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फिर्यादी अभियंता कब और कैसे बने आरोपी?

कोतवाली पुलिस की टालमटोल से गहराया संदेह

* मामला राजेंद्र लॉज की इमारत के ढहने का
अमरावती/दि.28- विगत 30 अक्तूबर का प्रभात चौक के पास स्थित राजेंद्र लॉज की बेहद जर्जर इमारत ढह जाने की वजह से पांच लोगों की मौत हुई थी. इस मामले में कोतवाली पुलिस व्दारा मनपा के दो अभियंताओं को भी सहआरोपी बनाए जाने की बात अब कहीं जाकर स्पष्ट हुई हैं. वहीं इस मामले को लेकर कोतवाली पुलिस व्दारा श्ाुरु से लेकर अब तक स्पष्ट तौर पर जानकारी देने में की गई टालमटोल संदेह पैदा करने वाली हैं.
बता दें कि राजेंद्र लॉज इमारत हादसे को लेकर कोतवाली पुलिस व्दारा सदोष मनुष्य वध का अपराध दर्ज किया गया था. जिसमें सबसे पहले राजदीप इम्पोरियम के संचालक हर्षल शाह व उनकी माताजी के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था. इसके बाद हंगामा बढने पर कोतवाली पुलिस ने इस मामले में राजेंद्र लॉज के संचालक राहुल जैन व एक लेबर कांट्रेक्टर को भी नामजद करते हुए गिरफ्तार किया गया था. ऐसे में कुल नामजद आरोपियों की संख्या चार पर जा पहुंची थी. इस मामले को लेकर मनपा के राजापेठ जोन के उपअभियंता व पद निर्देशित अधिकारी सुहास चव्हाण व्दारा कोतवाली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई थी. जिसके आधार पर आगे की पूरी कार्रवाई शुुर हुई. वहीं इस मामले में उपअभियंता चव्हाण सहित कनिष्ठ अभियंता विंचुरकर को कोतवाली पुलिस व्दारा पूछताछ हेतु बुलाया गया था, और उस समय यह जानकारी दी गई थी कि, मनपा के दोनो अभियंताओं को बयान दर्ज करने हेतु बुलाया गया है और उन्हें इस मामले में आरोपी नहीं बनाया गया. यह बात कोतवाली पुलिस व्दारा इसके बाद भी कई बार दोहराई गई. लेकिन इसी दौरान सुहास चव्हाण व अजय विंचुरकर अचानक ही नॉट रिचेबल हो गए और उन्होंने अपने खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं रहने के बावजूद भी गिरफ्तारी पूर्व जमानत हेतु आवेदन दाखिल किया. जिस पर 3-4 दिन पहले दाखिल किए गए ‘से’ में पहली बार कोतवाली पुलिस ने अदालत को बताया कि इन दोनो अधिकारियों के खिलाफ काफी पहले ही अपराध दर्ज करते हुए उन्हें नामजद किया गया था.
ऐसे में अब सबसे बडा सवाल यह उठता है कि, जिन अभियंताओं की फर्याद पर कोतवाली पुलिस ने सदोष मनुष्य वध का मामला दर्ज किया, उसी मामले में फर्यादी अभियंताओं को कब और कैसे सहआरोपी के रुप में नामदज किया गया. साथ ही इस जानकारी को अब तक सभी से छिपाकर क्यों रखा गया था. सबसे बडा सवाल यह भी है कि अपने खिलाफ दर्ज मामले और अपनी संभावित गिरफ्तारी की सूचना उन दोनो अधिकारियों को कब व किसके जरिए मिली. जिसकी वजह से वे आनन-फानन में मनपा प्रशासन को बिना कोई पूर्व सूचना दिए ही अंडरग्राउंड हो गए और फिर उन्होंने अपने वकील के जरिए अदालत में गिरफ्तारी पूर्व जमानत मिलने हेतु आवेदन किया.
