‘उस’ कार्यक्रम दौरान हकीकत में हुआ क्या था
पहले सांसद बोंडे ने टोका था वक्ता तुषार उमाले को
* फिर उमाले ने सांसद बोंडे पर किया था पलटवार
अमरावती/दि.21 – दो दिन पूर्व रविवार 19 फरवरी को छत्रपति शिवाजी महाराज के जयंती अवसर पर स्थानीय शिवटेकडी के पास स्थित खुले रंगमंच में मराठा सेवा संघ द्बारा शिव जयंती का कार्यक्रम आयोजित किया गया था. जिसमें प्रमुख अतिथि के तौर पर उपस्थित राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल बोंडे व प्रमुख वक्ता के तौर पर उपस्थित संभाजी ब्रिगेड के प्रदेश संगठक तुषार उमाले के बीच जमकर शाब्दीक विवाद हुआ. जिससे संबंधित वीडियो इस समय सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है. ऐसे में हर कोई यह जानना चाहता है कि, आखिर उस दिन हुआ क्या था.
इस संदर्भ में अब सामने आयी जानकारी के मुताबिक रविवार को शिवटेकडी के पास ‘छत्रपति शिवाजी महाराज – हिंदू या हिंदूत्ववादी’ विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया था और इसी विषय को लेकर प्रमुख वक्ता के तौर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए तुषार उमाले ने कहा कि, कुछ लोगों ने छत्रपति शिवाजी महाराज की समाज में बेहद गलत छवि बना रखी है और उन्हें एक समूदाय विशेष का दुश्मन बताया जाता है. जबकि ऐसा नहीं है. ठीक इसी समय सांसद अनिल बोंडे ने तुषार उमाले को बीच में ही टोकते हुए एक वचनी भाषा का प्रयोग कर कहा कि, ‘मुर्ख हो क्या, कुछ भी मत बोलो.’ यह सुनते ही तुषार उमाले ने प्रतिप्रश्न करते हुए कहा कि, ‘तुम मुर्ख हो क्या.’ यह सुनकर सांसद डॉ. बोंडे बेहद तमतमाते हुए अपने स्थान से उठकर खडे हुए और दोनों के बीच जमकर शाब्दीक विवाद शुरु हो गया. पश्चात सांसद बोंडे कार्यक्रम बीच में ही छोडकर जाने हेतु निकले, तो वहां उपस्थित कई लोगों ने उन्हें समझाया. जिसके चलते सांसद बोंडे एक बार फिर अपने स्थान पर वापस आकर बैठे. इस समय तुषार उमाले ने अपना भाषण जारी रखते हुए कहा कि, संविधान ने प्रत्येक व्यक्ति को अभिव्यक्ति की आजादी दी है और आवाज दबाने के किसी भी प्रयास को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. हम अपने पितृतुल्य लोगों का सम्मान करते है. लेकिन एकेरी भाषा में बोलकर भाषण के बीच बाधा पैदा करना ठीक नहीं है. आप हमारी आजादी पर बंधन नहीं डाल सकते. जिन्हें भाषण सुनना है, वे यहां रुके और जिन्हें भाषण नहीं सुनना है, वे खुशी-खुशी सभा से जा सकते है. इसके बाद तुषार उमाले ने अपने भाषण में इस बात को लेकर कई उदाहरण दिए कि, छत्रपति शिवाजी महाराज किस तरह से अठरा पगड जाति व जनजाति के लोगों का सम्मान करते थे. खास बात यह रही कि, बाद में इसी भाषण पर सांसद अनिल बोंडे भी तालिया बजाते दिखे और उमाले का भाषण होने के उपरान्त सांसद डॉ. बोेंडे का भी भाषण हुआ.