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परसों क्या होगा, कौन हटेगा मैदान से

जिले के वोटर्स के साथ सभी की निगाहें टिकी

* केवल 5 घंटे हैं नाम पीछे लेने की सुविधा
* मविआ और महायुति दोनों को ही बागियों को मनाने की डेड लाइन करीब
अमरावती/ दि. 2 – 20 नवंबर को होने जा रहे राज्य विधानसभा के चुनाव हेतु नामांकन प्रक्रिया पूर्ण होने एवं अब दिवाली जैसा बडा पर्व भी बीत जाने के बाद समस्त प्रदेश की निगाहें सोमवार 4 नवंबर को होनेवाले विड्रॉल पर टिकी है. इस बार उत्सुकता अधिक हैं. सभी दलों े्ंरप्राय: बगावत हुई है. ऐसे में चुनावी संघर्ष को आसान बनाने के लिए महायुति हो या मविआ दोनों ही ओर से विद्रोहियों को नामांकन पीछे लेने के लिए मनाया जा रहा है. विद्रोहियों के मैदान से हटने अथवा डटे रहने पर विजय- पराजय के समीकरण निर्भर होने का दावा जिले कीे राजनीति के जानकार कर रहे हैं. सभी 8 क्षेत्रों में किसी न किसी दल में विद्रोह हुआ है. उसी प्रकार महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना पहलीबार मेैदान में काफी दम के साथ उतरी है तो परिवर्तन महाशक्ति यह तीसरी आघाडी भी नाराज उम्मीदवारों को अपने खेमेे में लेकर विशेषकर प्रहार का बल्ला हाथ में थमा कर वोट रूपी स्कोर बढाने की जुगत में हैं.
* चहुंओर बगावती तेवर
विपक्ष महाविकास आघाडी की तुलना मेें सत्तारूढ महायुति में बेशक विद्रोह की आंच तेज बताई जा रही. बडनेरा में दोनों ही ओर के उम्मीदवारों तुषार भारतीय, नितिन कदम, प्रीति संजय बंड ने विद्रोह कर रखा हैं. बल्कि यह उम्मीदवार मैदान में डटे रहने की पूर्ण संभावना बताई जा रही है. तुषार भारतीय खेमे से अपनी निष्ठावान भाजपा पार्टी होने का दावा किया जा रहा हैै. नितिन कदम को मनाये जाने की खबरें मिल रही है. कदम डटे हुए हैं. ऐसा ही मामला प्रीति बंड का है. जिन्हे शिवसेना के विधायक रहे संजय बंड के समर्थक पीछे हटने से रोक रहे हैं. अमरावती में जगदीश गुप्ता ने स्वयं को अनधिकृत भाजपा उम्मीदवार बताकर विद्रोह का स्वर तेज किया. लावलश्कर के साथ पर्चा दाखिल किया. जिससे अमरावती में जगदीश गुुप्ता, सुलभा खोडके, डॉ. सुनील देशमुख के बीच रोचक टक्कर के आसार हैं. मनसे के पप्पू पाटिल मुकाबले को चौकोना बना रहे हैं. पश्चिमी क्षेत्र से इस बार मुस्लिम आमदार का नारा तेज किया गया था. डॉ. अमीन पटेल, हाजी इरफान और डॉ. सैयद अबरार चुनाव निशानियां लेकर मैदान में उतरे हैं. इनकी उम्मीदवारी ने अमरावती के इलेक्शन को रोचक बना दिया है.
तिवसा में भाजपा के रविराज देशमुख ने बगावत कर रखी है. जिससे महायुति के चुनावी समीकरणों पर असर होने की संभावना बताई जा रही है. भाजपा ने कांग्रेस की यशोमती ठाकुर के सामने राजेश वानखडे को अवसर दिया है. वानखडे ने पिछली बार एड. ठाकुर को शिवसेना धनुष्य बाण के प्रत्याशी के रूप में अच्छी टक्कर दी थी. दर्यापुर में भी बडे प्रमाण में बगावत हुई है. ऐसे में सोमवार दोपहर 3 बजे तक कितने प्रत्याशी अपना पर्चा वापस लेते हैं. इस पर वहां का चुनावी गणित क्लीयर होने की भावना जानकारों ने व्यक्त की है. पिछली बार विजयी रहने पर भी कांग्रेस ने गठजोड में यह सीट शिवसेना उबाठा के लिए छोडी हैं. यहां दोनों शिवसेना शिंदे और उबाठा के प्रत्याशियों में ही टक्कर होने के आसार बताए जा रहे. समय पर कांग्रेस से गुणवंत देवपारे एवं महायुति से भाजपा के रमेश बुंदिले ने युवा स्वाभिमान से पर्चा दाखिल कर बगावत की है. जिससे इस सीट पर भी कांटे की टक्कर देखने मिल सकती है.
देखा जाए तो धामणगांव रेलवे में परंपरागत लडाई मानी जा रही है. यहां पिछली बार के तीनों प्रमुख उम्मीदवारों के बीच टक्कर कह सकते हैं. वे हैं प्रताप अडसड, वीरेंद्र जगताप और डॉ. नीलेश सूर्यवंशी. यहां 2019 जैसा सामना रहेगा, इसी के चांसेंस अधिक है. यहां सभी दलों में अभी तो एक ही दिखाई दे रही है. जिससे पुराना मुकाबला दोहराए जाने की संभावना अधिक है.
मेलघाट की आरक्षित सीट से अभी 24 प्रत्याशी मैदान में हैं. सोमवार को कितने उम्मीदवार नाम पीछे लेते है, इसके बाद चुनावी तस्वीर स्पष्ट होगी. कांग्रेस से मन्नालाल दारसिंबे, भाजपा से प्रभुदास भिलावेकर, ज्योति सोलंके ने बगावत की है. भाजपा से केवलराम काले, कांग्रेस से डॉ. हेमंत चिमोट, प्रहार से राजकुमार पटेल मैदान में है. यहां अनेक महिलाएं मैदान में उतरी है. सोमवार को कितने लोग नाम पीछे लेत है. यह देखनेवाली बात होगी.
मोर्शी- वरूड में कांग्रेस के विक्रम ठाकरे ने कह सकते है कि बगावत की. यहां मविआ में राकांपा शरद पवार गुट ने गिरीश कराले को बिल्कुल समय पर उम्मीदवारी घोषित की है. भाजपा ने उमेश यावलकर तो राकांपा अजीत पवार ने देवेन्द्र भुयार को उम्मीदवारी दी है. जिससे मुकाबला दोस्ताना बताया जा रहा है. विक्रम ठाकरे ने निर्दलीय पर्चा भरा है. मुकाबला चौकोना हो सकता है. परसो मैदान से कौन नाम पीछे लेता है. इस पर थोडे प्रमाण में समीकरण निर्भर रहने की जानकारी सूत्रों ने दी.

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