अमरावती

नायलॉन मांजे पर क्या उपाय योजना की?

5 जनवरी तक उत्तर दाखल करने के हाईकोर्ट के आदेश

नागपुर/दि.16– राष्ट्रीय हरित लवादा ने जानलेवा नायलॉन मांजे पर बंदी डालने के बाद कुछ राज्यों ने इस आदेश को अमल में लाया है. राज्य सरकार ने न्यायालय के सामने प्रस्तुत किए शपथपत्रानुसार महाराष्ट्र यह देश का अमल करने वाला ऐसी ही कुछ राज्यों में से एक है. फिर भी विदेश से यह मांजा आयात किये जाने के साथ ही इसकी बिक्री कर इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐसा न्यायालय मित्र ने न्यायालय के ध्यान में लाया. इसलिए मांजा का आयात, बिक्री, इस्तेमाल व इसके उत्पादन पर बंदी लगाने बाबत क्या उपाय योजना की, ऐसी पूछताछ मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ ने राज्य सरकार सहित प्रशासन से की है. इस मामले में आगामी 5 जनवरी तक उत्तर दाखल करने के आदेश न्यायालय ने दिए है.
इस मामले में न्यायमूर्तिद्वय सुनील शुक्रे व अनिल पानसर के समक्ष सुनवाई हुई. बंदी आदेश के बाद भी जानलेवा नायलॉन मांजा बाजार में आने से रोकने के लिए क्या उपाय व समस्या कहा है, ऐसी पूछताछ उच्च न्यायालय ने गत सुनवाई के दौरान की थी. इस संदर्भ में पर्यावरण मंत्रालय की प्रधान सचिव मनिषा पाटणकर-म्हैसकर ने प्रतिज्ञापत्र दाखल कर नायलॉन मांजे पर बंदी होेने की बात कही थी.
उच्च न्यायालय के आदेश के बाद राज्यशासन ने नायलॉन मांजे पर बंदी लाने के बाद भी नायलॉन मांजा बिक्री के लिए बाजार में उपलब्ध होने की बात न्यायालय मित्र देवेन चव्हाण ने न्यायालय के ध्यान में लायी. मकर संक्रांति का त्यौहार करीब है. इसलिए उच्च न्यायालय सहित हरित लवादा ने दिए आदेश को अमल में लाये, मांजा का इस्तेमाल रोके इसलिए नागरिकों में जनजागृति करें, दुर्घटना न हो, इसलिए आवश्यक उपाय योजना करे, ऐसे आदेश उच्च न्यायालय ने दिए.
आज तक नायलॉन मांजे से कई पक्षियों की मृत्यु हुई है व गंभीर रुप से जख्मी हुए हैं. राज्य सरकार ने बंदी लाने पर भी हर साल नायलॉन मांजा की बिक्री बाजार में होती है. नागरिक पतंगबाजी करते समय मांजे का उपयोग करने के कारण गंभीर घटनाएं घटती है. राष्ट्रीय हरित लवादा ने दिए आदेश का पालन प्रशासन द्वारा नहीं किए जाने की बात दिखाई दे रही है. विदर्भ के सभी मनपा व प्रशासन को सूचना देने के आदेश भी न्यायालय ने दिए. न्यायालय मित्र के रुप में देवेन चव्हाण ने तो राज्य शासन की तरफ से एड. केतकी जोशी ने पैरवी की.

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