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कैसा पब, काहे का पब, परमिट रुम के नाम पर खोले गये पब

पब के नाम पर नहीं जारी हुई कभी कोई परमिशन

* सभी तथाकथित पब के पास है एफएल-3 का लाईसेंस
* खुद पुलिस एवं आबकारी विभाग भी पब को लेकर क्लीयर नहीं
अमरावती/दि.15 – विगत कुछ दिनों से अमरावती शहर के अलग-अलग हिस्सों में चल रहे पबों को लेकर काफी होहल्ला मच रहा है. जिसके तहत कई राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों द्वारा आरोप लगाया जा रहा है कि, पब संस्कृति की वजह से अमरावती की अपनी संस्कृतिक के साथ ही नई पीढी के युवा बिगड रहे है. साथ ही नई पीढी के बच्चे गलत राह पर भी जा रहे. खुद संगठनों द्वारा इसे लेकर उठाई गई आपत्ति के बाद स्थानीय पुलिस प्रशासन ने आनन-फानन में सभी पब संचालकों की बैठक लेकर उन्हें सभी सरकारी नियमों व निर्देशों का पालन करने तथा कानूनी दायरे के भीतर रहकर काम करने का निर्देश दिया. साथ ही राजनीतिक दलों व संगठनोंं के पदाधिकारियों को भी चेतावनी दी कि, वे किसी भी लिहाज से कानून को अपने हाथ में न ले, अन्यथा उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इस तमाम होहल्ले के बीच अमरावती की आम जनता ने इस बात को लेकर जिज्ञासा पैदा हो गई है कि, आखिर यह पब क्या होते है और वहां पर क्या कुछ होता है. ऐसे में दैनिक अमरावती मंडल ने भी इस बारे में अपनी ओर से जानकारी प्राप्त करने हेतु पडताल की, तो बेहद हैरान कर देने वाली जानकारी समाने आयी. जिसके मुताबिक सरकार एवं प्रशासन की ‘डिशनरी’ में पब जैसा तो कोई शब्द ही नहीं है और पब जैसी किसी आस्थापना के लिए किसी भी सरकारी महकमे द्वारा कोई अनुमति भी नहीं दी जाती, तो सवाल उठता है कि, इसके बावजूद भी शहर में धडल्ले के साथ पब कैसे चल रहे है.
इस संदर्भ में की गई पडताल के मुताबिक शहर में कुल 6 पब चल रहे है. जिनमें पुराना बायपास रोड स्थित किचन-365, कैम्प परिसर स्थित होटल अपेंड अबाउ, कैम्प परिसर के ही डागा इन्फीनेटी स्थित एन्थीना, पुराना बियाणी चौक पर डागा प्लाझो स्थित लिवाइटेड तथा तापडिया मॉल स्थित एज एण्ड जैक और क्लब-27 जैसे 6 पब चल रहे है. जिनके पास किसी परमिट रुम के लिए आबकारी विभाग द्वारा दिया जाने वाला एफएल-3 का ही लाईसेंस होता है. यानि यह सभी तथाकथित पब हकीकत में परमिट रुम है और खुद को मिले लाईसेंस में दर्ज नियमों व शर्तों के मुताबिक अपने तय क्षेत्र के भीतर विदेशी शराब, बीयर, वाइन व स्पीरिट बेच सकते है. एफएल-3 लाईसेंस में स्पष्ट तौर पर उल्लेखीत होता है कि, लाईसेंसधारक व्यक्ति द्वारा अपनी आस्थापना के भीतर कितने क्षेत्र व हिस्से में शराब की विक्री की जा सकेगी तथा शेष बचे हिस्से में भोजन परोसने जैसी अन्य गतिविधियां चलेगी. इसके साथ ही इस लाईसेंस में 18 वर्ष से कम आयु वाले किसी भी व्यक्ति को शराब नहीं बेचने, 18 से 25 वर्ष की आयु वाले व्यक्ति को बीयर व माईल्ड ड्रींक तथा 25 वर्ष से अधिक आयु वाले व्यक्ति को ही विदेशी लिकर अथवा हार्ड ड्रींक बेचने की शर्त का उल्लेख होता है. परंतु इन नियमों की अक्सर ही सभी लाईसेंसधारकों व परमिट रुम संचालकों द्वारा अनदेखी करने के साथ ही धज्जियां भी उडाई जाती है. वहीं इन दिनों शहर में बने नये-नये मॉल व शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में भी नियमों का कानून की पतली गलियों का सहारा लेते हुए एफएल-3 का लाईसेंस प्राप्त कर परमिट रुम की आड में तथाकथित पब खोल दिये गये है. जहां पर इन नियमों की और भी अधिक धडल्ले के साथ धज्जियां उड रही है.

