किसी परीक्षा से पहले ही प्रश्न-पत्र के बाहर आ जाने का मुख्य कारण संबंधित अधिकारियों की लापरवाही होती है. ऐसी घटना अगर सरकार की नजर में व्यवस्था में चूक का नतीजा है, तो इसका सबक यह होना चाहिए कि भविष्य में ऐसी चूक रोकने के लिए पूरी तरह चाक-चौबंद इंतजाम किए जाएं. हैरानी की बात है कि परीक्षा के पहले परचा लीक होने की अनेक घटनाएं सामने आने के बावजूद सरकारें तब तक आंख मूंद कर बैठी रहती हैं, जब तक फिर अगली बार ऐसा ही मामला तूल न पकड़ ले.
ऐसे मामलों में हमेशा ही आमतौर पर हर बार आश्वासन दिया जाता है कि सरकार इसके खिलाफ सख्त कदम उठाएगी. मगर फिर कुछ वक्त बाद वैसी ही घटना सामने आ जाती है. राजस्थान लोक सेवा आयोग की द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा में सामान्य ज्ञान परीक्षा को एहतियात के तौर पर रद्द करना पड़ा, क्योंकि प्रश्न-पत्र पहले ही माफिया के हाथ लग गया था और वे अभ्यर्थियों से मोटी रकम वसूल कर उन्हें नकल कराने की फिराक में थे. प्रश्न-पत्र के बाहर आ जाने के बाद सरकार के पास इसका तात्कालिक समाधान यह होता है कि संबंधित परीक्षा को रद्द कर दे. राजस्थान में भी यही उपाय अपनाया गया. मगर इससे उन अभ्यर्थियों पर कैसा असर पड़ता होगा, जिन्होंने बहुत मेहनत से परीक्षा की तैयारी की होती है और उसके जरिए अपना भविष्य बनाने की कोशिश में लगे होते हैं?
राजस्थान सरकार का कहना सही है कि जिस परीक्षा का पर्चा पहले ही बाहर आ गया, उसे रद्द करना इसलिए जरूरी है कि किसी अन्य युवा के साथ अन्याय न हो और सरकार दोषियों को सख्त सजा दिलाएगी. पर सवाल है कि राजस्थान में परीक्षा के पहले ही प्रश्न-पत्र माफिया और इसका कारोबार करने वाले गिरोहों के हाथ लग जाने का एक सिलसिला-सा चल रहा है और बार-बार ऐसी घटना सामने आने के बावजूद इस समस्या पर काबू पाने में सरकार नाकाम क्यों है. हालत यह है कि उदयपुर में एक बस में बैठ कर कुछ परीक्षार्थी बाहर आए प्रश्न-पत्र को हल कर रहे थे. यानी बेहद संगठित और योजनाबद्ध रूप से इस चोरी को सरेआम अंजाम दिया जा रहा था और सरकारी तंत्र को पहले इसकी भनक तक नहीं लग सकी थी.
यह सही है कि प्रश्न-पत्र बाहर आने की ताजा घटना के संदर्भ में पुलिस ने पचपन लोगों को पकड़ा, लेकिन यह इसका स्थायी समाधान नहीं है. दरअसल, यह ऐसी अनेक घटनाओं की एक कड़ी की तरह है. एक प्रश्न-पत्र का रद्द होना कई बार अभ्यर्थियों के भीतर असुरक्षा और अस्थिरता की भावना पैदा कर सकता है और इसका असर बाकी पत्रों पर भी पड़ सकता है. विडंबना यह है कि राजस्थान में इस तरह की घटना पिछले कुछ सालों के दौरान कई बार हो चुकी है और हर बार सरकार का आश्वासन और दावा यही होता है कि आगे ऐसा नहीं होने दिया जाएगा.
राजस्थान के मुख्यमंत्री का कहना है कि परचा लीक करने वाले गिरोह पूरे देश में फैले हुए हैं, नतीजतन ऐसी घटनाएं कई राज्यों में होती हैं. सवाल है कि इस तरह की सफाई क्या व्यवस्था में हुई चूक को लेकर अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश नहीं है? जरूरत इस बात की है कि परीक्षा के समूचे तंत्र को ऐसा बनाया जाए, जिससे प्रश्न-पत्र के पहले ही बाहर आने की गुंजाइश न बने और कुछ लोगों के भ्रष्टाचार की वजह से लाखों विद्यार्थियों या अभ्यर्थियों का भविष्य बाधित न हो.