उद्धव से डरते हैं शिंदे
सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को मान्य करते हैं. उसके बावजूद मुख्यमंत्री शिंदे तता उप मुख्यमंत्री फडणवीस सहित भाजपा पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से घबराते हैं. आगामी विधानसभा चुनाव में शिवसेना फिर से भारी मतों से जीत कर उद्धव ठाकरे के ेनेतृत्व में सरकार बनाएंगे. राज्य में जारी सत्ता संघर्ष का आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा पर खराब असर पड़ेगा.

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