यहां यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि उपअभियंता चव्हाण तथा कनिष्ठ अभियंता विंचुरकर व्दारा जैसे ही अदालत में गिरफ्तारी पूर्व जमानत के लिए याचिका दायर की गई थी, वैसे ही यह प्रतिक्रिया सुनाई देने लगी कि जब उनके खिलाफ राजेंद्र लॉज इमारत वाले हादसे में मामला ही दर्ज नहीं है तो फिर वे खुद को आरोपी क्यों मान रहे हैं. साथ ही उस समय कोतवाली पुलिस ने भी यही जानकारी सबके समाने रखी थी कि उन दोनो अधिकारियों को नामजद नहीं किया गया है और आरोपी नहीं बनाया गया, बल्कि उन्हें केवल पूछताछ हेतु थाने में बुलाया गया. लेकिन पुलिस व्दारा कहा गया यह झूठ अब खुद पुलिस की ओर से अदालत में दाखिल किए गए ‘से’ के जरिए उजागर हो गया हैं. जिसमें पुलिस ने अदालत को स्पष्ट रुप से बताया है कि, इन दोनो अधिकारियों के खिलाफ काफी पहले ही मामला दर्ज किया गया था और उन्हें राजेंद्र लॉज इमारत वाले हादसे में सदोष मनुष्य वध की धाराओं की तहत सहआरोपी बनाया गया था. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि आखिर कोतवाली पुलिस ने इन दोनो अधिकारियों को लेकर अलग-अलग मौको पर अलग-अलग बयान क्यों दिए और इन दोनो अधिकारियों को सहआरोपी बनाए जाने की बात लंबे समय तक छिपाकर रखी.
* मनपा की भूमिका ही कुछ हद तक संदिग्ध
राजेंद्र लॉज की तीन मंजिला इमारत की पहली व दूसरी मंजिल के निर्माण को सी-1 श्रेणी में डालकर विगत 23 जुलाई को तोड दिया गया था. वहीं इसके बाद भी ग्राउंड फ्लोर यानि निचली मंजिल पर स्थित पांचों दुकानों नियमित रुप से शुरु थी, क्योंकि निचिली मंजिल वाले हिस्सें को सी-1 श्रेणी में नहीं डाला गया था. ऐसे में पुलिस सहित आम नागरिकों के लिए यह सबसे बडा पेचिदा सवाल है कि एक ही इमारत के दो हिस्सों को दो अलग-अलग श्रेणियों में कैसे डाला गया. पुलिस व्दारा इसे लेकर मांगे गए जवाब पर मनपा प्रशासन की ओर से कोई समाधानकारक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया. ऐसे में मनपा की भूमिका भी इस मामले में संदेहास्पद मानी जा रही हैं. वैसे भी राजेंद्र लॉज वाला हादसा घटित होने के बाद से मनपा प्रशासन भी सबसे अधिक आरोपों व सवालों के घेरे में हैं.
* चव्हाण व विंचुरकर पर होगी प्रशासकीय कार्रवाई
विशेष उल्लेखनीय है कि राजेंद्र लॉज इमारत के साथ हादसे के बाद जोन क्रमांक 2 के उपअभियंता सुहास चव्हाण व कनिष्ठ अभियंता अजय विंचुरकर ने अपनी ओर धूमती जांच व संदेह की सुई को देखकर निमगायुक्त प्रवीण आष्टीकर के पास अवकाश हेतु आवेदन किया था. जिसे आयुक्त आष्टीकर ने खारिज कर दिया था. लेकिन इसके बावजूद यह दोनो अधिकारी 11 नवंबर से ‘नॉट रिचेबल’ हैं. चूंकि यह दोनो अधिकारी बिना अनुमति अकस्मात ही 11 नवंबर से अपने काम पर उपस्थित नहीं हैं. ऐसे में उनके खिलाफ मनपा प्रशासन व्दारा सख्त भूमिका अपनाई जा सकती है और आयुक्त प्रवीण आष्टीकर व्दारा इन दोनो अधिकारियों के खिलाफ प्रशासकीय कार्रवाई की जा सकती हैं. ऐसे स्पष्ट संकेत दिखाई दे रहे हैं.

* जांच में पाए गए थे दोनो दोषी
वहीं इस संदर्भ में जानकारी व प्रतिक्रिया देते हुए शहर पुलिस उपायुक्त विक्रम साली ने बताया कि, यद्यपि राजेंद्र लॉज वाली इमारत के साथ घटित हादसे को लेकर मनपा प्रशासन की ओर से उपअभियंता चव्हाण ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी. लेकिन आगे चलकर की गई जांच में यह तर्क समाने आया कि खुद उपअभियंता चव्हाण के साथ-साथ कनिष्ठ अभियंता विंचुरकर भी इस मामले में दोषी हैं. जिन्होंने समय रहते इस मामले को लेकर आवश्यक कदम नहीं उठाए. ऐसे में पुलिस ने आगे चलकर इन दोनो अभियंताओं को भी इस मामले का सहआरोपी बनाया. यह बात अदालत को भी बताई गई है और इसमें किसे से भी कुछ भी छिपाने वाली बात नहीं रही.

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