अमरावतीकोरोना

कोरोना के बाद कब करवाएं ऑपरेशन

विभिन्न बीमारियों से जूझ रहे लोग संभ्रम में

* डॉक्टर की सलाह पर ले रहे दवाईयां

अमरावती/दि.१३- कोविड संक्रमण की चपेट में आकर कोविड मुक्त हुए कई लोग विभिन्न तरह की बीमारियों से भी पीड़ित है. जिसमें से कई लोगों को अपनी बीमारियों से ठीक होने के लिए शल्यक्रिया भी करवानी है. किंतु कोविड संक्रमण की चपेट में आ चुके कई लोगों की शल्यक्रियाएं अटकी पडी है. जिसकी वजह से ऐसे मरीजों में अपनी शल्य क्रिया को लेकर काफी हद तक संभ्रम भी देखा जा रहा है. वहीं डॉक्टरों का कहना है कि यदि कोई मरीज कोविड संक्रमण की चपेट में आ चुका है तो कोविड मुक्त होने के दो सप्ताह पश्चात उसकी शल्यक्रिया की जा सकती है. वहीं यदि कोई आपातकालीन स्थिति पैदा होती है तो तुरंत भी शल्यक्रिया कर सकते है. हालाकि ऐसे मरीजों ने डॉक्टरों की सलाह पर नियमित रूप से अपना ईलाज जारी रखना चाहिए.
बता दे कि जिले में अब तक ९५ हजार से अधिक मरीज कोविडमुक्त हो चुके है. जिनमें से कई लोग बहुविध बीमारियों से पीडित है और उनकी शल्यक्रिया भी की जानी है. किंतु कोविड संक्रमण काल के दौरान लगभग तमाम तरह की शल्यक्रियाए ठप्प पडी थी और कोविड संक्रमण की चपेट में आ चुके मरीजों को किसी भी अस्पताल द्वारा भर्ती भी नहीं किया जा रहा था. वहीं अब कोविड संक्रमण की बीमारी का असर और संक्रमण का कहर कम होने के बाद धीरे-धीरे पहले की तरह शल्यक्रियाए होनी शुरू हो गई है. ऐेसे में कोविड संक्रमण की चपेट में आकर कोविड मुक्त हो चुके बहुविध बीमारियों से पीडित मरीजों में अपनी शल्य क्रिया करवाने को लेकर काफी हद तक संभ्रम देखा जा रहा है. वहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड मुक्त हो चुके मरीज अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद १५ दिन पश्चात अपनी शल्य क्रिया करवा सकते है.

 इमरजेंसी शल्यक्रिया

कई लोग अपनी शल्यक्रिया तुरंत करने की जिद डॉक्टर से करते है. किंतु ऐसा करना स्वास्थ्य के लिहाल से खतरनाक भी साबित हो सकता है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक आयसीएमआर की गाईड लाईन तथा मरीज की स्थिति को देखकर ही शल्य क्रिया का निर्णय लेना पडता है. यदि कोई इसमें जान बूझकर टालमटोल करता है तो उसकी शिकायत जिलाशल्य चिकित्सक कार्यालय से की जा सकती है.

 प्लांड शल्यक्रिया

शल्यक्रिया को लेकर समूचित सावधानी व सतर्कता बरतनी बेहद जरूरी है. कोविड संक्रमण की चपेट में आनेवाले मरीजों को हायडोज वाली दवाईयां दी जाती है. जिससे उनमें कुछ हद तक कमजोरी आ जाती है. इसके बाद अन्य बीमारियों से संबंधित शल्यक्रिया करने पर भी उन्हें समय-समय पर जरूरी दवाईयां देनी पडती है और नियमित स्वास्थ्य जांच करने के साथ ही कई तरह के परहेज का भी पालन करना होता है. ऐसे में इन तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों द्वारा मरीज की शल्यक्रिया का नियोजन किया जाता है.

डेढ माह का इंतजार करना जरूरी

कोविड मुक्त हो चुके मरीजों में शल्यक्रिया के दौरान दिए जानेवाले बेहोशी के इंजेक्शन को सहन करने की क्षमता कम होती है. ऐसे में मरीज की स्थिति ठीक नहीं रहने पर कोविड मुक्त होने के बाद डेढ माह की कालावधि का बीतना आवश्यक होता है. इसके बाद शरीर सुद़ृढ़ अवस्था में रहने की पुष्टि करने के बाद ही शल्यक्रिया का निर्णय लिया जाना चाहिए. ऐसा स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है.

* कोविड मुक्त होने के दो सप्ताह पश्चात अत्यावश्यक रहनेवाले मरीज की शारीरिक क्षमता व तंदरूस्ती को देखकर शल्यक्रिया की जा सकती है अन्यथा शल्यक्रिया के लिए जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए. साथ ही मन में किसी भी तरह की कोई गलत फहमी न रखते हुए डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही ईलाज किया जाना चाहिए.
-डॉ.श्यामसुंदर निकम, जिला शल्यचिकित्सक, अमरावती

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