वित्त मंत्री सीतारामन के पिटारे में क्या, खुलेगा परसों
अमरावती के उद्यमियों और व्यापारियों सहित सभी को आशाएं
* आयकर में बडी राहत के आसार
* जीएसटी के कडे प्रावधानों से भी लोगों को छूट की उम्मीद
अमरावती/ दि. 30-देश के खजांची के सामने लोगों की उम्मीदों और आकांक्षाओं से भरा पिटारा है. यह तो शनिवार को संसद में अर्थसंकल्प पेश होने के बाद ही पता चलेगा कि निर्मला सीतारामन ने अपने पिटारे से किसकी उम्मीदों और अपेक्षाओं को पूरा किया. अर्थव्यवस्था की रफ्तार को तेज करने के लिए जो आवश्यक होगा, वित्त मंत्री निश्चित ही पर्याप्त कदम उठायेगी. बीता एक माह वित्त मंत्री ने विभिन्न पक्षों और अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों से जुडे प्रतिनिधियों के साथ बातचीत में बिताया है. सभी क्षेत्रों की जरूरतों को समझा है. परसों 1 फरवरी को वित्त मंत्री के बजट बस्ते से निकलनेवाले प्रस्ताव कितनी अपेक्षाओं और जरूरतों को पूरा करेंगे. यह देखना महत्वपूर्ण हैं. फिलहाल तो अमरावती के अनेक क्षेत्र के उद्यमियों ने अमरावती मंडल से देश की फाइनांस मिनिस्टर से अपनी उम्मीदों, कर राहत की अपेक्षाओं और कुछ प्रावधानों को राहत से भरा करने की आशा व्यक्त की है.
* एक देश एक टैक्स
अभी तक सरकार ने अच्छे से अच्छा बजट दिया. आगे भी सभी प्रोफेशनल को उम्मीद.एक देश एक टैक्स के साथ जीएसटी एक रेट होना चाहिए. जीएसटी कंपोजिशन डीलर की बिक्री सीमा रु. 1.50 करोड़ से रु. 2 करोड़ कर देना चाहिए. नियम 88बी के अनुसार ब्याज को तुरंत ख़त्म किया जाना चाहिए.जीएसटी नई पंजीकरण प्रक्रिया को सरल और आसान बनाने की जरूरत है.
– नीलेश अनिल तरडेजा,
संचालक, होटल हिंदुस्तान इंटरनैशनल, अमरावती
* बेसिक लिमिट 10 लाख करें
क्रयशक्ती और इन्वेस्टमेंट बढाने हेतु पुरानी टैक्स प्रणालीमे इंसेटीव्ह्स बढाना आवश्यक है साथ ही साथ नई प्रणाली मे बेसिक लिमिट 7 लाख से रु. 10 लाख तक होना चाहिये. एजुकेशन सेस निकालकर कर दाताआं ेपर का बोझ कुछ हद तक कम किया जा सकता है. बढते हुये स्वास्थ सुविधाओं पर होने वाले खर्चे देखते हुये 80 डी लिमिट बढाना चाहिये. सबके लिये मकान यह सोच वास्तविकता में लाने हेतु गृह लोन की मर्यादा भी बढनी चाहिए. सोलर सिस्टीम को चालना देने के लिये इन्सेटीव्ह्स आवश्यक है. सर्विस सैक्टर को इन्करेज करने हेतु थ्रेशहोल्ड लिमिट बढाकर टैक्स रेट कम होना जरुरी है. सेल्फ इन्व्हाइसींग और उसके लिये दी गई टाइम लिमिट के बारे मे भी विचार होना आवश्यक है. प्रैक्टिकल दिक्कतें ंदेखते हुये जीएसटी रिटर्न कम से कम एक बार रिवाइज करने की सुविधा होना अत्यावश्यक है. जीएसटी सिस्टम मेकैनिकल कम और प्रैक्टिकल जादा हो ताकी व्यापारियों को दिक्कतें कम हो. रूल 88 इ जैसी प्रोव्हीजन जिसमें कैश लेजर मे बैलेंस होने के बावजूद ब्याज लगता है, वह हटना चाहिये. दवाई और सर्जिकल आइटम पर जीएसटी कम से कम होना चाहिये. हेल्थ इंश्योरेंस पोलीसिज पर जीएसटी होना ही नहीं चाहिये.
