अमरावतीमहाराष्ट्र

औषधिय वनस्पतियों को कब मिलेगा राजाश्रय

जिले में पानपिंपरी का 400 व मुसली का 100 हेक्टेअर क्षेत्र

अमरावती /दि. 6– मुसली व पानपिंपरी जैसी औषधिय गुणोंवाली वनस्पतियों को कोई राजाश्रय नहीं रहने के चलते इन वनस्पतियों के उत्पादकों को काफी आर्थिक दिक्कतो का सामना करना पड रहा है. इन वनस्पतियों से होनेवाली उपज के लिए कोई गारंटी मूल्य नहीं है. साथ ही इनका फसल बीमा योजना में भी समावेश नहीं किया गया है. इसके अलावा मर नामक रोग से फसलों का नुकसान होने पर उत्पादकों को सरकारी सहायता से भी वंचित रहना पडता है.
बता दें कि, मुसली, पानपिंपरी व पानवेल जैसी औषधिय वनस्पतियों हेतु सन 2017 तक केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा औषधिय वनस्पती योजना के तहत अनुदान दिया जाता था. जिसे बाद में बंद कर दिया गया था. ऐसे में इस अनुदान में सुधार कर उत्पादकों को अनुदान दिए जाने की मांग औषधिय वनस्पती उत्पादक किसानों द्वारा की जा रही है. इन वनस्पतियों के गुणधर्म को ध्यान में रखते हुए इन वनस्पतियों की बुआई व तुडाई की जाती है. ऐसे में इस काम हेतु लगनेवाले मजदूरों का तकनीकी तौर पर सक्षम रहना जरुरी होना चाहिए, इस हेतु कृषि विद्यापीठ द्वारा कार्यशालाओं का आयोजन कर उन्हें इसके बारे में तकनीकी ज्ञान देना आवश्यक है. परंतु अब तक कृषि विभाग ने इसके लिए कोई पहल नहीं की है.
जिले की अंजनगांव सुर्जी तहसील में मुसली, पानपिंपरी व पानवेल उत्पादक किसानों ने अपने स्तर पर उत्पादक कंपनियों की स्थापना की है. इन कंपनियों के लिए उत्पादन तैयार होने पर संग्रहन व विपणन करना संभव हो इस हेतु गोदाम तथा अन्य साहित्यों को विशेष मंजूरी दी जाए, ऐसी मांग इस क्षेत्र में की जा रही है.

* फसल बीमा में समावेश जरुरी
औषधिय गुणधर्म वाली सुगंधित वनस्पतियों की फसलों का बेमौसम बारिश, आंधी-तुफान, ओलावृष्टि व अकाल सहित कीटकजन्य रोगों की वजह से काफी नुकसान होता है. परंतु इन फसलों का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में समावेश नहीं रहने के चलते किसानों को क्षतिपूर्ति मुआवजे से वंचित रहना पडता है. ऐसे में मुसली, पानपिंपरी व पानवेल जैसी फसलों के लिए भी फसल बीमा संरक्षण को लागू किया गया है तथा विशेष वित्तिय सहायता के तौर पर कर्ज प्रकरणों को मंजूरी दी जाए, ऐसी मांग औषधी गुणधर्म वाली वनस्पतियों के उत्पादकों द्वारा उठाई जा रही है.

* उत्पादन बढाने हेतु सुविधाओं का अभाव
इन औषधि वनस्पतियों का उत्पादन बढाने हेतु सुविधाओं का काफी हद तक अभाव है. अमरावती जिले में उत्पादन के अनेकों अवसर उपलब्ध रहने के बावजूद मध्यप्रदेश व राजस्थान जैसे राज्य इन औषधिय वनस्पतियों के उत्पादन के मामले में महाराष्ट्र से कहीं आगे है.
– अमरावती जिले में फसलों पर होनेवाले मर नामक रोग की वजह से इन वनस्पतियों की फसल का बडे पैमाने पर नुकसान होता है. ऐसे में कृषि विभाग द्वारा उपाययोजनाएं किए जाने की जरुरत है.
– औषधिय गुणधर्म वाली वनस्पतियों के लिए बाजारपेठ उपलब्ध कराने के साथ ही विपणन, संशोधन व तंत्रज्ञान का प्रयोग बढाने हेतु कृषि विभाग द्वारा पहल किए जाने की जरुरत भी प्रतिपादित की जा रही है.

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