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उन’ तहसीलदारों पर कार्रवाई कब?

नायब तहसीलदारों को कैसे सौंपा अपने काम का जिम्मा

* मनमाने फैसले से आम नागरिकों की जान सांसत में
अमरावती/दि.19 – राज्य सरकार द्वारा जन्म-मृत्यु पंजीयन प्रमाणपत्र अधिनियम में किए गए संशोधन के अनुसार आम नागरिकों की सुविधा हेतु उपविभागीय दंडाधिकारी तथा तहसील दंडाधिकारी को विलंबित जन्म प्रमाणपत्र जारी करने के अधिकार दिए गए थे. जिसके तहत निर्देशित किया गया था कि, आवेदनों के साथ प्रस्तुत किए जानेवाले सभी दस्तावेजों की बेहद कडाई के साथ जांच-पडताल करते हुए संबंधितों के नाम जन्म प्रमाणपत्र जारी किए जाए. परंतु इस काम में कुछ तहसीलदारों द्वारा कोताही किए जाने की बात सामने आई है. जिसके तहत जहां एक ओर अंजनगांव सुर्जी के तहसीलदार द्वारा कुछ मामलों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जन्म प्रमाणपत्र जारी किए जाने की बात सामने आई. वहीं अमरावती, अचलपुर, नांदगांव खंडेश्वर व चिखलदरा के तहसील कार्यालयों में तहसीलदार की बजाए नायब तहसीलदार द्वारा जन्म प्रमाणपत्र जारी किए जाने के मामले भी सामने आए. ऐसे में जहां अंजनगांव सुर्जी में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जन्म प्रमाणपत्र हासिल करनेवाले करीब 8 लोगों के खिलाफ अपराधिक मामले दर्ज किए गए. वहीं अब नायब तहसीलदारों द्वारा जारी किए गए सभी जन्म प्रमाणपत्रों को एक साथ खारिज कर दिया गया है. ऐसे में अब यह सवाल पूछा जा रहा है कि, इस मामले में कर्तव्य को लेकर कोताही करनेवाले तहसीलदारों व नायब तहसीलदारों के खिलाफ कार्रवाई कब होगी. क्योंकि, ऐसे अधिकारियों की वजह से ही आम नागरिकों को बिना वजह आफत व मुसीबत का सामना करना पड रहा है.
इस संदर्भ में स्थानीय जिलाधीश कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि, विलंबित जन्म प्रमाणपत्र जारी करने के काम को गति देने एवं कम समय में ज्यादा से ज्यादा आवेदकों को उनके विलंबित जन्म प्रमाणपत्र जारी करने का लक्ष्य जिला प्रशासन द्वारा तय किया गया था. संभवत: इसी वजह के चलते जिले की अमरावती, अचलपुर, नांदगांव खंडेश्वर एवं चिखलदरा तहसील के तहसीलदारों द्वारा अपने काम का विकेंद्रीकरण करते हुए अपने अधिनस्थ नायब तहसीलदारों को विलंबित जन्म प्रमाणपत्र हेतु मिलनेवाले आवेदनों एवं आवेदन के साथ प्रस्तुत किए जानेवाले दस्तावेजों की पडताल करने का जिम्मा सौंपने के साथ ही विलंबित जन्म प्रमाणपत्र जारी करने की जिम्मेदारी सौंपी थी. परंतु जिले के 4 तहसीलदारों द्वारा अपने स्तर पर लिया गया यह निर्णय अब उन तहसीलदारों सहित आम जनता पर भारी पड गया है. क्योंकि उन 4 तहसील कार्यालयों से नायब तहसीलदारों द्वारा जारी सभी विलंबित जन्म प्रमाणपत्रों को खारिज कर दिया गया है. जिसकी वजह से संबंधित नागरिकों को बिना वजह तकलीफों का सामना करना पडेगा.
ऐसे में अब यह चर्चा जोर पकड रही है कि, इस पूरे मामले के हकिकत में आम नागरिकों का कोई लेना-देना नहीं था और उन्होंने नियमानुसार तहसील कार्यालय में जन्म प्रमाणपत्र हेतु आवेदन किया था. नियमों का उल्लंघन व अनदेखी तहसील कार्यालय के अधिकारियों द्वारा की गई और तहसीलदारों ने मनमाने ढंग से निर्णय लेते हुए अपने काम का जिम्मा नायब तहसीलदारों पर सौंपा. जिसका खामियाजा अब आम नागरिकों को भुगतना पड रहा है. जबकि इस तरह की मनमानी और कोताही के लिए संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. साथ ही प्रशासन द्वारा खुद अपने स्तर पर नायब तहसीलदारों द्वारा जारी विलंबित जन्म प्रमाणपत्रों की जांच करते हुए जिन आवेदनों के साथ जोडे गए सभी दस्तावेज पूरी तरह से वैध है, उन आवेदनों हेतु जारी जन्म प्रमाणपत्रों को खारिज करने की बजाए वैध घोषित किया जाना चाहिए, ताकि गेहूं के साथ घुन पिसनेवाली स्थिति न बने और वैध दस्तावेजों के साथ आवेदन करनेवाले लोगों को बिना वजह किसी भी तरह की दिक्कत का सामना न करना पडे.
हालांकि, इस बारे में जानकारी एवं प्रक्रिया हेतु संपर्क किए जाने पर जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, ऐसे मामलो में आगे क्या कार्रवाई करना है, इसे लेकर सरकार की ओर से कोई स्पष्ट दिशानिर्देश फिलहाल जारी नहीं हुए है. ऐसे में फिलहाल प्रशासन द्वारा सरकार की ओर से निर्देश मिलने की प्रतीक्षा की जा रही है और निर्देश मिलने के उपरांत उस अनुसार आवश्यक कदम उठाए जाएंगे.

 

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