क्या होगा आगे राणा दम्पति के साथ?
धारा 124 (अ) के तहत चार्जशीट पर लगी सभी निगाहें
अमरावती/दि.25– विगत शनिवार को राज्य के मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे के मुंबई स्थित आवास ‘मातोश्री’ बंगले के समक्ष हनुमान चालीसा पढने हेतु मुंबई पहुंची अमरावती जिले की सांसद नवनीत राणा तथा उनके पति व विधायक रवि राणा को मुंबई पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था. साथ ही उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (अ) और मुंबई पुलिस अधिनियम की धारा 135 के तहत अपराधिक मामला दर्ज किया. वहीं बाद में राणा दंपति के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में भादंवि की धारा 353 भी जोडी गई. साथ ही साथ राणा दम्पति के खिलाफ धारा 124 (अ) के तहत राजद्रोह का मामला भी प्रस्तावित किया गया. जिसे लेकर सर्वाधिक हैरत जताई जा रही है.
विधि क्षेत्र से वास्ता रखनेवाले विशेषज्ञों के मुताबिक पहले धारा 124 (अ) के तहत मामला दर्ज करते हुए चार्जशीट पेश करने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री की पूर्व अनुमति व अनुशंसा जरूरी होती थी. लेकिन कालांतर में इससे संबंधित कुछ अधिकार राज्यों को भी दिये गये और अब इस धारा के तहत किसी भी राज्य के गृहमंत्री की पूर्व अनुमति व अनुशंसा के आधार पर संबंधित राज्य के खिलाफ विद्रोह करनेवाले व्यक्ति को लेकर चार्जशीट दाखिल की जा सकती है. यानी अब केंद्रीय सत्ता के खिलाफ कोई चुनौतीपूर्ण अपराध होने पर केंद्रीय गृहमंत्री और राज्य सरकार के खिलाफ चुनौतीपूर्ण अपराध होने पर संबंधित राज्य के गृहमंत्री की पूर्व अनुमति व अनुशंसा के आधार पर संबंधित व्यक्ति के खिलाफ राजद्रोह का अपराध दर्ज हो सकता है. ऐसे में स्पष्ट है कि, अब मुंबई पुलिस द्वारा राणा दम्पति के मामले में राज्य के गृह मंत्रालय व गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटील की पूर्व अनुमति व अनुशंसा मांगी जायेगी. ऐसे में अब सभी का ध्यान इस ओर लगा हुआ है कि, राज्य सरकार द्वारा राणा दम्पति के खिलाफ राजद्रोह से संबंधित मामले को लेकर क्या भूमिका अपनायी जाती है.
बता दें कि, यदि इस धारा के तहत चार्जशीट पेश होने के बाद आरोपित व्यक्ति के खिलाफ यदि अपराध साबित हो जाता है, तो उसे न्यूनतम तीन साल से लेकर अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है. ऐसे में अब सभी का ध्यान राणा दम्पति के भविष्य की ओर लगा हुआ है और सभी की निगाहे आगामी 29 अप्रैल को अदालत में राणा दम्पति की जमानत पर होनेवाली सुनवाई की ओर टिकी हुई है.
* इन चार वजहों के चलते राणा दम्पति पर लगाई गई है राजद्रोह की धारा
इस संदर्भ में अभियोजन पक्ष के वकील एड. प्रदीप घरत से मिली जानकारी के मुताबिक राणा दम्पति पर चार प्रमुख वजहों के चलते राजद्रोह की धारा के तहत अपराध दर्ज किया गया है. घरत के मुताबिक यदि सरकारी व्यवस्था को अस्थिर करने के लिए प्रयास किया जाता है और शासन व्यवस्था को चुनौती दी जाती है, तो इस धारा को लागू किया जाता है. नवनीत राणा व रवि राणा ने प्रतिबंधात्मक नोटीस देने के बाद भी अपनी जिद नहीं छोडी. जिसके चलते उनके खिलाफ इस धारा को लागू किया गया है. भरत के मुताबिक हनुमान चालिसा बेहद पवित्र है और इसका पठन का अपराध नहीं है, लेकिन राणा दम्पत्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति के घर के सामने हनुमान चालीसा पढने की जिद की जा रही थी और उस घर मालिक ने उन्हें ऐसा करने से मना किया था. ऐसे में वे किसी के घर में जबरन घुसकर हनुमान चालीसा का पाठ नहीं कर सकते. वहीं वह घर राज्य के मुख्यमंत्री और एक पार्टी के प्रमुख नेता का है. जहां पर जाने के बाद कानून व व्यवस्था की स्थिति बिगड सकती है. इसकी राणा दम्पति को पूरी जानकारी थी. लेकिन वे इसके बावजूद अपनी जिद पर अडे हुए थे. जिसका सीधा मतलब है कि उनका उद्देश्य ठीक नहीं था और वे जानबूझकर राज्य सरकार के लिए मुश्किलें खडी करना चाहते थे. इन सबके साथ ही एड. घरत ने यह भी बताया कि, सुप्रीम कोर्ट द्वारा काफी पहले स्पष्ट किया जा चुका है कि, यदि मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री जैसे संवैधानिक पदों पर किसी व्यक्ति की बजाय किसी पत्थर को भी बिठाया जाये, तो आप उसके खिलाफ आपत्तिजनक भाषा व अवमानजनक शब्दों ृका प्रयोग नहीं कर सकते और ऐसा करना राजद्रोह की श्रेणी में आता है. इन्हीं तमाम प्रमुख वजहों के चलते राणा दम्पति के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है.
* राणा की ओर से अदालत में दायर की गई जमानत याचिका
सांसद नवनीत व विधायक रवि राणा के वकील एड. रिजवान मर्चंट ने दैनिक अमरावती मंडल के साथ विशेष तौर पर बातचीत करते हुए बताया कि, राणा दम्पति के खिलाफ खार पुलिस स्टेशन में अपराध क्रमांक 500/22 के तहत दर्ज किये गये अपराधिक मामले को लेकर कोर्ट के समक्ष एक जमानत याचिका दायर की गई है.