– एडवोकेट मुकेश इंगोले
* जीएसटी पंजीकरण सीमा 60 लाख करें
नए जीएसटी नंबर के लिए अनिवार्य पंजीकरण के लिए टर्नओवर सीमा 40 लाख रुपये से बढ़ाकर 60 लाख रुपये की जानी चाहिए. पिछले वर्षों के इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाने के लिए लेजर कन्फर्मेशन सुविधा शुरू की जानी चाहिए. जीएसटी रिफंड आवेदन की तिथि से 60 दिनों के बजाय 30 दिनों के भीतर दिया जाना चाहिए. आयकर के तहत वेतनभोगी वर्ग के करदाताओं के लिए मानक कटौती को बढ़ाकर 1 लाख रुपये किया जाना चाहिए. एक वर्ष में 25000 रुपये तक के अल्पकालिक पूंजीगत लाभ के लिए फ्लैट छूट होनी चाहिए. एम्बुलेंस सेवाओं को किराए पर देने के लिए जीएसटी दर 5% होनी चाहिए, जिसमें इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ भी शामिल होना चाहिए.
-प्रवीण सानप, अमरावती
*2025 के भारतीय आर्थिक बजट पर अपेक्षाएँ
भारत का परसों संसद में रखा जानेवाला 2025 का आर्थिक बजट नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण साबित होने वाला है. यह बजट कई परिवारों के लिए अर्थव्यवस्था में बदलाव और कर संरचनाओं के दृष्टिकोण से आशाजनक हो सकता है. इसके लिए कुछ प्रमुख अपेक्षाएँ व्यक्त की जा रही हैं, जो नागरिकों और विभिन्न क्षेत्रों के लिए लाभकारी साबित हो सकती हैं.
1. व्यक्तिगत कर में छूट सीमा बढ़ाने की अपेक्षा -वर्तमान में भारतीय सरकार ने आयकर छूट एक निश्चित सीमा तक दी है. हालांकि, कई नागरिकों और विशेषज्ञों का मानना है कि आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर इसे 5 लाख रुपये तक किया जाना चाहिए. इससे सामान्य नागरिकों को वित्तीय राहत मिलेगी और उनका आर्थिक दबाव कम होगा. इससे उनका खर्च बढ़ेगा और देश की कुल अर्थव्यवस्था को भी इसका लाभ मिलेगा.
2. नई कर व्यवस्था में अनुमत कटौती का समावेश- नई कर संरचना में, जिसमें कम कर दरों का समावेश है, नागरिकों को अधिक लाभ मिल सकता है, लेकिन इसके लिए कुछ कटौतियों का समावेश आवश्यक है. इस तरह की कटौतियों के लिए विभिन्न साधनों के आधार पर एक अधिक न्यायसंगत कटौती प्रणाली की आवश्यकता है. इससे करदाताओं को उनकी बचत और निवेश योजनाओं पर अधिक लाभ प्राप्त हो सकेगा.
3. सहकारी संस्थाओं और सहकारी बैंकों के लिए कर छूट- भारत में सहकारी संस्थाएँ और सहकारी बैंक कई वर्षों से गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के लिए वित्तीय सहायता का महत्वपूर्ण स्रोत बने हुए हैं. इस क्षेत्र को गहरी समर्थन देने की आवश्यकता है, क्योंकि ये व्यावसायिक बैंकों की तुलना में अधिक लोकाभिमुख होते हैं. सरकार को इन संस्थाओं को कर छूट देने की जरूरत है, ताकि वे अधिक प्रभावी तरीके से काम कर सकें और आम लोगों को बेहतर सेवाएँ प्रदान कर सकें.
निष्कर्ष- 2025 के आर्थिक बजट में इन सभी बिंदुओं का समावेश होने की उम्मीद है. सरकार को नागरिकों के लिए कर छूट, सहकारी संस्थाओं के लिए वित्तीय सहायता और आम नागरिकों के लिए अधिक लाभ देने पर विचार करना चाहिए. इससे भारतीय अर्थव्यवस्था और मजबूत होगी और प्रत्येक नागरिक को आर्थिक प्रगति का लाभ मिलेगा.
