अमरावती

चाहे जैसा भी रखो लेकिन प्रभु से रिश्ता रखो जरूर

संत श्री डॉ. संतोष महाराज के कथन

अमरावती/दि.8 – शिवधारा वार्षिक महोत्सव रामपुरी के उपलक्ष्य में भागवत महापुराण की कथा के पांचवे दिन पर संत श्री डॉ. संतोष कुमार जी महाराज ने कथा को आगे बढाते हुए प्रथम उदाहरण पुतना का दिया और कहा कि जब पुतना ने अपने स्तन पर विष लगाकर ठाकुर जी को पिलाया , तो ठाकुर जी ने दुग्ध पान करने के साथ उनके प्राण हर लिए. हमारे हिन्दू धर्म में यह मान्यता है, जन्म देनेवाली को भी हम मां मानते है. परवरिश करनेवाली को भी हम मां मानते है एवं जिनका हम दूध पीते है उसको भी हम अपनी मां मानते है. ठाकुरजी को आई तो थी मारने के लिए लेकिन ठाकुरजी ने उनको मां का दर्जा दिया. इसलिए जब पुतना मरी तो उनके शरीर से सुगंध निकली थी. यह परिणाम था. जब भगवान वामन रूप में प्रकट हुए थे. राजा बलि से दान मांगने को गये थे तब राजा बलि की बेटी ने वामन भगवान को देखकर कहा कि कितना अच्छा बालक है. यह मेरा अगर बच्चा बन जाए तो आनंद हो जाए. उसकी इच्छा पूर्ण करने हेतु वही जब पुतना बन के आई तब ठाकुर जी ने उनको अपनी मां का दर्जा दिया था. हम भी इस उदाहरण से यह सीख रहे है कि हमें केवल प्रभु से रिश्ता रखना है. चाहे जो भी रखे. प्रभु सच्चे कदरदान है.
महाराज श्री ने दूसरा उदाहरण देते हुए कहा भगवान जिसके घर से भी माखन चोरी करने जाते थे तो साथ ही उसका अहंकार और विकार भी हरते थे. वैसे ही हम अगर किसी को कुछ दे रहे है, जो कोई कुछ मांगने आया है, तो वह हमें आशीर्वाद प्रदान करने भी आया है. एवं एक अवसर भी देने आया है, यह हम सबको याद रहे.
तीसरा उदाहरण देते हुए महाराज श्री ने ठाकुरजी की चीर लीला के संदर्भ में बताया, जब तक जीवन में चरित्र की पवित्रता नहीं आती तब तक न सांसारिक उन्नति न आध्यात्मिक उन्नति संभव होगी. अंत में महाराज श्री ने गोवर्धन लीला के संदर्भ में बताया कि ठाकुर जी ने इंद्र देवता के प्रकोप से ब्रज वासियों को बचाया था एवं 7 दिन 7 रात तक अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाया था. परंतु ग्वाल बालों को कहा था कि लाठियों से इसको पकडो ओर अंत में कहा था कि तुम लोगों ने ही इस गोवर्धन पर्वत को उठाया. मतलब करा सब खुद था, श्रेय ग्वाल वालों को दिया था. इस लीला से हम यह सीख रहे है कि हमें भी खुद के साथ दूसरो का श्रेय देने का स्वभाव बनाना चाहिए. इससे संसार की अच्छाई बढेगी, उत्साह बढेगा. अच्छे काम करनेवालों का अक्सर लोग मन तोडते है.
गत रविवार, सोमवार और मंगलवार को शिवधारा वार्षिक महोत्सव के उपलक्ष्य में रात्रि को भी सत्संग 8 बजे से श्री परमानंद प्यासी जी का सत्संग एवं बाद में महाराज श्री का सत्संग, महाआरती एवं सोमवार को न्यूरोलॉजी एवं फूल बॉडी चेकअप कॅम्प का लाभ भी कईयों को प्राप्त हुआ. मंगलवार को शिवधारा नेत्रालय की ओर से नि:शुल्क नेत्र रोग जांच शिविर भी होगा. यह सभी नि:शुल्क शिवधारा मिशन फाउंडेशन की ओर से आयोजित किए गये है. इन सब का लाभ उठाने का आवाहन शिवधारा परिवार ने किया है.

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