* देर रात तक चलता रहता है शराब परोसने का काम
– शराब के साथ ही एमडी ड्रग्ज विक्री का भी आरोप
बता दें कि, एफएल-3 लाईसेंस के तहत लाईसेंसधारक को सुबह 11.30 से रात 1.30 बजे तक ही सभी नियमों व शर्तों के अधिन रहते ही अपनी आस्थापनाओं में शराब विक्री करने की अनुमति दी जाती है. परंतु पब के नाम पर शहर में जगह-जगह चल रहे इन नये जमाने वाले परमिट रुम में रात 1.30 बजे के बाद भी तडके 4-5 बजे तक पीने-पिलाने का दौर चलता रहता है. साथ ही आरोप तो यह भी लग रहे है कि, उन तथाकथित पब में शराब के साथ-साथ चोरी-छीपे तरीके से एमडी ड्रग्ज जैसे मादक पदार्थों की भी विक्री की जाती है. यानि एक तरफ तो आबकारी नियमों का उल्लंघन हो रहा है. साथ ही साथ नार्कोटीक्स कंट्रोल कानून की भी धज्जियां उड रही है.

* क्या होता है इन पबों में?
इस संदर्भ में की गई पडताल के जरिए पता चला है कि, शहर के नामांकित मॉल एवं शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में शुरु किये गये इन तथाकथित पबों में यूं तो सप्ताह के बाकी दिन किसी आम परमिट रुम व बीयर बार की तरह ही माहौल होता है, लेकिन विकेंड यानि सप्ताहांत में मौज-मस्ती करने के मुड में रहने वाले युवाओं की जरुरत को देखते हुए इन पबों में विशेष तौर पर ‘सैटरडे नाइट पार्टी’ का आयोजन किया जाता है. जिसके लिए सभी पब एक तरह से डीजे हॉल में तब्दिल हो जाते है. इस पार्टी के लिए पब के संचालकों द्वारा बाकायदा बाहर से डीजेवालों को अपने यहां बुलाया जाता है. साथ ही आरोप तो यह भी है कि, कुछ पब संचालकों द्वारा बाहर से लडकियों को भी नांचने के लिए डांसर के तौर पर ऐसी पार्टियों में बुलाया जाता है, ऐसी पार्टियों की जानकारी युवाओं के सोशल मीडिया पर बने ग्रुप में बराबर प्रसारित हो जाती है. जिसके चलते आर्थिक रुप से संपन्न रहने वाले एवं संभ्रांत घराने के युवा ‘सैटरउे नाईट’ के लिए पब में बराबर पहुंच जाते है.

* एंट्री फीस के नाम पर लिया जाता है एडवॉन्स पेमेंट
इस तरह की ‘सैटरडे नाईट पार्टी’ के लिए अलग-अलग पब में डेढ से दो हजार रुपए प्रतिव्यक्ति की एंट्री फीस ली जाती है. जिसे एक तरह से एडवॉन्स पेमेंट के तौर पर जमा किया जाता है और इस रकम को संबंधित ग्राहक के बिल में ‘माइनस’ कर दिया जाता है. एक तरह से यहां पर भी पब संचालकों द्वारा कानून की पतली गली का सहारा लिया जाता है. क्योंकि यदि पब संचालकों द्वारा अपने ग्राहकों से नि:शुल्क तौर पर एंट्री फीस ली जाये, तो उन्हें इस पर मनोरंजन कर के तौर पर अच्छा खासा कैश अदा करना पडेगा, ऐसे में पब संचालकों द्वारा इसे एंट्री फीस की बजाय एडवॉन्स पेमेंट का नाम दिया जाता है. जिसके चलते डेढ से दो-ढाई हजार रुपए का भारी भरकम शुल्क अदा करने के बाद पब में प्रवेश करने वाले व्यक्ति को कम से कम इतनी रकम को पब के भीतर खुद पर खर्च करनी ही होती है. क्योंकि यह एडवॉन्स पेमेंट ‘नॉन रिफंडेबल’ होता है. हालांकि जिस तरह की आर्थिक पृष्ठभूमि रखने वाले युवक-युवतियां ऐसे पबों में जाते है. उन्हें रिफंड मिलने की फिक्र ही नहीं होती, बल्कि वे इससे कही ज्यादा पैसा खर्च करते हुए एडवॉन्स पेमेंट के उपर रहने वाले बिल की रकम का भी भुगतान करते है.

