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‘उन’ 93 अनधिकृत होर्डिंग के खिलाफ एफआईआर कब?

मनपा उपायुक्त के आदेश की हो रही अनदेखी

* ना होर्डिंग निकाले, ना स्ट्रक्चरल स्टैबिलिटी ऑडिट हुआ
* पूरे शहर में अनधिकृत होर्डिंग की भरमार
अमरावती/दि.26 – शहर की जिन निजी इमारतों के टैरेस पर होर्डिंग लगाई गई है, उन्हें एक सप्ताह के भीतर स्ट्रक्चरल स्टैबिलिटी प्रमाणपत्र, भोगवटा प्रमाणपत्र तथा एजेंसी के साथ किए गए भाडा करार सहित आवश्यक दस्तावेजों को बाजार परवाना विभाग में जमा करने का आदेश दिया गया था. परंतु एक भी इमारतधारक ने नोटीस में दर्ज दस्तावेज अब तक मनपा के सुपुर्द नहीं किए है. ऐसे 93 होर्डिंग जिन इमारतों पर है, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश मनपा उपायुक्त जिम्मा प्यारेवाले द्बारा दिया गया था. परंतु बाजार परवाना विभाग को अब तक इस काम के लिए मुहुर्त नहीं मिला है. जिसके चलते वह फाइल आयुक्त के पास धुल खाती पडी है.
बता दें कि, पिंपरी चिंचवड शहर में 17 अप्रैल को अनधिकृत होर्डिंग की वजह से दुर्घटना घटित हुई थी. जिसके चलते नगरविकास विभाग ने 2 मई को सभी मनपा आयुक्तों के नाम अनधिकृत होर्डिंग को निकालने के संदर्भ में निर्देश जारी किए थे. इस बात के मद्देनजर मनपा उपायुक्त जुम्मा प्यारेवाले ने शहर की जिन निजी इमारतों पर होर्डिंग का स्ट्रक्चर खडा किया गया है, वह इमारत उस स्ट्रक्चर को संभाल पाने के लिए सक्षम है अथवा नहीं, इसे लेकर स्ट्रक्चरल स्टैबिलिटी प्रमाणपत्र, इमारत का भोगवटा प्रमाणपत्र तथा एजेंसी के साथ किए गए भाडा करार की पावती सहित कर भरने की पावती मांगी थी. साथ ही यह चेतावनी भी दी गई थी कि, दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए जाने पर उन सभी होर्डिंग को निकाल लिया जाएगा, लेकिन इक्का-दुक्का अपवादों को छोडकर ज्यादातर इमारतधारकों ने मनपा के पास अपने दस्तावेज जमा नहीं कराए. ऐसे में नोटीस के अनुसार दस्तावेज प्राप्त नहीं होने के चलते संबंधितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने हेतु प्यारेवाले ने उस फाइल को मनपा आयुक्त के पास भिजवा दिया. परंतु इसे लेकर आगे कोई निर्णय नहीं हुआ है.

* फौजदारी कौन करेंगा?
इन दिनों पूरे शहर में मानो विज्ञापनबाजी की बाढ आयी हुई है तथा शहर के सभी चौक-चौराहों व सार्वजनिक स्थानों पर बैनर, पोस्टर व होर्डिंग लगे दिखाई देते है. नोटीस जारी होने के अलावा अन्य कोई कार्रवाई नहीं होने के चलते अनधिकृत बैनरबाजों व संबंधित एजेंसीधारकों की जमकर बल्ले-बल्ले हो रही है. होर्डिंग के जरिए मनपा के खाते में एक रुपए का भी राजस्व नहीं आता है. इसके बावजूद शहर में होर्डिंग कैसे लगते है. यह अपने आप में सबसे बडा सवाल है. साथ ही इससे खुले तौर पर यह भी साबित होता है कि, इसकी आड में बाजार परवाना विभाग के आर्थिक हित जुडे हुए है.

* मुद्रकों व प्रकाशकों की बैठक भी नहीं
शहर में लगने वाले प्रत्येक होर्डिंग व बैनर के नीचे प्रकाशक व मुद्रकों के नाम सहित बाजार परवाना विभाग की अनुमति का क्रमांक डालना अनिवार्य व बंधनकारक किया गया है. जिसे लेकर उपायुक्त ने आदेश भी जारी किया था. परंतु यह आदेश जारी हुए 3 से 4 माह का समय बीत चुका है. लेकिन इसके बावजूद अब तक किसी भी होर्डिंग या बैनर के नीचे ऐसा कोई उल्लेख दिखाई नहीं देता. साथ ही इस विषय को लेकर मनपा द्बारा अब तक मुद्रकों व प्रकाशकों की बैठक भी नहीं बुलाई गई है.

* शहर की जिन इमारतों पर होर्डिंग लगे हुए है, उन्हें नोटीस जारी की जा चुकी है. परंतु इस पर अपेक्षित प्रतिसाद नहीं मिला. जिसके चलते ऐसे लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश जारी किए थे. परंतु संबंधितों ने इसके खिलाफ आयुक्त के पास गुहार लगाई है.
– जुम्मा प्यारेवाले,
उपायुक्त मनपा.
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