अमरावती

जब बिन ताली गूंजी हर्ष ध्वनि

बचत भवन में मनाया आंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिन

*मूक-बधीर वेलफेयर असोसिएशन का आयोजन
अमरावती/दि.29– आंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिन के अवसर पर मूक-बधीर वेलफेयर असोसिएशन की ओर से एक दुनिया जहां सर्वत्र बधिर लोग कही भी सांकेतिक कर सकते है. इस थीम को लेकर स्थानीय हव्याप्र के प्रांगण से रैली का आयोजन किया गया. यह रैली हनुमान अखाडे से निकलकर शहर का भ्रमण करता हुआ. जिलाधिकारी कार्यालय परिसर के बचत भवन में संपन्न हुआ. कार्यक्रम में सांकेतिक भाषा में बात करते हुए अतिथियों ने संगठन के बारे में सदस्यों को जानकारी दी.बचत भवन में उपस्थित सभी ने हवा में हाथ लहराते हुए सांकेतिक भाषा में हर्ष जताया. इस अवसर पर अतिथियों व्दारा केक काट कर सांकेतिक दिवस मनाया गया.
एक दुनिया जहां सर्वत्र बधिर लोग कही भी सांकेतिक कर सकते है. इस थीम पर मूक-बधीर वेलफेयर असोसिएशन की ओर से आयोजित रैली में बडी संख्या में मुकबधिर-कर्णबधिर लोगों ने सहभाग लिया. रैली हव्याप्र से निकलकर गांधी चौक, राजकमल चौक, शाम चौक, जयस्तंभ चौक, मालवीय चौक, इर्विन चौक होते हुए गर्ल्स हाईस्कूल चौक से जिला अधिकारी कार्यालय के बचत भवन में पहुंची. जहां अतिथियों व्दारा सांकेतिक भाषा में सभा को संबोधित किया. इस समय अतिथियों के हाथों केक काट कर आंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिन मनाया. कार्यक्रम में मंच पर विराजमान अतिथियों व्दारा सांकेतिक भाषा में संगठन के विषय में सभी को समझाया. बचत भवन बिन ताली की आवाज से ही हर्ष में उठे हाथों से ही गुंजयमान सा प्रतित हुआ. रैली व कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए मूक-बधीर वेलफेयर असोसिएशन के सुमेध उगले, सनी सेंगर, शाहबाज खान, इरशाद खान सहित अन्य ने बढचढ कर सहभाग लिया.

* सितंबर के आखरी सप्ताह में मनाया जाता है
सांकेतिक भाषा का आंतराष्ट्रीय दिवस (आईडीएसएल) संयुक्त राष्ट्र के आम सभा में स्वीकारा गया था. 2018 से हर वर्ष 23 सितंबर को यह दिन मनाया जाता है. आईडीएसएल का उद्देश्य सांकेतिक भाषा के बदले जागरुकता बढाना सांकेतिक भाषा के विषय में स्थिती मजबूत करना है.यह कार्यक्रम इंटरनेशनल वीक ऑफ द डेफ (आईडब्लूडीईएएफ) का एक भाग है. जो सितंबर के आखरी सप्ताह में मनाया जाता है.

* 1992 में हुई स्थापना
मूक-बधीर वेलफेअर असोसिएशन अमरावती की स्थापना 1992 में की गयी. अवाड(ए.डब्लू.ए.डी.) की स्थापना मुकबधिर प्रतिनिधियों ने की थी. जिनकों सांकेतिक भाषा इस्तेमाल करने, उनके लिए महत्तव के मुद्दे पर एकत्र आने व स्थानितक स्तरपर उनके हित के प्रतिनिधित्व करने के लिए कर्णबधिर समुदाय का अधिकार पर विश्वास है. भारतीय सांकेतिक भाषा में समझना यह आज बहुत आसान हो गया है. एडब्लूएडी के दलिल की व्याप्ती विस्तृत है. जो जिंदगी भर वयाप्त व भविष्य में आने वाली पिढी पर जल्द ही हस्तक्षेप, शिक्षण, रोजगार, स्वास्थ सेवा, तकनीकी ज्ञान, दुरसंचार, युवा नेतृत्व व बहुत सारे कर्णबधिर लोगों का जीवन सुधर चुका है.

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