* केवल बडे व संभ्रांत घरानों के युवा ही दिखते हैं ऐसे पबों में
यद्यपि इन दिनों कई राजनीतिक दलों व सामाजिक संगठनों द्वारा अमरावती में पनप रही पब संस्कृति को अमरावती के जनसामान्यों के लिए खतरनाक व घातक बताया जा रहा है. साथ ही यह आरोप भी लगाया जा रहा है कि, इससे आम परिवारों के युवा गलत रास्ते पर जा सकते है. परंतु यहां पर इस बात की अनदेखी भी नहीं की जा सकती है कि, अमरावती शहर में एफएल-3 का लाईसेंस प्राप्त करते हुए दर्जनों परमिट रुम चल रहे है. जहां पर आम मध्यम वर्गीय परिवारों से वास्ता रखने वाले लोगबाग ही जाकर शराब का सेवन करते है. इसके तहत हर कोई अपनी-अपनी हैसियत को देखते हुए उस लिहाज की सुविधाएं रहने वाले परमिट रुम में जाना पसंद करता है. ठीक उसी तर्ज पर हाईप्रोफाइल व एलिट क्लास में शामिल रहने वाले परिवारों के युवा इन दिनों किसी आम परमिट रुम में जाने की बजाय किसी मॉल या शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में बने पबनुमा परमिट रुम में जाना पसंद करते है. जहां पर उनके लिए पीने-पिलाने की सुविधा के साथ ही नांचने-गाने की सुविधाएं भी होती है. ऐसे में अपने विकेंड को शानदार बनाने के लिए कई युवा ऐसे स्थानों पर आयोजित सैटरडे नाइट पार्टी मेें जाना पसंद करते है. जिसके लिए किसी के भी द्वारा किसी पर भी किसी भी तरह की कोई जोरजबर्दस्ती नहीं की जाती है. यह लगभग कुछ ऐसा ही है. जैसे अब नई पीढी के युवा आम टॉकीजों में फिल्म देखने की बजाय मल्टिप्लेक्स में बैठकर फिल्म देखना पसंद करते है और वहां बेहद महंगे दामों पर पॉपकॉन व बिसलेरी सहित अन्य खाने-पीने की वस्तुओं का ऑर्डर देते है.

