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बरसो से एक ही जगह कुंडली जमाये बैठे लोगों पर कब ध्यान देंगी मडावी मैडम?

15-15 साल से एक ही जगह पर जमे हुए है कई स्वास्थ्य निरीक्षक व बीट प्यून

* बिंदू नामावली में भर्ती हुए सफाई कर्मी बन गये है चपरासी, गार्ड व निजी सेवक
* शहर की सफाई का बंटाधार करने वाले इन लोगों पर कब पडेगी नजर
अमरावती/दि.20 – हाल ही में अमरावती महानगरपालिका की उपायुक्त (प्रशासन) का जिम्मा संभालने वाली माधुरी मडावी ने अमरावती आते ही अमरावती शहर को साफ-सुथरा करने के लिए मोर्चा खोल दिया है. जिसके तहत खुद उपायुक्त माधुरी मडावी अपने हाथों में डंडा लेकर शहर की सडकों पर पैदल ही निकल रही है तथा कचरा व गंदगी करने वाले दुकानदारों व हाथठेले वालों को जमकर हडका रही है. साथ ही सफाई ठेकेदारों व कचरा संकलन ठेकेदार को भी युद्धस्तर पर मीटींग करते हुए जमकर आडे हाथ ले रही है. ऐसे में साफ-सफाई को लेकर उपायुक्त माधुरी मडावी के इस आग्रह की निश्चित तौर पर प्रशंसा ही की जानी चाहिए. लेकिन यह कहना गैर जरुरी नहीं होगा कि, उपायुक्त मडावी द्वारा ‘दर्द कहीं ओर, इलाज कहीं ओर’ वाली नीति पर काम किया जा रहा है. क्योंकि अमरावती मनपा क्षेत्र में व्याप्त साफ-सफाई की समस्या की असल जड को खुद मनपा में ही है. जिसकी ओर अनदेखी करते हुए उपायुक्त मडावी द्वारा पूरे शहर में घुमकर समस्या का समाधान खोजा जा रहा है. जबकि अगर उपायुक्त मडावी द्वारा खुद मनपा के चिराग तले रहने वाले अंधेरे को दूर कर दिया जाता है, तो पूरा शहर साफ-सुथरा और चकाचक होने में देर नहीं लगेगी.
बता दें कि, मनपा के स्वास्थ्य विभाग में इस समय 42 जेष्ठ स्वास्थ्य निरीक्षक व 44 स्वास्थ्य निरीक्षक है. जिनके अधीन 88 बीट प्यून कार्यरत है. इस तरह से पूरे शहर की साफ-सफाई के लिए करीब 170 लोगों की फौज तैनात है. साथ ही साथ विगत 10 वर्षों के दौरान बिंदू नामावली के तहत लगभग 200 लोगों की भर्ती सफाई कामगार के तौर पर मनपा द्वारा की गई है. मजे की बात यह है कि, मनपा के अलग-अलग झोन में कई ज्येष्ठ स्वास्थ्य निरीक्षक व स्वास्थ्य निरीक्षक विगत 12-15 वर्षों से एक ही स्थान पर जमे हुए है. इसमें से कुछ स्वास्थ्य निरीक्षकों की मूल नियुक्ति तो सफाई कामगार के तौर पर ही हुई थी और उन्होंने इतने वर्षों के दौरान मनपा की गई अधिकारियों व पदाधिकारियों के साथ आपसी लेन-देन वाला संबंध बढाते हुए अपने प्रमोशन का जुगाड कर लिया था और अपने निवास क्षेत्र वाले झोन में ही नियुक्ति भी हासिल कर ली थी. जिनका इस दौरान किसी अन्य झोन में कभी कोई तबादला भी नहीं हुआ, जिसके चलते ज्येेष्ठ स्वास्थ्य निरीक्षकों व स्वास्थ्य निरीक्षकों में पिछले कुछ समय से एक अलग ही तरह की ‘साहवी’ आ गई है.
वहीं दूसरी ओर विगत 10 वर्षें के दौरान बिंदूनामावली के तहत मनपा में सफाई कामगार के तौर पर भर्ती हुए 200 लोगों ने इन 10 वर्षोें के दौरान शायद ही कभी अपने हाथों में झाडू उठाकर साफ-सफाई का काम किया हो, बल्कि इनमें से ज्यादातर लोग आगे चलकर मनपा अधिकारियों व पदाधिकारियों के साथ अपना जुगाड जमाते हुए मनपा के अलग-अलग कक्षों व विभागों में गार्ड व चपरासी बनने के साथ ही अधिकारियों के सरकारी बंगलों में निजी सेवक भी बन गये. ऐसे में कहा जा सकता है कि, मनपा की सेवा में पहले से रहने वाले 170 स्वास्थ्य निरीक्षकों व बीट प्यून तथा बिंदूनामावली के तहत भर्ती हुए 200 सफाई कामगारों को मिलाकर मनपा के पास शहर की साफ-सफाई करने के लिए करीब 370 लोगों की भारी भरकम फौज है. जिनके वेतन हेतु शहर की जनता द्वारा अदा किये जाने वाले टैक्स के पैसों से भुगतान किया जाता है. लेकिन इसके बावजूद भी मनपा अपने इन अधिकारियों व कर्मचारियों के भरोसे शहर की सही ढंग से साफ-सफाई नहीं करवा पाये. जिसके चलते मनपा को साफ-सफाई का काम निजी ठेकेदारों को देना पडता है और उनका भुगतान भी आम जनता के ट्रैक्स के पैसों से ही होता है. इसके बावजूद भी शहर में साफ-सफाई सही तरीके से नहीं हो पायी, तो इसके लिए मनपा की उपायुक्त माधुरी मडावी डंडा लेकर अमरावती शहर की आम जनता को हडकाती है. ऐसे में अब अमरावती शहर की आम जनता द्वारा उपायुक्त माधुरी मडावी को सलाह दी जा रही है कि, वे सडक पर डंडा लेकर निकलते हुए आम लोगों को हडकाने की बजाय खुद अपने महकमे के लोगों का कामकाज थोडा चूस्त-दुरुस्त करें. ताकि अमरावती मनपा क्षेत्र में साफ-सफाई का काम सही ढंग से हो सके.

* 50 बीट प्यून व लिपिक पर गिरी गाज
– अमरावती मंडल की खबर का हुआ सटीक असर
इस बीच मिली जानकारी के मुताबिक गत रोज दैनिक अमरावती मंडल द्वारा इसी विषय को लेकर प्रकाशित की गई खबर और उपायुक्त माधुरी मडावी को सबसे पहले अपने महकमे पर ध्यान देने के संदर्भ में दी गई सलाह को उपायुक्त माधुरी मडावी ने बेहद गंभीरता से लिया. जिसके चलते कर्तव्य में कोताही व लापरवाही करने के मामले को लेकर 50 बीट प्यून व लिपिकों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की गई. साथ ही कुछ को नोटीस जारी की गई. ऐसे में अब यह देखना और भी दिलचस्प होगा कि, विगत 15 वर्षों से एक ही स्थान पर कुंडली जमाकर बैठे हुए सफाई विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ उपायुक्त मडावी द्वारा क्या कदम उठाया जाता है.

 

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