जब मंत्री तैयार हैं, तो कर्जमाफी का घोडा कहां अटका?
किसान कर्जमाफी के मुद्दे पर बच्चू कडू फिर हुए आक्रामक

मुंबई /दि.18- इस समय राज्य में किसान कर्जमाफी के मुद्दे को लेकर राजनीतिक वातावरण काफी तपा हुआ है. विधानसभा चुनाव के समय महायुति द्वारा किसान कर्जमाफी देने का आश्वासन दिया गया था. परंतु इस समय महायुति के नेताओं द्वारा कर्जमाफी के संदर्भ में दिए जानेवाले बयानों के चलते कर्जमाफी को लेकर किसानों में काफी हद तक संभ्रम निर्माण हुआ है. ऐसे में इस विषय को लेकर प्रहार जनशक्ति पार्टी के मुखिया व पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने एक बार फिर महायुति सरकार पर जमकर हल्लाबोल किया है. गत रोज कृषिमंत्री के साथ हुई अपनी चर्चा का हवाला देते हुए पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने कहा कि, कृषिमंत्री कोकाटे खुद को किसान कर्जमाफी का पक्षधर बताते है और कर्जमाफी होनी चाहिए, ऐसी मानसिकता भी दर्शाते है. तो सवाल उठता है कि, जब कृषिमंत्री ही किसान कर्जमाफी के पक्ष में है तो आखिर किसान कर्जमाफी का घोडा कहां पर अडा हुआ है.
पूर्व मंत्री बच्चू कडू के मुताबिक महायुति के नेताओं द्वारा की गई घोषणाओं के चलते किसानों ने अपने कर्ज अदा नहीं किए, जिसकी वजह से उनके सिर पर ब्याज भी चढ गया. साथ ही अब किसानों को नया कर्ज भी नहीं मिल रहा. जिससे किसान आर्थिक दिक्कत में फंस गए है. यदि महायुति के नेताओं द्वारा घोषणा नहीं की गई होती तो किसानों ने अपने कर्ज की अदायगी कर दी होती. लेकिन चूंकि मौजूदा सरकार के नेताओं ने सत्ता मिलने पर किसान कर्जमाफी करने की घोषणा की थी. ऐसे में अब सरकार को कर्जमाफी तो देनी ही पडेगी और किसानों को कर्जमाफी मिलने तक वे चुप नहीं बैठेंगे.
इसके साथ ही पूर्व विधायक बच्चू कडू ने हिंदुत्व के मुद्दे पर उपमुख्यमंत्री अजीत पवार व मंत्री नारायण राणे पर निशाना साधते हुए कहा कि, भाजपा ने कम से कम एक बार अपने हिंदुत्व की परिभाषा को तय कर लेना चाहिए. यदि कांग्रेस ने ईद के पर्व पर मुस्लिम समाजबंधुओं को भेंट प्रदान की होती तो भाजपा होहल्ला करते हुए कांग्रेस का धर्म बदल दिया होता. परंतु वहीं भाजपा अब खुद ईद के पर्व पर सौगात ए मोदी का वितरण कर रही है. ऐसे में भाजपा ने स्पष्ट करना चाहिए कि, भाजपा हिंदुत्व में मुस्लिमों एवं बौद्धों का क्या स्थान है. इसके अलावा निलंबित पुलिस अधिकारी रंजीत कासले द्वारा लगाए गए आरोपों पर भी पूर्व मंत्री बच्चू कडू ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, यह अपने आप में बेहद गंभीर मामला है. जिसकी सघन जांच होनी चाहिए. बता दें कि, निलंबित पुलिस अधिकारी रंजीत कासले की ओर से दावा किया गया था कि, उन्हें वाल्मिक कराड का एनकाऊंटर करने की ऑफर दी गई थी.