– अजय सिनकर
मुख्य कार्यकारी अधिकारी
महात्मा फुले बैंक, अमरावती
दूध के पदार्थों को जीएसटी मुक्त करें
खेती किसानी के पूरक व्यवसाय के रूप में दूध उत्पादन को देखा जाता है. किंतु उत्पादन खर्च और तुलना में दूध को मिलते कम दाम को देखते हुए दूध उद्यम को प्रोत्साहन देने वित्त मंत्रालय का बडा निर्णायक कदम आवश्यक है. राज्य दूध उत्पादक संघ के अध्यक्ष गोपाल म्हस्के ने कहा कि दूध से तैयार क्रीम पर जीएसटी नहीं है. किंतु अन्य उत्पादों पर 5 से 12 प्रतिशत जीएसटी हैं. आइस्क्रीम पर 18 प्रतिशत टैक्स वसूला जा रहा है. यह टैक्स खत्म कर देना किसानाेंं के लिए फायदेमंद हो सकता है. राज्य में दूध को फिलहाल मिल रहे रेट उत्पादन खर्च की तुलना में कम हैं. जबकि पडोसी राज्यों में दूध उत्पादन फायदेमंद साबित हो रहा है. म्हस्के ने कहा कि वित्त मंत्री को दूध उत्पादों पर जीएसटी खत्म कर देना चाहिए.
* मिडिल क्लास को अनेक अपेक्षाएं
परसों के बजट से देश के सबसे बडे तबके मध्यम वर्ग को इस बार काफी आशाएं वित्त मंत्री सीतारामन से हैं. उनकी आशा है कि टैक्स रेट कम होंगे और भुगतान प्रक्रिया भी सरल होगी सरकार को ग्रामीण भागों में तकनीक और उत्पादन को प्रोत्साहन देनेवाली नीतियां रखनी चाहिए. जिससे अधिकाधिक रोजगारों का सृजन हो. ऐसे ही र्स्वास्थ्य और शिक्षा पर अधिक ्रप्रावधान सभी के हित में रहेगा. शालाओं का इन्फ्रास्ट्रक्चर बढाने के साथ छात्रवृत्ति और कौशल्य विकास कार्यक्रमांेंं पर जोर देना श्रेष्ठ है. खेती की बात करें तो किसानों को उनकी फसलों के अच्छे दाम मिलना चाहिए. उसी प्रकार सस्टेनेबल खेतीबाडी को प्रोत्साहन बजट में जरूरी है. महंगाई रोकने के वास्ते सरकार को आवश्यक वस्तुओं एलपीजी सिलेंडर, इंधन और खाद्य पदार्थो के दाम कम करनेवाले कदम उठाना आवश्यक है.
– अमित अनिल अग्रवाल
निदेशक, ग्रीन लीफ फर्निचर प्रा. लि.
नागरी सहकारी बैंकों को टैक्स छूट की अपेक्षा
नागरी सहकारी बैंकों ने आयकर में टैक्स राहत की अपेक्षा वित्त मंत्री से व्यक्त की है. उनका कहना है कि केन्द्र को सहकारी बैंकों से केवल 1500 करोड रूपए मिलते हैं. ऐसे में सहकारिता क्षेत्र को मजबूत करने के लिए बैंकों को आयकर से राहत अपेक्षित है. सहकारी पत संंस्थाओं को ऐसे टैक्स से छूट प्राप्त है. जिससे बैंकों को भी राहत मिलनी ही चाहिए. उसी प्रकार बैंक के अनुत्पादक कर्ज और एनपीए कम करने के संदर्भ में सहकार्य अपेक्षित है. एक नागरी बैंक के अध्यक्ष एड. सुभाष मोहिते ने कहा कि सीबीडी में कम ब्याज से राशि निवेश करने का बंधन हटना चाहिए. उसी प्रकार नागरी बैंकों को आयकर कानून की धारा 80 पी के अनुसार दोबारा टैक्स राहत लागू होनी चाहिए. यह रकम सहकारी बैंक अपने निवेश बढाने में उपयोग में लाने की अनुमति चाहती है. उसी प्रकार सहकारी बैंकों को वरियता से ऋण देने की सीमा पहले के समान 40 प्रतिशत करने की अपेक्षा भी एड. मोहिते ने व्यक्त की.