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पश्चिम विदर्भ के किसानों का अपराध क्या?

डॉ. खडक्कार का सवाल

* पूर्व विदर्भ में 12 घंटे बिजली
अमरावती/दि.3- पश्चिम विदर्भ की खेती असिंचित हैं. सिंचाई का प्रमाण केवल 7 प्रतिशत हैं. इसी वजह से यह क्षेत्र किसाना आत्महत्या पीडित क्षेत्र के नाम से जाना जाता हैं. आत्महत्या का सिलसिला अब भी बंद नहीं हुआ हैं. प्रतिदिन औसतन 3 किसान मौत को गले लगा रहे हैं. इन आत्महत्या के पीछे मुख्य कारण सिंचाई का अभाव हैं. फिलहाल रबी का सीजन शुरु हो गया हैं. फसलों के लिए सिंचाई आवश्यक हैं. कृषि पंपों हेतु पूर्व विदर्भ के नागपुर, भंडारा, गोंदिया, चंद्रपुर, गडचिरोली जिलों में 12 घंटे बिजली उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं. उसका अनुपालन भी शुरु हो गया हैं. ऐसे में विदर्भ विकास बोर्ड के पूर्व विशेषज्ञ सदस्य डॉ. संजय खडक्कार ने प्रश्न उठाया है कि, पश्चिम विदर्भ के किसानों का क्या कसूर? उन्हें भी 12 घंटे बिजली उपलब्ध करवाने की मांग डॉ. खडक्कार ने की हैं. इस क्षेत्र में खेती बाडी के लिए रात में बिजली आपूर्ति की जाती हैं. पश्चिम विदर्भ आत्महत्या से पीडित हैं. बावजूद इसके अमरावती, अकोला, यवतमाल, बुलढाणा, वाशिम जिलों में सिर्फ 8 घंटे बिजली आपूर्ति की जा रही हैं. डॉ. खडक्कार ने रबी मौसम में पैदावार बढाने बिजली आपूर्ति सुचारु होना जरुरी बताया हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि, प्रदेश सरकार केवल पूर्व विदर्भ के 5 जिलों पर मेहरबान हैं. वहां 12 घंटे बिजली आपूर्ति के निर्देशों का महावितरण बहुत तत्परता से पालन कर रही हैं. राजनेताओं व्दारा भेद भाव की नीति अपनाए जाने का आरोप भी खडक्कार ने लगाया. उन्होंने दावा किया कि सरकार के निर्णय से किसानों में नाराजगी हैं.

* रबी का रकबा
पश्चिम विदर्भ अमरावती संभाग में 460128 हेक्टेयर में चना, 84357 हेक्टेयर में गेहूं, 8018 हेक्टेयर में ज्वार की बुआई की गई हैं. जिला निहाय बुआई में वाशिम 99 प्रतिशत के साथ अव्वल हैं. अकोला में 89, बुलढाणा में 80, यवतमाल में 69 और अमरावती में 57 प्रतिशत बुआई हुई हैं.

 

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