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आखिर क्या है ‘उस’ 10 किलो सोने का सच

पुलिस बता रही बेनामी व्यवहार का मामला

* सराफा व्यापारियों के मुताबिक कुछ भी गलत नहीं
* राजापेठ पुलिस ने पकडा था पांच करोड रूपयों का दस किलो सोना
* राजस्थान निवासी तीन लोगों को भी लिया गया है हिरासत में
* पुलिस की कार्रवाई से शहर सहित जिले के सराफा जगत में हडकंप
अमरावती/दि.7– स्थानीय दशहरा मैदान के सामने स्थित राधाकृष्ण अपार्टमेंट के एक फ्लैट में छापा मारकर पुलिस ने शनिवार की रात करीब 5 करोड रूपये मूल्य का 10 किलो सोना बरामद करने के साथ-साथ लगभग साढे पांच लाख रूपये की रकम भी जप्त की थी. साथ ही इस मामले में जांच व पूछताछ हेतु राजस्थान निवासी तीन लोगों को भी अपनी हिरासत में लिया गया था. इस कार्रवाई की जानकारी सामने आते ही अमरावती शहर सहित जिले के सुवर्ण व्यवसायियों में जबर्दस्त खलबली व्याप्त हो गई. साथ ही कल पूरा दिन आम नागरिकों में भी इस विषय को लेकर जबर्दस्त उत्सूकता देखी गई. जहां एक ओर पुलिस यह दावा कर रही है कि, उसने बेनामी संपत्ति तथा दो नंबर में चलनेवाले सोने के व्यवसाय का बडा मामला उजागर किया है, वहीं दूसरी ओर शहर के कुछ सुवर्ण व्यवसायियों के मुताबिक इस व्यवहार में गलत कुछ भी नहीं और राधाकृष्ण अपार्टमेंट से एक तरह से सोने के आभूषणों का होलसेल व्यवसाय चला करता था. जिसके तहत मुंबई से बडे पैमाने पर सोने के बिस्कीट व तैयार आभूषण यहां लाये जाते थे और फिर यहां से शहर सहित जिले व आसपास के जिलों में स्थित सराफा फर्म व ज्वेलर्स शोरूम को माल की आपूर्ति की जाती थी. ऐसे में अब सबसे बडा सवाल यह है कि, आखिर कल पुलिस द्वारा छापामार कार्रवाई के बाद पकडे गये पांच करोड रूपये मूल्यवाले 10 किलो सोने का असली सच क्या है.
बता दें कि, बीते शनिवार की रात करीब 9.30 बजे के आसपास खुद को मिली गुप्त सूचना के आधार पर राजापेठ पुलिस स्टेशन के दल ने दशहरा मैदान मार्ग स्थित राधाकृष्ण अपार्टमेंट के एक फ्लैट पर छापा मारा. जहां से 10 किलो 238 ग्राम व 900 मिलीग्राम सोना जप्त किया गया. इसमें करीब 580 ग्राम वजनी सोने के बिस्कीट तथा 9 किलो 600 ग्राम से अधिक वजन के सोने के हार, कर्णफुल, अंगूठी, चेन, चपलाहार व ब्रेसलेट जैसे तैयार आभूषण जप्त किये गये. साथ ही यहां से राजेंद्रसिंह भंवरसिंह राव (38, सेवाली, तह. राजसमंद, राजस्थान), गिरीराज जगदीशचंद्र सोनी (22, वल्लभनगर, उदयपुर, राजस्थान) तथा अशोक सत्यनारायण खंडेलवाल (24, गंगापुर, भिलवाडा, राजस्थान) को अपनी हिरासत में लिया. इसमें से अशोक खंडेलवाल की तबियत बिगड जाने के चलते उसे अस्पताल में भरती कराया गया. वहीं हिरासत में लिये गये दो लोगों में से राजेंद्रसिंह राव ने बताया कि, उसकी श्रीजी गोल्ड नामक कंपनी है और वह मुंबई के सराफा मार्केट से सोने के बिस्कीट व तैयार आभूषण लाकर स्थानीय सराफा व्यापारियों को बेचता है. साथ ही कई बार सराफा व्यापारियों से मिलनेवाले ऑर्डर के अनुसार स्थानीय कारागीरों के जरिये सोने के आभूषण तैयार करवाकर उन्हें उपलब्ध कराता है. राव ने यह भी बताया कि, वह यह व्यवसाय विगत करीब चार-पांच वर्षों से कर रहा है और उसने बाकायदा अमरावती के जीएसटी कार्यालय से जीएसटी पंजीयन भी करवा रखा है. किंतु पुलिस द्वारा की गई जांच-पडताल के दौरान राजेेंद्रसिंह राव की ओर से इस पूरे व्यवहार के पक्के बिल पेश नहीं किये जा सके. साथ ही मुंबई से लाये गये सोने की खरीदी, स्थानीय व्यापारियों को की गई सोने की बिक्री तथा स्थानीय कारागीरों को आभूषण तैयार करने की ऐवज में दी गई मजदूरी को लेकर राजेंद्रसिंह राव द्वारा कोई अधिकृत दस्तावेज पेश नहीं किये जा सके. हालांकि राव ने यह दावा जरूर किया कि, ये सभी दस्तावेज उसकी कंपनी के मुंबई स्थित मुख्यालय और उसके चार्टर्ड अकाउंटंट के पास है. किंतु इस बयान से पुलिस संतुष्ट नहीं हुई. जिसके बाद पुलिस ने तुरंत ही मौके पर एक सुवर्णकार को बुलाया और ये सोना असली है अथवा नकली, इसकी जांच करायी. साथ ही सोना असली रहने की पुष्टि होने के बाद पंचनामा करते हुए इस सोने को सिलबंद कर जप्त कर लिया गया. जिसमें करीब सवा 9 किलो सोने के तैयार गहने व आधे किलो से अधिक सोने के बिस्कीटों का समावेश था. इसके अलावा यहां से 5 लाख 39 हजार 800 रूपये की नकद राशि भी पुलिस द्वारा बरामद करते हुए जप्त की गई. रात करीब 10 बजे से शुरू हुई यह कार्रवाई रविवार को तडके 5 बजे तक चलती रही. इस दौरान पुलिस ने पूरा माल असबाब लोहे की एक मजबूत पेटी में बंद करते हुए अपने मालखाने में सुरक्षित रखा. इस पेटी में मौके से करीब चार बक्सों में बरामद हुई कच्ची चिठ्ठीयों व पावतियों को भी रखा गया. पुलिस सूत्रों के मुताबिक यह पूरा व्यवहार जीएसटी सहित अन्य करों को बचाने हेतु चोरी-छीपे ढंग से चल रहा था. ऐसे में इसकी जानकारी जीएसटी व आयकर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को भी दी गई है. इस संदर्भ में अदालत द्वारा जांच की अनुमति मिलने के बाद पूरे मामले की असलियत सामने आयेंगी. साथ ही राधाकृष्ण अपार्टमेंट में रहनेवाले ‘होलसेलरों’ से शहर सहित जिले के किन-किन रिटेल सराफा व्यवसायियों द्वारा माल खरीदा जाता था, इसकी भी जांच की जायेगी.

