10 वीं-12 वीं की कक्षाओं व कॉलेजों को बंद कराने का क्या औचित्य
मनपा सभागृह नेता तुषार भारतीय का जिलाधीश से सवाल
* प्रतिबंधात्मक नियमों पर पुनर्विचार करने की मांग उठाई
अमरावती/दि.11- मनपा के सभागृह नेता तुषार भारतीय ने विगत दिनों राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन द्वारा कोविड प्रतिबंधात्मक उपायों को लेकर जारी की गई अधिसूचना पर अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए जिलाधीश पवनीत कौर से जानना चाहा कि, कक्षा 10 वीं-12 वीं सहित कॉलेजों की कक्षाओं को बंद कराने का क्या औचित्य है.
इस संदर्भ में जिलाधीश पवनीत कौर से प्रत्यक्ष मुलाकात करते हुए मनपा के सभागृह नेता तुषार भारतीय ने कहा कि, इससे पहले जब स्कुल व कॉलेज को खोलने की अनुमति दी गई थी, तब 15 से 18 वर्ष आयुगुटवाले किशोरवयीनों के लिए टीकाकरण की सुविधा भी उपलब्ध नहीं थी. किंतु अब इस आयुवर्ग के शालेय व महाविद्यालयीन छात्र-छात्राओं का टीकाकरण हो रहा है और उन्हें को-वैक्सीन की पहली डोज लगायी जा रही है. जिसके लिए बाकायदा स्कुल व कॉलेजोें में टीकाकरण शिबिर आयोजीत किये जा रहे है. ऐसे में यदि स्कुल व कॉलेज पूरी तरह से बंद करवा दिये जाते है, तो इस आयुवर्ग के किशोरवयीनों के टीकाकरण का काम भी प्रभावित होगा. साथ ही तुषार भारतीय ने यह भी कहा कि, टीकाकरण के बाद एक तरह से सभी छात्र-छात्राओं के पास कोविड की महामारी के खिलाफ सशक्त सुरक्षा कवच उपलब्ध हो गया है. अत: अब उन्हें कक्षाओं में आने से रोकने का कोई औचित्य नहीं है. साथ ही तुषार भारतीय ने यह भी कहा कि, यद्यपि सरकार व प्रशासन ने स्कुल व कॉलेज को बंद करा दिया है, किंतु शॉपिंग मॉल व बाजार सहित टॉकीज व नाट्यगृह अब भी खुले हुए है. ऐसे में स्कुल-कॉलेज बंद रहने के चलते सभी किशोरवयीन छात्र-छात्राएं इन सभी स्थानों पर निश्चित रूप से बेधडक आना-जाना करेंगे, तो केवल स्कुल व कॉलेज को ही बंद रखकर क्या हासिल होनेवाला है. सभागृह नेता भारतीय ने सुझाव दिया कि, जिस तरह अन्य सभी स्थानों पर 50 फीसद उपस्थिति की अनुमति दी गई है, उसी तरह पहला टीका लगवा चुके किशोरवयीनों व दोनों टीके लगा चुके 18 वर्ष से अधिक आयुवाले युवाओं को ही कक्षाओं में उपस्थित रहने की अनुमति दी जाये. एवं इसमें भी 50 फीसद उपस्थिति व रोटेशन पध्दति का नियम लागू किया जाये, ताकि सभी विद्यार्थियों का पढाई-लिखाई से नाता बना रहे. भारतीय के मुताबिक ऑनलाईन शिक्षा का कोई विशेष प्रभाव या फायदा नहीं होता. यह बात विगत दो वर्षों के दौरान काफी हद तक स्पष्ट हो चुकी है. अत: सरकार एवं प्रशासन द्वारा स्कुल व कॉलेज को खोलने के लिए अपने फैसले पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए.