अमरावती

एमपीएससी-युपीएससी परीक्षा में असफल रहनेवालों का आगे क्या?

बार-बार मिलनेवाली असफलता से निराश होने की बजाय ‘प्लान-बी’ तैयार रखना जरूरी

अमरावती/दि.14- एमपीएससी व युपीएससी की परीक्षा को काफी कठीन माना जाता है और कई-कई वर्ष की तैयारी के बाद भी कई विद्यार्थियों को इस परीक्षा में सफलता नहीं मिलती. ऐसे में बार-बार मिलनेवाली असफलता से निराश होकर कई विद्यार्थी अपने भाग्य को दोष देते है और छोटी-मोटी नौकरियां करने लगते है. साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के कई विद्यार्थी खेती-बाडी में काम करते है. परंतू जरूरत इस बात की है कि, असफलता से निराश होकर टूट जाने की बजाय स्पर्धा परीक्षा की तैयारी करनेवाले विद्यार्थियों ने अपना ‘प्लान-बी’ हमेशा तैयार रखना चाहिए.
उल्लेखनीय है कि, एमपीएससी व युपीएससी परीक्षा की तैयारी करनेवाले विद्यार्थियों की संख्या में दिनोंदिन इजाफा हो रहा है और जिले में भी अब कई विद्यार्थी इन परीक्षाओं की तैयारी कर रहे है. इसके तहत कुछ विद्यार्थी कक्षा 12 वीं के बाद और कुछ विद्यार्थी पदवी परीक्षा के बाद स्पर्धा परीक्षाओं की तैयारी में लग जाते है. परंतू इन परीक्षाओं में सभी विद्यार्थी सफलता हासिल नहीं कर पाते. बल्कि कई विद्यार्थी तो सात से आठ वर्ष की सतत तैयारी करने के बाद भी असफल ही रहते है. ऐसे में लगातार मिलनेवाली असफलता के चलते कई विद्यार्थी निराशा और अवसात का शिकार हो जाते है. परंतू युपीएससी व एमपीएससी की परीक्षा में मिलनेवाली असफलता से निराश होने की बजाय हमेशा ‘प्लान-बी’ को तैयार रखना चाहिए, ताकि करिअर के लिहाज से अन्य रास्ते खुले रखे जा सके.

* स्पर्धा परीक्षा की तैयारी पर होता है सालाना एक लाख का खर्च
स्पर्धा परीक्षा की तैयारी करने के लिए ग्रामीण क्षेत्र व छोटे शहरों के कई विद्यार्थी बडे शहरों में जाकर रहते है. ऐसे में स्पर्धा परीक्षा क्लासेस, किताबें तथा रहने व भोजन के खर्च पर सालाना एक से डेढ लाख रूपये का खर्च होता है.

* सफल होनेवालों का प्रमाण बेहद कम
प्रति वर्ष हजारों विद्यार्थी युपीएससी व एमपीएससी परीक्षा की तैयारी करते है. लेकिन इसमें सफलता प्राप्त करनेवालों की संख्या बेहद कम है. एमपीएससी में साधारणत: दो से चार प्रतिशत विद्यार्थी सफल होते है. वहीं युपीएससी में उत्तीर्ण होनेवालों का प्रमाण एक प्रतिशत से भी कम है. ऐसे में जाहीर तौर पर इन परीक्षाओं में असफल रहनेवाले विद्यार्थियों का प्रमाण काफी अधिक है. जिसके चलते कई विद्यार्थियों द्वारा सफलता के लक्ष्य को आंखों के सामने रखते हुए लगातार कई वर्षों तक यह परीक्षाएं दी जाती है, लेकिन इसके बावजूद भी कई विद्यार्थी अंत तक सफल नहीं हो पाते. जिसकी वजह से वे निराशा व अवसाद का शिकार होने लगते है.

* दूसरा पर्याय हमेशा तैयार रखे
युपीएससी की परीक्षा में तीन प्रयासों में सफलता मिले, कुछ इस तरह से पढाई का नियोजन करना चाहिए और इसमें अपना शत-प्रतिशत योगदान देना चाहिए. साथ ही असफल रहने पर ‘प्लान-बी’ के तहत अन्य स्पर्धा परीक्षाएं भी दी जानी चाहिए.
– मिलींद लाहे
स्पर्धा परीक्षा मार्गदर्शक

युपीएससी व एमपीएससी की तैयारी करते समय विद्यार्थियों ने अन्य पर्याय भी खुले रखने चाहिए. जिसके लिए योग्य मार्गदर्शन व योग्य नियोजन की जरूरत रहती है. ऐसे में कितने वर्ष तक ये परीक्षाएं देनी है, इसका नियोजन भी विद्यार्थियों द्वारा पहले से किया जाना चाहिए.
– धीरज बोने
स्पर्धा परीक्षा मार्गदर्शक

* असफलता से निराश न हो
जीवन में केवल एमपीएससी व युपीएससी की परीक्षाएं ही सबकुछ नहीं होती, बल्कि कई तरह की अन्य स्पर्धा परीक्षाएं भी होती है. ऐसे में विद्यार्थियों ने निराश न होते हुए अन्य स्पर्धा परीक्षाओं की तैयारी भी करनी चाहिए और अपना ‘प्लान-बी’ तैयार रखना चाहिए. ताकि वे आसानी से अपनी असफलता को पचा सके.

* क्या कहते हैं आंकडे
      एमपीएससी    युपीएससी
परीक्षा में बैठनेवाली विद्यार्थी                6,000           600
सफल होनेवाले विद्यार्थी                      15                01
परीक्षा की तैयारी करनेवाले विद्यार्थी       8,000           800

Related Articles

Back to top button