* जीएसटी पंजीयन व हॉलमार्किंग का हैं लाईसेन्स
इस पूरी कार्रवाई को लेकर स्थानीय सराफा व्यवसायियों से प्रतिक्रिया हेतु संपर्क किये जाने पर उन्होंने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर दैनिक अमरावती मंडल को बताया कि, इन दिनों सराफा व्यवसाय में जीएसटी पंजीयन व हॉलमार्किंग का रजिस्ट्रेशन रहना बेहद अनिवार्य है. साथ ही 10 हजार रूपये से अधिक का व्यवहार आरटीजीएस के जरिये ही किया जाता है. ऐसे में ‘दो नंबर’ के व्यवहार की कोई गूंजाईश ही नहीं बचती. सराफा बाजार से जुडे सूत्रों ने बताया कि, यह कोई अफरा-तफरी का मामला नहीं है. साथ ही इसे अवैध व्यवसाय के तौर पर भी नहीं देखा जा सकता. क्योंकि संबंधित व्यक्ति की मुंबई में रजिस्टर्ड कंपनी और मुख्यालय है. साथ ही अमरावती के एक फ्लैट में चलनेवाले व्यवसाय को लेकर भी स्थानीय जीएसटी कार्यालय से जीएसटी रजिस्ट्रेशन नंबर प्राप्त किया गया. इसके अलावा संबंधित व्यक्ति द्वारा सोने की जो भी खरीदी-बिक्री की जाती है, निश्चित तौर पर उसका भूगतान आरटीजीएस के जरिये ही किया जाता है. सराफा व्यवसाय में कई बार हिसाब-किताब मिलाने के लिए कच्ची चिठ्ठियां व पावतियां लिखी जाती है और व्यवहार पूरा होने पर पक्के बिल बनाये जाते है. यह व्यवस्था भी सालोसाल से चली आ रही है. अत: इस पूरे मामले को लेकर पुलिस संभवत: कुछ हद तक गलतफहमी का शिकार है.

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