कम विद्यार्थी संख्या वाली शालाओं के मुख्याध्यापकों का क्या होगा?
अब मुख्याध्यापक भी होंगे अतिरिक्त, सरकार ने लिया निर्णय
अमरावती/दि.5– प्राथमिक व माध्यमिक शालाओं में 150 से कम विद्यार्थी संख्या रहने वाले मुख्याध्यापकों को अब अतिरिक्त ठहराया जाएगा. जिसके लिए विगत 15 मार्च को सरकारी जीआर निकाला गया है. जिसके चलते 150 से कम सदस्य संख्या रहने वाली शालाओं के मुख्याध्यापक अतिरिक्त साबित हो जाएंगे.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक राज्य की प्राथमिक व माध्यमिक शालाओं में 1 से 20 की पटसंख्या वाली शालाओं में अब 1 कम से कम एक शिक्षक दिया जाएगा. साथ ही आवश्यकतानुसार दूसरे पदों पर सेवानिवृत्त शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी. प्राथमिक व उच्च प्राथमिक शाला हेतु मुख्याध्यापक पद कायम रखने के लिए 150 विद्यार्थी पटसंख्या का मानक तय किया गया है. अमरावती जिले के अधिकांश शालाओं में विद्यार्थी पटसंख्या कम है. जिसके चलते कई मुख्याध्यापकों के अतिरिक्त साबित होने का खतरा है. ऐसे में सभी शिक्षक संगठनों द्वारा इस निर्णय को वापिस लिये जाने की मांग की जा रही है.
* सरकार का यह निर्णय पूरी तरह से गलत है. सभी शालाओं में विद्यार्थी संख्या कम हुई है, जिसके चलते सरकार ने अपने निर्णय पर दुबारा विचार करना चाहिए. मुख्याध्यापक पद के लिए पटसंख्या की शर्त को हटाकर सरकार ने अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए.
– राजेश सावरकर,
प्राथमिक शिक्षा समिति,
राज्य प्रतिनिधि
* राज्य सरकार द्वारा मुख्याध्यापकों के संदर्भ में जारी किया गया जीआर पूरी तरह से गलत है. विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्र की शालाओं मेें गलत पटमानक के चलते कई शिक्षक व मुख्याध्यापक अतिरिक्त हो जाएंगे. ऐसे में सरकार ने नई संच मान्यता को रद्द करते हुए पुरानी पद्धति वाली संच मान्यता को ही लागू रखना चाहिए.
– किरण पाटिल,
प्रदेश उपाध्यक्ष,
अभा प्राथमिक शिक्षक संघ
* 150 से कम विद्यार्थी रहने पर मुख्याध्यापक अतिरिक्त
राज्य सरकार ने प्राथमिक व माध्यमिक शालाओं के लिए यह आदेश जारी किया है. मुख्याध्यापक, उपमुख्याध्यापक, पर्यवेक्षक जैसे पद प्राथमिक तथा माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शालाओं में कम से कम 150 विद्यार्थी संख्या पर मंजूर किये गये. इसमें भी शाला में 31 शिक्षक पद संख्या रहने पर उपमुख्याध्यापक तथा 16 से 46 शिक्षक पद रहने पर पर्यवेक्षक पद मंजूर किया जाएगा. अमरावती जिले में जिला परिषद अंतर्गत 1685 प्राथमिक शालाएं है. जिसमें से अधिकांश शालाओं में मुख्याध्यापकों के पद मंजूर है. वहीं कई शालाओं में सरकार द्वारा तैयार की गई नियमावली के अनुसार पटसंख्या नहीं है. जिसके चलते वहां पर मुख्याध्यापकों के अतिरिक्त हो जाने का खतरा बना हुआ है.