अमरावती/दि.23- सरकारी जिला परिषद व नगर परिषद की शालाओं में पहली से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को तीन मूल्यांकन परीक्षाएं देनी पड रही है. नियतकालीक मूल्यांकन परीक्षण अंतर्गत मूलभूत परीक्षा तथा दो संकलित मूल्यमापन परीक्षा ऐसी तीन परीक्षाएं लेने की घोषणा की गई है. जिसके तहत 17 से 19 अगस्त तक परीक्षा ली गई है. परंतु ऐसे अशैक्षणिक कामों की वजह से शिक्षक त्रस्त हो गए है और उनके द्बारा यह सवाल पूछा जा रहा है कि, आखिर वे अपने विद्यार्थियों को पढाने-लिखाने का काम कब करें.
* डेढ माह में 4 परीक्षाएं
जिला परिषद की शाला के विद्यार्थियों को भी डेढ माह में 4 परीक्षाओं का सामना करना पडा. जिसकी रिपोर्ट तैयार करते हुए उसे अपलोड करने में शिक्षकों का काफी समय गया. वहीं अब एक बार फिर रिपोर्ट तैयार करके देना होगा.
* गुरुजी के ये काम कब होंगेे?
– दैनिक रिपोर्ट
शाला शुरु होकर डेढ माह का समय बीत चुका है. इस कालावधी में विद्यार्थियों की तीन तरह की परीक्षाएं ली गई है. ऐसे में शिक्षकों द्बारा पढाई-लिखाई से संबंधित अपनी दैनिक रिपोर्ट कब तैयार की जाए.
– परिणाम तैयार करना
शालेय स्तर पर ली जाने वाली विविध तरह की परीक्षाओं व स्पर्धाओं का परिणाम तैयार करने में भी काफी समय बीत जाता है. जिसका सीधा असर पढाई-लिखाई से संबंधित काम पर पडता है.
– रिपोर्ट को एप पर डालना
कक्षा तीसरे से आठवीं के विद्यार्थियों की तीन मूल्यांकन परीक्षाएं लेकर उससे संबंधित रिपोर्ट को एप पर अपलोड करने की जिम्मेदारी भी जिला परिषद के शिक्षकों पर ही डाली गई है.
– साक्षरता सर्वेक्षण
साक्षरता कार्यक्रम के अंतर्गत निरक्षर संख्या सर्वेक्षण की जिम्मेदारी भी शिक्षकों पर डाली गई है. जिसके तहत शिक्षकों को घर-घर जाकर सर्वेक्षण करना होता है.
* हम बच्चों को पढाएं कब?
शैक्षणिक पाठ्यक्रम को तय समय में पूरा करने हेतु नियोजन किया जाता है. साथ ही समय पडने पर अतिरिक्त घंटों में भी काम किया जाता है. इसके बावजूद अशैक्षणिक कामों का बोझ काफी अधिक बढ गया है.
– किरण पाटिल,
प्रदेश उपाध्यक्ष,
प्राथमिक शिक्षक संघ
* जिप शाला में विद्यार्थियों हेतु शुरु की गई परीक्षाओं का बोझ थोडा कम किया जाना चाहिए. साथ ही शिक्षकों को अशैक्षणिक कामों की जिम्मेदारी नहीं दी जानी चाहिए, ताकि हम बच्चों को पढाने-लिखाने की ओर ध्यान दे सके.
– राजेश सावरकर,
राज्य प्रतिनिधि,
प्राथमिक शिक्षक समिति