* तथाकथित पबों को राजनीतिक आशीर्वाद के साथ ही पुलिस का भी साथ
यहां यह कहना कतई अतिशयोक्ति नहीं होगा कि, शहर में चल रहे तथाकथित पबों के पीछे राजनीतिक लोगों का आशीर्वाद और कहीं न कहीं पुलिस का भी साथ है. अन्यथा इतने धडल्ले के साथ आबकारी नियमों का उल्लंघन करते हुए व्यवसाय करना किसी के लिए संभव नहीं है. कुछ राजनीतिक दलों व सामाजिक संगठनों द्वारा उठाई गई आवाज के चलते पुलिस को मजबूर होकर सभी पब संचालकों को यह ताकिद देनी पडी कि, वे अपना व्यवसाय आबकारी व सरकारी नियमों के तहत ही करें और रात 1.30 बजे शहर के सभी पब बंद किये जाये. जिसका सीधा मतलब है कि, पुलिस ने जाने-अनजाने में यह स्वीकार कर लिया है कि, इससे पहले पब संचालकों द्वारा निर्धारित समय के बाद ही अपने-अपने पब शुरु रखते हुए आबकारी नियमों व निर्देशों का उल्लंघन किया जा रहा है. यूं तो पुलिस द्वारा पूरे शहर को रोजाना रात 11 बजे बंद करा दिया जाता है. लेकिन यह बात भी किसी से ढंकी-छीपी नहीं है कि, शहर में आज भी कई ऐसे ‘ठिकाने’ है, जो रात 2-3 बजे तक चलते रहते है. ठीक इसी तरह जब बीती रात शहर पुलिस के पथकों ने शहर के अलग-अलग हिस्सों में चलने वाले पबों को बंद कराया, तो सभी पब दिखावे के लिए ही बंद हुए थे तथा पुलिस पथक के जाते ही सभी पबों में एक बार फिर पहले की तरह कामकाज शुरु हो गया. इसके बारे में जानकारी मिलते ही पुलिस ने कुछ एक स्थानों पर दबीश दी, तो पब के भीतर मौजूद लोगबाग दीवार फानकर भाग निकले. जाहीर सी बात यह है कि, जैसे-जैसे दिन बितेंगे और समय आगे बढेगा वैसे-वैसे पबों के खिलाफ पुलिस द्वारा की जाने वाली कार्रवाईयों की तीव्रता भी कम होती जाएगी और एक बार फिर स्थिति जस की तस हो जाएगी.
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* पुलिस और आबकारी विभाग के बीच ठनी
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, कुछ राजनीतिक दलों व सामाजिक संगठनों द्वारा शहर में चल रहे पबों के खिलाफ आवाज उठाये जाने के बाद स्थानीय शहर पुलिस द्वारा कुछ हद तक सक्रियता दिखाई गई. जिसके तहत आबकारी विभाग के अधिकारियों द्वारा एवं पब के संचालकों द्वारा संयुक्त बैठक बुलाई गई. जिसमें कई तरह के दिशा-निर्देश जारी किये गये. इस बैठक में आबकारी विभाग के अधीक्षक ज्ञानेश्वरी अहेर ने साफ तौर पर यह कहते हुए अपना पल्ला झाड लिया कि, आबकारी विभाग की जिम्मेदारी केवल एफएल-3 व लाईसेंस जारी करने और संबंधित प्रतिष्ठान में होने वाली शराब की विक्री पर नजर रखने की है. इसके अलावा व्यवस्था बनाये रखने की जिम्मेदारी से उनका कोई लेना देना नहीं है. क्योंकि यह पुलिस की जिम्मेदारी है. वहीं शहर पुलिस प्रशासन का कहना रहा कि, एफएल-3 लाईसेंस धारक आस्थापना में लाईसेंस के नियमों व शर्तों का बराबर पालन हो रहा है अथवा नहीं, यह देखना पुलिस का काम नहीं है, बल्कि इसकी ओर खुद आबकारी विभाग ने ही ध्यान देना चाहिए. ऐसे में कहा जा सकता है कि, पब के मुद्दे को लेकर इस समय शहर पुलिस एवं आबकारी विभाग एक-दूसरे के आमने-सामने है.

* आबा पाटिल के जमाने में ही बंद हो गये थे डांस बार और पब
सबसे खास बात यह है कि, राज्य के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री आर. आर. उर्फ आबा पाटिल ने ही राज्य में सबसे पहले डांस बार और पब जैसे प्रतिष्ठानों को बंद करने का निर्णय लिया था. क्योंकि इन प्रतिष्ठानों की आड में चल रहे गलत कामों को लेकर बडे पैमाने पर शिकायतें प्राप्त हो रही थी और लोगबाग ऐसे डांस बार व पबों में जाकर बडे पैमाने पर बर्बाद भी हो रहे थे. परंतु 1 जुलाई 2017 को देश में जीएसटी की व्यवस्था लागू होने तथा कर प्रणाली में बडा बदलाव होने के बाद शराब व्यवसाय में शामिल रहने वाले लोगों ने कानून में रहने वाली कुछ खामियों का फायदा उठाते हुए एक बार फिर एफएल-3 का लाईसेंस लेकर कथित तौर पर पब खोलने शुरु कर दिये. जहां पर शराब परोसने के साथ तरह-तरह की लाईटों की जगमगाहट और डीजे का धुम धडाका भी होता है. जिसका आनंद उठाने के लिए आर्थिक रुप से सक्षम युवक-युवतियां ऐसे पबों में मौज मस्ती करने हेतु पहुंचते है. विशेष उल्लेखनीय है कि, इन दिनों कई उच्च शिक्षित युवक-युवतियों सहित व्यापारिक घरानों से वास्ता रखने वाले युवाओं द्वारा विक एण्ड मनाने का चलन काफी जोरों से चल पडा है. जिस पर नजर रखते हुए ऐसे तथाकथित पबों द्वारा प्रत्येक शनिवार की रात सैटरडे नाइट पार्टी का आयोजन किया जाता है, जिसे लेकर इन दिनों अच्छा खासा हो-हल्ला मचा हुआ है.

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