अमरावती

क्या है छठ और छठ का मतलब

चार पहर चार दिन भगवान सूर्य की हर रूप की उपासना है छठ , प्रकति की पूजा है छठ. छठ पूजा को महापर्व कहा जाता है. यह पूरी तरह से प्रकृति को समर्पित है. इस त्यौहार को लोग बडी आस्था के साथ मनाते है. दिपावली के बाद से ही छठ पर्व के लिए तैयारियां शुरू हो जाती है. इस त्यौहार के दौरान व्रती 36 घंटे तक बिना अन्न व जल के व्रत रखती है. किसी भी अन्य त्यौहार में इतना लंबा व्रत नहीं रखा जाता है. छठ पूजा की शुरूआत चार दिवसीय नहाय खाय से होती है छठ पूजा में षष्ठी माता और सूर्य देव की पूजा की जाती है. इस पर्व को सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है.
इस साल छठ पूजा की शुरूआत 17 नंवबर से 29 नवंबर तक चलने वाला है. छठ पूजा को लेकर कई मान्यताएं व परंपराएं है जो इस व्रत को और भी खास बनाती है. यह व्रत संतान की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और उनके उज्जवल भविष्य की कामना के लिए रखा जाता है. इस बार छठ पूजा की शुरूआत 17 नवंबर को अमृत योग और रवि योग से हो रही है. इस साल छठ पूजा पर विशेष संयोग बनेगा. रविवार को पड रहा है, जो बेहद शुभ होगा.
17 नवंबर शुक्रवार को नहाय खाय है, इस दिन से ही घर में पवित्रता का ध्यान रखा जायेगा. लहसून, प्याज का सेवन वर्जित होता है. व्रती पवित्र जल से स्नान करती है. भगवान सूर्य को अर्ध्य समर्पित करने के बाद व्रती सहित परिवार के सभी सदस्य चने की दाल, चावल, लाल चौलाय की सब्जी, लौकी की सब्जी, अगस्ती फूल का बोरा सेवन करते है.
18 नवंबर शनिवार को लोहंडा यानी खरना मनाया जायेगा. इस दिन गुड और चावल की खीर व चावल के आटे का पेठा बनाया जाता है व जाते में गेहूं पिसा हुआ आटे की रोटी बनाई जाती है. फिर संध्या को मिट्टी के चूल्हे पर और मिट्टी के बर्तन में ही बनाया जाता है. फिर व्रती भगवान सूर्य को अर्ध्य समर्पित करने के बाद मिट्टी के ढक्कन में यानी बर्तन में भोग लगाया जाता है. फिर इस प्रसाद को व्रती को ग्रहण करन के बाद सभी घर के सदस्य ग्रहण करते है. व्रती का 36 घंटे का उपवास यही से आरंभ हो जाता है.
19 नवंबर रविवार को डूबते सूर्य को अर्ध्य दिया जायेगा, जिसे संध्या अर्ध्य भी कहा जाता है. उस समय बास के सुपडे में सभी पूजा सामाग्री जैसे फल रखकर गना, नारियल, ठेकुवा गेहू के व गुड शुध्दी से बनाया जाता ठेकुवा छठ का मुख्य प्रसाद है. भगवान सूर्य को समर्पित किया जाता है.
20 नवंबर को सोमवार को उगते सूर्य को अर्ध्य दिया जायेगा. इस दौरान व्रती सूर्य देव से सुख शांति क लिए प्रार्थना करती है. पारण सुबह के अर्ध्य के बाद होता है. इसके साथ ही यह पर्व का समापन होता है.
हर वर्ष की तरह इस बार भी संतोषी नगर गली नं. 4 में यह छठ महा पर्व मनाया जा रहा है और भव श्याम बाबा का दरबार भी सजने जा रहा है. (आयोजक- छठ पूजा मित्र परिवार) निवेदक – श्री श्याम लखदातार परिवार (गायक संजूजी शर्मा कामठी नागपुर) (सुमितजी बावरा, आकाशजी गुप्ता अमरावती)
– पंडित श्री धनंजय पाण्डेय महाराज ,
इतवारा बाजार, अमरावती

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